भारत वैश्विक स्तर पर उभरता नेतृत्व ,महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में ऊर्जावान उपादेयता और वैश्विक संस्थाओं में पुरजोर प्रतिनिधित्व करते भारत ,खेल पदक से भी सुशोभित करते भारत के लिए पहलवानों का विशेष योगदान है। जिस भी समाज, संगठन में प्रतिभा का अपमान/ निरादर होने लगता है वहां पर देर- सवेर अंधकार /अविवेक का अन्नप्राशन होने लगता है ।यूनानी विचारक/ चिंतक एवं राजनीति शास्त्र का पिता प्लेटो ने खेल की उपादेयता को रेखांकित करके कहा है कि खेल से मन, शरीर एवं व्यक्तित्व में मजबूती आती है।
भारत के मनीषी ,विचारकों ने भी खेल की महत्ता को बताया है कि खेल व्यक्ति के सर्वागीण विकास के लिए अति आवश्यक है। खेल व्यक्ति को ऊर्जावान बनाता है। सवाल यह है कि भारत जहां सुशासन, डिजिटल महाशक्ति, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए मजबूत दावेदार है ,वहां पर खिलाड़ियों का यौन शोषण दुर्भाग्य की घटना है। वैश्विक मंचों पर भारत का गौरव बढ़ाने वाले पहलवानों के समस्याओं को त्वरित समाधान की आवश्यकता है; पदकों की दृष्टि से कुश्ती सफलतम खेलों में गौरव प्राप्त किया है। ऐसी स्थिति में यौन शोषण को अति गंभीरता से लेने की आवश्यकता है ।भारतवर्ष में न्याय की मूलभूत विशेषता है कि विषय जब तक सड़क तक ना जाए, तब तक संसद सोती रहती है।
दूसरी तरफ भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष श्रीमान बृज भूषण शरण जी ने इन आरोपों से इन्कार कर रहे हैं ,उनका कहना है कि उनके साथ कोई उद्योगपति एवं उनका प्रतिद्वंदी ने राजनीति किया है ।हो सकता है क्योंकि भारत की राजनीति में गुटबाजी पंचायत से लेकर पार्लियामेंट (संसद) तक है ;ऐसी स्थिति में गुटबाजी से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। राजनीति विज्ञान का पिता एवं तुलनात्मक पद्धति के जनक अरस्तु का कहना है कि न्याय इच्छा विहीन है(काम,क्रोध,मद एवं लोभ से परे होती है)। ऐसी स्थिति में निष्पक्ष न्याय के लिए निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है जिससे सत्य का अंश प्राप्त हो सके ;क्योंकि सत्य तभी प्राप्त हो सकता है जब दोनों पक्षों के द्वंदात्मक कथनों का जांच हो।
लोकतंत्र का मौलिक अवयव जवाबदेही एवं पारदर्शिता है ।कुश्ती संघ का नैतिक आभार जनता एवं खिलाड़ियों के प्रति है ;इसलिए इस आभार को बनाए रखने के लिए अध्यक्ष को नैतिकता का पालन करते हुए सत्य निष्ठा एवं पारदर्शिता को समाज एवं व्यवस्था के समक्ष लाने के लिए तटस्थ रहना चाहिए ।वर्तमान सरकार समानता ,स्वतंत्रता, न्याय ,शुचिता एवं पारदर्शिता के लिए भागीरथ प्रयास कर रही है, इसलिए इस विषय को इन अवयवों के सापेक्ष न्याय होना चाहिए।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं )