वैसे तो कई वाहनों पर अलग-अलग प्रकार के वाक्य, सूक्तयात्मक पंक्तियाँ, काव्य के विवध सन्दर्भ और शब्द लिखे हुए आते-जाते, उठते-बैठते दिख जाते हैं। शनिवार 6 जनवरी 2024 को यही हुआ जब दोपहर दो बजकर उनचास मिनट पर नाथद्वारा में एक बाइक की नम्बर प्लेट पर लाल रंग से ‘इतिहास’ लिखा हुआ देखा।
इतने में साथ चल रहे डॉ. प्रभात कुमार सिंघल साहब ने कहा- ये देखो विजय साहब…इस बाइक पर विशेष ही शब्द लिखा हुआ है।
– हाँ भाई साहब ! …इतिहास…
मैंने मोबाइल निकाला और फोटो लिया ही था कि बाइक वाले सज्जन आ गए
– अरे! आपकी बाइक है क्या…?
– जी हाँ सा !
– आपने यह नाम ऐसे ही लिखा है या कोई विशेष बात है…
– ऐसा कुछ नहीं है, पर… मेरा मन करता है तो मैं अलग-अलग नाम सोच कर लिखवा लेता हूँ।
– अच्छा! इसका मतलब इसके अलावा भी कोई और भी शब्द लिखवाये हैं आपने?
– हाँ…
– अरे वाह! कौन-कौन से लिखे हैं…
– सबसे पहले प्रारब्ध, नसीब, राजतिलक, राजहंस, मूमल, अरमान, भन्नाभोट, धाकाधिक, धमाका, सोनारायण, निराकार…..और अब ये इतिहास….
– वाह…!!! आपने तो छाँटकर शब्द लिखेवायें हैं…आपकी रूचि और धुन कमाल की है….
– बस! ऐसे ही कुछ अलग सोचकर ऐसा कर लिया। अच्छा लगा…और लोगों का ध्यान भी जाता…पसन्द भी आता…
– कभी कोई परेशानी तो नहीं आयी…मेरा मतलब….
– नहीं! ऐसी कोई विशेष तो नहीं…
– चलो आपकी इस विशेष रूचि और धुन के लिए आपको शुभकामनाएँ…
उन सज्जन ने सुनकर अभिवादन किया और हम बाइक की ओर देखते हुए आगे की ओर बढ़ गये…
विजय जोशी, कोटा