Monday, November 25, 2024
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शिव खेड़ाः एक वक्ता नहीं आपके व्यक्तित्व को निखारने वाला दर्पण है

दुनिया के जाने माने प्रेरक वक्ता और लेखक श्री शिव खेड़ा को सुनना ऐसा है जैसे संघर्षों की तपन से निखरा हुआ कोई व्यक्ति अपनी जिंदगी भर के अनुभवों से संचित पूँजी मुफ्त में आपको लुटा रहा हो और आपको ऐसा लगता है कि इनको अगर बहुत पहले सुन लेता तो मैं जिंदगी में क्या से क्या हो गया होता, लेकिन उनका एक-एक शब्द आपको ये सोचने का मौका नहीं देता कि आप क्या नहीं कर पाए, वो आपको इस बात के लिए उद्वेलित कर देते हैं कि अभी भी आप क्या नहीं कर सकते….शिव खेड़ा के व्यक्तित्व की यही विशिष्टता आपको उनसे जोड़ती ही नहीं उनसे जुड़े रहने के लिए मजबूर कर देती है….

मुंबई के रवीन्द्र नाट्य मंदिर के खचाखचत भरे सभागृह में हेमा फाउंडेशन द्वारा आयोजित हेम उत्सव में श्री शिव खेड़ा कह रहे थे….मैं दसवीं तक पढ़ पाया और फिर मैने जिस काम में हाथ डाला वहाँ से असफलता हाथ लगी। मेरी शादी हो चुकी थी और जब मेरी बेटी हुई तो मेरे पास दो रुपये भी नहीं थे। घर की जरुरतों के लिए घर की चीजें बेचते रहे और आखिर में माँ के गहने भी बेच दिए। फिर जैसे तैसे काम की तलाश में कनाडा गया, वहाँ दिन में लोगों की गाड़ियाँ साफ करता था और एक कमरे के घर में फर्श पर सोता था। एक दिन एक व्यक्ति ने पूछा लाईफ इंश्योरेंस एजेंट बनोगे, मैने कहा ये काम तो मैं कभी नहीं करुंगा।

वे आगे बताते हैं, मुझे वो सज्जन अपने दफ्तर ले गए और अपने डिस्ट्रिक्ट मैनेजर से मिलवाया। उन्होंने कहा तुम्हारे पास 150 डॉलर कमाने के लिए 30 सेकंड हैं, अगर तुम एजेंट बनना चाहते हो तो हाँ करो। मैने जैसे तैसे हाँ कह दी। फिर मैने जमकर मेहनत की मगर नतीजा शून्य ही निकला। उन्होंने मुझे समझाया तुम डॉक्टर, सीए नहीं बन सके इसलिए तुम दुनिया में बहुत काम कर सकते हो, क्योंकि तुम्हारे पास सफलता के लिए ढेरों विकल्प हैं। उन्होंने बताया मैंने पहली पॉलिसी 27 लर 58 सेंट की बेची, इसके लिए मैं शाम 7 से रात 11.30 बजे तक बैठा रहा।

उन्होंने कहा मुझे इंश्योरेंस के अधिकारी ने एक गुरु की तरह यह सिखाया कि तुम मेरी कंपनी या इंश्योरेंस के लिए काम मत करो बल्कि अपने लिये काम करो, अपने आप से वादा करो कि तुम क्या कर सकते हो। उनके इन शब्दों ने मेरा जीवन बदल दिया। मैने इसके बाद कनाडा में 10 लाख, पिर 30 लाख और फिर 1 करोड़ 50 लाख पॉलिसी बेची। फिर कनाडा से अमरीका आकर अपनी खुद की कंपनी बनाई और फिर तो सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ता गया।

श्री खेड़ा ने कहा कि मैं पहले अपनी असफलता के लिए दुनिया को जिम्मेदार समझता रहा और जिंदगी के 45 साल तक हर जगह फैल होता रहा, लेकिन जिस दिन मैने अपनी असफलता के लिए खुद को जिम्मेदार मान लिया स दिन से मेरी ज़िंदगी बदल गई।

उन्होंने कहा कि ऑफिसों में कई लोग सैलरी लेकर भी काम नहीं करते हैं। पैसा बनाना एक अपराधिक कृत्य है और पैसा कमाना अध्यात्मिक कर्म। उन्होंने कहा कि दुनिया में तीन लोग ही आपको सही सलाह देते हैं- माँ-बाप और गुरू। झूठी तारीफ आदमी को बर्बाद कर देती है। सच्ची आलोचना ऊँचाई पर पहुँचा देती है।

