अपने जीवन पर आधारित किताब ‘एनीथिंग बट खामोश’ में भाजपा के वरिष्ठ नेता और बॉलीवुड में ‘शॉटगन’ के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा ने गुजरे जमाने के सुपर स्टार राजेश खन्ना के खिलाफ चुनाव लड़ने पर खेद प्रकट किया है। शत्रु ने किताब में लिखा कि 1991 में बॉलीवुड के अपने ही साथी राजेश खन्ना के खिलाफ चुनाव लड़ना सबसे दुखद था। उन्होंने राजेश खन्ना से माफी भी मांगी। उल्लेखनीय है कि राजेश खन्ना का तीन साल पहले निधन हो गया था। इस अवसर पर शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा,”किसी भी हालात में मुझे अपना राजनीतिक करियर उपचुनावों से शुरु नहीं करना चाहिए था। हालांकि मैं आडवाणीजी से इनकार नहीं कर सका। वे मेरे मार्गदर्शक, गुरु और महान नेता थे।”
1991 में लालकृष्ण आडवाणी ने दिल्ली और गांधीनगर, दो सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और दोनों ही सीटों पर कामयाब रहे। दिल्ली सीट पर कांग्रेस की ओर से बॉलीवुड के जानेमाने चेहरे राजेश खन्ना ने उन्हें चुनौती दी थी। राजेश खन्ना का पहला चुनाव था, जिसमें वो हार गए। हालांकि दो सीटों पर चुने जाने के कारण आडवाणी ने दिल्ली की सीट छोड़ दी, जिस पर उसी वर्ष उपचुनाव हुए। कांग्रेस की ओर से इस बार भी राजेश खन्ना ही मैदान में थे, जबकि भाजपा की ओर से शत्रुघ्न सिन्हा चुनावी राजनीति में उतरे थे। शत्रु वो चुनाव वो हार गए।
शत्रुघ्न सिन्हा की इस किताब का विमोचन दिल्ली में किया गया, जिसमें वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, अमर सिंह और कीर्ति आजाद शामिल थे। विमोचन समारोह में केंद्रीय मंत्री हर्षवर्द्धन और केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह भी पहुंचे। किताब वरिष्ठ फिल्म पत्रकार भारती एस प्रधान ने लिखी है। किताब की प्रस्तावना कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लिखी है।
शत्रु ने अपनी किताब में कहा, ”चुनाव हारना मेरे जीवन के बेहद दुखद क्षणों में एक था। एक ऐसा वक्त था, जब मैं वाकई में रोया। मैं इसलिए भी निराशा था, क्योंकि आडवाणीजी एक भी दिन मेरे प्रचार के लिए नहीं आए थे।” अपने पहले चुनाव को गलत फैसला करार देते हुए शत्रुघ्न कहा कि वह उनके जीवन का सबसे बुरा दौर था।
उन्होंने कहा, ”राजनीति कई तरीको से अपना बदरंग चेहरा दिखाती। जब मैं चुनाव हार गया, तब मुझे बुरी तरह से दरकिनार कर दिया गया। मुझे ऐसे अहसास कराया गया मानों अशोक रोड स्थित पार्टी कार्यालय में मैं एक अवांछित व्यक्ति हूं। जब मैं वहां जाता लोग बातचीत करना बंद कर देते, बातचीत का विषय बदल देता, जिससे मैं बेचैन हो जाता।”
शत्रु ने लिखा कि एक दिन पार्टी के एक पदाधिकारी, जो कि अभी भी भाजपा के ही साथ हैं आए और उनसे कहा कि शत्रुजी आप बाहर बैठिए। जब हमें आपसे बात करनी होगी तो बुला लेंगे। उन्होंने कहा कि ये बात सीधे मेरे दिल पर लगी और कई सालों तक मैं पार्टी ऑफिस नहीं गया। उल्लेखनीय की दिल्ली स्थित अशोक रोड पर भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय है।
केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा मंत्री बने। आडवाणी उस सरकार में उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री रहे। शत्रु ने बुधवार को ट्वीट कर दावा किया था कि उनकी किताब उनके जीवन और अनुभवों का ईमानदार और बेबाक बयान है।
किताब में बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ शत्रु्घ्न सिन्हा की प्रतिद्वंद्विता का भी जिक्र है। शत्रु ने अमिताभ के साथ अपनी प्रतिद्वंद्विता का जिक्र करते हुए कहा, ”मैं अपने काम से तारीफ बटोरता, अमिताभ उसे देखकर परेशान हो जाते और वे कोशिश करते कि मैं उन फिल्मों में ना रहूं, जिसमें वो हैं।” शत्रु ने कहा कि उस दौर की अभिनेत्रियां जीनत अमान और रेखा ने भी इस झगड़े को बढ़ावा दिया।
