स्थानीय नयापली सत्संग भवन में पहली जनवरी को हरिद्वार से पधारे स्वामी व्यासानंद ने मंगलमय जीवन के लिए सत्संग को मूल आधार बताया। उन्होंने बताया कि सत्युग हमारा अच्छा कर्म है।सत्युग संतों की संगति है। सत्युग में आनंद ही आनंद है।संतों की वाणी में साक्षात भगवान का संदेश है। इसलिए जितना भी समय मिले सत्संगति करें। कलियुग हमारा बुरा कर्म है। उसका निदान संतों की संगति है। उन्होंने अच्छे कर्म करने और बुरे कर्मों को त्यागने का नये वर्ष को मंगलमय बनाने के लिए आवश्यक बताया। आयोजक सी ए अनिल-ऋतु अग्रवाल ने सभी का स्वागत किया।यह नये वर्ष का पहला मौका रहा जिसमें मंगलमय जीवन के लिए आध्यात्मिक आयोजन कर भुवनेश्वरवासियों को सत्संग का संदेश दिया गया।
स्वामी व्यासानंद ने कहा सत्संग को मंगलमय जीवन का मूल आधार
एक निवेदन
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