उन्होंने कहा कि जो काम हारने वाले नहीं करना चाहते वो काम जीतने वाले करते हैं इसीलिए वो सफल होते हैं। उन्होंने कहा सफलता अच्छी आदतों से आती है। अच्छी आदत से जीना सरल हो जाता है जबकि बुरी आदतों से जीना दुश्वार हो जाता है।

उन्होंने कहा कि हम जो बी काम करना चाहें उसका निरंतर अभ्यास करेंगे तो ही सफल होंगे। अभ्यास करने पर जब भी हमें काम करने का मौका मिलेगा हम कुशलता से उसे कर सकेंगे। अभ्यास से काम में स्थायित्व आता है। हमारा काम करने का ढंग एक फौजी जैसा होना चाहिए जो युध्द न होने पर भी युध्द की तैयारी करता रहता है।

उन्होंने कहा कि आप जब तक जीवित हैं, आपके साथ समस्या रहेगी, उनका हल आपको ही खोजना है, अगर समस्या से बचना है तो श्मशान ही बेहतर जगह हो सकती है।

उन्होंने दिव्यांग लोगों द्वारा स्थापित कीर्तिमानों का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वो अपने लक्ष्य में कामयाब हो सकते हैं तो आप क्यों नहीं। उन्होंने बताया कि जाने माने कराटे मास्टर ब्रूस ली की एक टाँग छोटी थी मगर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। ओलंपिक में तैराकी में विजेता रहने वाले माईकल पैंस के हाथ नहीं थे लेकिन उन्होंने पैरों से ओलंपिक प्रतियोगिता जीती। इसके लिए उन्होंने 10 हजार घंटे अभ्यास किया। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को 15 साल मेहनत करने के बाद भी मात्र एक सेकंड पीछे रह जाने पर हार का मुँह देखना पड़ता है।

श्री शिव खेड़ा ने एक से एक प्रेरक उदाहरणों से उपस्थित श्रोताओँ में जोश भर दिया।

इस अवसर पर गीता परिवार के अध्यक्ष श्री संजय मालपानी ने कहा कि बच्चों को संस्कार नहीं देंगे तो आने वाली पीढ़ियाँ भटक जाएगी। उन्होंने रोचक घटना बताते हुए कहा कि मेरे छोटे बच्चे ने मेरी किसी बात से नाराज़ होकर अपनी माँ से कहा कि हम अपने पापा बदल देते हैं। उसकी ये बात सुनकर मुझे हैरानी हुई कि ये बात उसके दिमाग में आई कैसे। हमने हर तरह से उसको टटोलने की कोशिश की तो पता चला कि किसी टीवी धारावाहिक में उसने बार बार पिता बदलते हुए देखे थे। उन्होंने कहा कि बच्चों के मनोविज्ञान पर टीवी या फिल्म के परदे का कितना गहरा असर पड़ता है।

उन्होंने कहा कि बच्चों में अगर आत्मविश्वास पैदा किया जाए और संस्कार दिए जाएँ तो वे कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि मेरे विद्यालय के छात्रावास में एक सज्जन अपने दो बेटों के प्रवेश के लिए आए। उनका कहना था कि एक बच्चा तो आज्ञाकारी है और दूसरा कुछ सुनता ही नहीं मगर मैं दोनों को आपके यहाँ एक साथ रखना चाहता हूँ।

मैने दोनों को रख लिया। बाद में जो बच्चा आज्ञाकारी था वो तो वापस अपने गाँव चला गया मगर जो उद्दंड था वो रह गया। वो पीछ की बेंच पर बैठता था और शरारतें करता था। उसके अंदर एक गजब गी प्रतिभा थी कि वो बगैर ओठ हिलाए कुछ भी बोल सकता था। मैने उसे हेमा फाउंडेशन द्वारा बनाई गई फिल्म दगड़ू दिखाई और मैने उसकी रुचि खेलकूद में जगा दी और ससे खूब प्रेक्टिस करवाई। इसके बाद हालत ये हो गई कि वो खेलकूद के साथ ही पढ़ाई में भी अव्वल रहने लगा और हमारे विद्यालय को राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में जितवाकर लाया।