उन्होंने कहा, ”शायद उन्हें मेरी कोई बात पसंद नहीं आती और वे अमिताभ से मेरे बारे कुछ-ना-कुछ कहा करतीं। शायद वे ऐसा इसलिए करतीं कि मैं उनके बारे में बहुत कुछ जानता था। अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए वे अमिताभ बच्चन का साथ देतीं।”
अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा ने काला पत्थर और दोस्ताना जैसी फिल्में साथ की। काला पत्थर की शूटिंग के दरमियान दोनों के रिश्ते बेहद तल्ख हो गए। किताब में उस कड़ी का विस्तार से जिक्र है।
किताब में शत्रु ने कहा, “काला पत्थर के सेट पर अमिताभ बच्चन के बगल की कुर्सी मुझे नहीं दी जाती।..हम दोनों एक ही होटल से शूटिंग लोकशन पर जाते लेकिन अमिताभ कभी भी मेरी कार में नहीं बैठते और कभी ये नहीं कहा कि हम दोनों साथ चलते हैं।”
उन्होंने कहा कि मुझे इन बातों पर आश्चर्य भी होता कि ये सब क्यों हो रहा है क्योंकि मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं थी। काला पत्थर के उस फाइट सीन का जिक्र भी किताब में है, जिसमें अमिताभ ने शत्रु को बुरी तरह मार दिया था।
उन्होंने कहा, “अमिताभ बच्चन लगातार मारते रहे, जबतक कि शशि कपूर ने हम दोनों को अलग नहीं किया। एक बार तो मुझे ये कहना पड़ा की सीन वैसे नहीं शूट की जा रहा है, जैसे मुझे बताया गया है।”
शत्रुघ्न सिन्हा ने ‘एनिथिंग बट खामोश’ में अपनी निजी, फिल्मी और राजनीतिक जिंदगी से जुड़े तमाम राज खोले हैं, उनकी किताब की दस प्रमुख बातें…..
1.शत्रुघ्न ने किताब में कहा है कि बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन उनकी शोहरत से परेशान थे। अमिताभ अपनी कुछ फिल्मों में उन्हें नहीं देखना चाहते थे। शत्रुघ्न के मुताबिक, उन्होंने अमिताभ बच्चन के लिए कई फिल्में छोड़ दीं। यहां तक कि प्रोड्यूसरों से लिया साइनिंग अमाउंट तक लौटा दिए।
2. शत्रुघ्न का कहना है कि एक्ट्रेस जीनत अमान और रेखा की वजह से उनके और अमिताभ बच्चन के बीच दरार बढ़ी।
3. शत्रुघ्न का कहना है कि उन्हें 1991 में उन्हें साथी बॉलीवुड सितारे राजेश खन्ना के खिलाफ दिल्ली से चुनाव लड़ने की वजह से काफी दुख हुआ था। उन्होंने राजेश खन्ना से माफी भी मांगी थी। बता दें कि इस चुनाव में वे राजेश खन्ना से चुनाव हार गए थे।
4. सिन्हा ने अपनी किताब में लिखा है कि उस चुनाव में हारना मेरे लिए निराशा के दुर्लभ क्षणों में से एक था। वह लिखते हैं, ‘वह पहला मौका था, जब मैं रोया था। मुझे इस वजह से भी निराशा हुई कि आडवाणी जी मेरे लिए एक दिन भी चुनाव प्रचार करने नहीं आए।’
5.शत्रु के मुताबिक, चुनाव हारते ही उन्हें साइडलाइन कर दिया गया। अशोका रोड के पार्टी ऑफिस में उन्हें कोई तरजीह नहीं दी जाती थी। जब वे वहां जाते थे, तो लोग उनसे बात ही नहीं करते थे।
6. सुशील मोदी नहीं चाहते थे कि शत्रुघ्न पटना से चुनाव नहीं लड़े। सुशील मोदी ने गतिरोध पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
7. सिन्हा ने अपनी किताब में बताया है, ‘वह पहला मौका था, जब मैं रोया था। मुझे इस वजह से भी निराशा हुई कि आडवाणी जी मेरे लिए एक दिन भी चुनाव प्रचार करने नहीं आए।’
8. शत्रुघ्न ने कहा कि बीजेपी में डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट उनके खिलाफ काम कर रहा है।
9. पार्टी में कुछ नेता ऐसे भी हैं जो 2014 में इलेक्शन हारे, लेकिन उन्हें मंत्री बना दिया गया।
10. किताब में शत्रुघ्न ने कहा है कि लाल कृष्ण आडवाणी नंबर वन नेता हैं और उन्हें ही पीएम पद का कैंडिडेट बनाया जाना चाहिए था।