जब वो प्रतियोगिता जीतकर आया तो मैं खुद उसे स्टेशन लेने गया, स्कूल में आते ही माली ने उसे फूल दिया, मेस के रसोईये ने उसे गुलाब जामुन देते हुए कहा कि मैने ये खास तुम्हारे लिए ही बनाए हैं। ये सब देखकर उसे लगा कि उसने पूरे स्कूल का दिल भी जीत लिया है।

इस अवसर पर हेमा फाउंडेशन के मार्गदर्शक- संस्थापक एवँ आर आर कैबल के श्री रामरत्न काबरा ने कहा कि हेमा फाउंडेशन ने बच्चों को संस्कार और मूल्यों के साथ जीना सिखाने का जो अभियान शुरु किया है वो पूरी दुनिया तक पहुंचे यही मेरी शुभकामना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में नैतिक शिक्षा होगी तभी भारत विश्व गुरू बन सकेगा।

हेमा फाउंडेशन की क्रिएटिव डायरेक्टर एवं ट्रस्टी श्रीमती अनीता माहेश्वरी ने बताया कि गरवारे इंस्टीट्यूट मुंबई विश्वविद्यालय, सोलापुर विद्यापीठ, तिलक विद्यापीठ -पुणे, महर्षि दयानद सरस्वती विश्वविद्यालय -अजमेर, राजस्थान विश्वविद्यालय- जयपुर आदि ने अनेक सर्टिफिकेट एवं डिग्री पाठ्यक्रमों का संचालन भी किया है। साथ ही नैतिक-मूल्यों एवं भारतीय संस्कृति के रचित पाठ्यक्रम को और अधिक रोचक एवं सरल बनाने के लिए हेमा फाउंडेशन ने 45 से अधिक प्रेरक लघु चलचित्रों का निर्माण भी किया है।

इस अवसर पर तिलक विद्यापीठ पुणे से आई श्रीमती संगीता जाधव ने बताया कि हम हेमा फाउंडेशन के साथ मिलकर 5 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे।

कार्यक्रम में डॉ. श्रीमती चीनू अग्रवाल (मनोविज्ञानी एवं मनोचिकित्सक), डॉ. अनंतन रामकृष्ण पिल्लै (संस्थापक अध्यक्ष- आई.डी.एफ.), डॉ. हरीश शेट्टी (बाल-मनोचिकित्सक) भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर चाणक्य नाटक में चाणक्य की भूमिका निभाने वाले अभिनेता मनोज जोशी ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री महेन्द्र काबरा ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि पूज्य गोविंद गिरी जी महाराज की प्रेरणा से हमने हेमा फाउंडेशन की शुरुआत की और हमें प्रसन्नता है कि इसके माध्यम से हम हजारों बच्चों को संस्कारित कर पा रहे हैं।

इस अवसर पर हेमा फाउंडेशन द्वारा संस्कार, शिक्षा और पर्यावरण की दिशा में किए जा रहे विभिन्न अभिनव प्रयोगों की विस्तृत जानकारी दी गई। हेमा फाउंडेशन द्वारा बच्चों को संस्कारित करेन के लिए 19 फिल्में बनाई गई है और इनका नियमित प्रदर्शन विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में किया जाता है। मंच पर उपस्थित अतिथियों ने श्री शिव खेड़ा की पुस्तक जीत आपकी के गुजराती अनुवाद का विमोचन भी किया।

हेमा फाउंडेशन के बारे में

हेमा फाउंडेशन, ‘राम रत्ना ग्रुप’ की सामाजिक गतिविधियों की एक परोपकारी इकाई है। बच्चों को उनकी संवेदनशील आयु में संस्कारित और नैतिक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में यह एक अभिनव प्रयास है। फाउंडेशन का मुख्य उद्देश्य- ”बच्चों में अभिभावक, समाज व राष्ट्र के प्रति नैतिक जिम्मेदारी का बोध करवाना है, जिससे वे जागरूक एवं उत्तरदायी नागरिक बन सके।’ इसी उद्देश्य से हेमा फाउंडेशन का शुभारंभ 25 जून 2016 को स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरिजी के करकमलों द्वारा हुआ था।

वैश्विक पटल पर भारतीय संस्कृति एवं मानवीय-मूल्यों के स्थापन के लिए समर्पित हेमा फाउंडेशन नैतिक-मूल्यों एवं मानवता की प्रतिमूर्ति श्रीमती हेमा काबरा की स्मृति में स्थापित यह संस्था विगत चार वर्षों से मानवीय-मूल्यों एवं भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए देश भर में जीवन-मूल्यों में सरलता एवं सौहार्द स्थापित करने के लिए प्रयासरत है।

हेमा फाउंडेशन के परामर्श मण्डल में पद्मश्री रामेश्वरलाल काबरा, डॉ.संजय मालपानी (राष्ट्रीय अध्यक्ष- गीता परिवार), डॉ. श्रीमती चीनू अग्रवाल (मनोविज्ञानी एवं मनोचिकित्सक), डॉ. अनंतन रामकृष्ण पिल्लै (संस्थापक अध्यक्ष- आई.डी.एफ.), डॉ. हरीश शेट्टी (बाल-मनोचिकित्सक), श्री शिव खेड़ा (मोटिवेशनल ऑथर), प्रसिद्ध अभिनेता व पद्मश्री मनोज जोशी, फिल्म अभिनेता- मुकेश खन्ना का विशेष मार्गदर्शन लिया गया है।

इन अल्पावधि में फाउंडेशन ने छोटे कदम, बढ़ते कदम की ओर पहल करते हुए वर्तमान में देश के 19 राज्यों के 109 शहरों में दस्तक देते हुए हजारों विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में अपनी गतिविधियों का संचालन कर रही हैं। मुम्बई महानगरपालिका शिक्षण विभाग के सह-आयुक्त श्री मिलिन्दजी सावंत ने कहा कि महानगरपालिका द्वारा संचालित विद्यालय जिसमें 3 लाख 25 हजार से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं। इन बच्चों को हेमा फाउंडेशन द्वारा नैतिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को स्थायी रूप से प्रारंभ करेंगे। विभिन्न राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार ने भी अनेक अवसरों पर हेमा फाउंडेशन के उद्देश्यों एवं कार्य की सराहना की है।

विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से मिल रहे सकारात्मक प्रतिसाद को ध्यान में रखते हुए फाउंडेशन का अगला कदम उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थान के विद्यार्थियों में क्षमता निर्माण हेतु “हेमफार्मेशन” के प्रथम मॉड्यूल का प्रकाशन किया गया है। इस पुस्तक में खुशी, समर्पण, ईमानदारी, समय, प्रबंधन, धैर्य, आशाएं, आदतें, आत्मविश्वास आदि विषयों का समायोजन है। डॉ. नागपाल सिंह के द्वारा संपूर्ण पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है। वे प्रमुख शोधकर्ता एवं शिक्षाविद के साथ ही हेमा फाउंडेशन के एकेडमिक डायरेक्टर भी हैं। विषयों पर गहरी शोध कर विषय के तथ्यों को रचनात्मक, कलात्मक एवं सरलात्मक तरीके से प्रस्तुत किया है, ताकि विद्यार्थियों के सफलता का प्रवेश द्वार प्रशस्त हो।

फाउंडेशन का लक्ष्य है- नैतिक मूल्यों की ज्योति को प्रभावी एवं सशक्त रूप में योजनाबद्ध और चरणबद्ध तरीके से हर विद्यालय, हर विद्यार्थी तक पहुँचे जिससे एक संस्कारी, स्वाभीमानी, समर्थ एवं शिक्षित भारत का निर्माण हो। हेमा फाउंडेशन विद्यालय के संचालक, प्रधानाचार्य, शिक्षाविद, समाजशास्त्री, बाल मनोविज्ञानी से निवेदन करता है इस उपक्रम से आप सभी जुड़कर इसे प्रत्येक विद्यालय व प्रत्येक स्कूल तक पहुँचाएं।

आज के बदलते परिवेश एवं सूचना-प्रद्योगिकी गति को ध्यान में रखते हुए हेमा फाउंडेशन का एक नया पहल- मोबाइल ऐप विकसित किया है। जहाँ से पुस्तक-सामग्री एवं प्रतियोगिता संबंधी जानकारी अथवा www.hemafoundation.org से डाउनलोड की जा सकती है। अगर किसी प्रकार के सहायता की आवश्यकता हो, तो कृपया हमें admin@hemafoundation.org अथवा श्रीमती कल्पना उरनकर, मो. 7228001342 पर भी संपर्क कर सकते हैं।

शिव खेड़ा का फेसबुक पेजः https://www.facebook.com/shivkhera/

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ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

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