तहलका की महिला पत्रकार ने प्रधान संपादक तरुण तेजपाल द्वारा यौन उत्पीड़न के बाद प्रबंध संपादक शोमा चौधरी को भेजी ई-मेल में गोवा के एक होटल में घटी घटना का कुछ ब्योरा दिया है। मेल की पहली ही पंक्ति में पीड़िता ने लिखा है कि यह मेल लिखना उनके लिए बेहद तकलीफदेह है। पीड़ित महिला पत्रकार की शोमा चौधरी को भेजी ई-मेल कुछ इस तरह है।
''मेरे लिए आपको यह ई-मेल लिखना बेहद तकलीफदेह है। जो बात मैं कहने जा रही हूं उसे कैसे सरल ढंग से कहा जाए, यह सोचने में लगी हुई थी, लेकिन अब मुझे यही एक रास्ता समझ आ रहा है। पिछले सप्ताह तहलका के मुख्य संपादक तरुण तेजपाल ने 'थिंक फेस्ट' के दौरान दो बार मेरा यौन उत्पीड़न किया। जब उन्होंने पहली बार यह हरकत की तो मैं आपको फौरन फोन कर बताना चाहती थी, लेकिन आप बुरी तरह व्यस्त थीं। मुझे पता था कि उस वक्त एक मिनट के लिए भी यह मुमकिन नहीं था कि मैं अकेले में आपको इस हरकत के बारे में बता पाती। इसके अलावा मैं इस बात को लेकर हैरान भी थी कि तरुण ने ऐसी घिनौनी हरकत की, जो मेरे पिता के साथ काम कर चुके हैं और उनके दोस्त हैं। तरुण की बेटी भी मेरी दोस्त है।
मैं काम की वजह से तरुण की बहुत इज्जत करती रही हूं। तरुण ने दो बार मेरा यौन शोषण किया। हर बार मैं बुरी तरह हताश और पस्त होकर अपने कमरे में लौटी और कांपते हुए रोती रही। इसके बाद मैं अपने सहकर्मियों के कमरे में गई और एक वरिष्ठ सहकर्मी को फोन कर सारी बात बताई। जब दूसरी बार तरुण ने मेरा यौन उत्पीड़न किया तो मैंने उनकी बेटी को इस बारे में शिकायत की। जब उनकी बेटी ने तरुण से इस बाबत सवाल किया तो वह मुझ पर चीखते हुए गुस्साने लगे। पूरे फेस्टिवल के दौरान मैं तरुण से बचती रही। सिर्फ तभी उनके सामने आई, जब आसपास कई लोग मौजूद रहे। यह सिलसिला तब तक चला, जब तक यह फेस्ट खत्म नहीं हो गया।
शनिवार शाम उन्होंने मुझे एक एसएमएस किया, जिसमें लिखा कि मैंने एक नशेबाज की दिल्लगी का उलटा ही अर्थ निकाल लिया, लेकिन यह सच नहीं है। दिल्लगी के दौरान कोई किसी पर यौन हमला नहीं करता। मैं उनकी हरकत का हर ब्योरा आपको भेज रही हूं ताकि आपको समझ आए कि मेरे लिए यह कितना तकलीफदेह रहा होगा। मैं चाहती हूं कि विशाखा मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए निर्देशों के मुताबिक, एक एंटी सेक्सुअल हैरेसमेंट सेल बनाया जाए और वही इस मसले की जांच करे। आखिर में मैं तरुण तेजपाल से लिखित माफी चाहती हूं। यह माफीनामा तहलका में काम करने वाले हर कर्मचारी से साझा किया जाना चाहिए। उन्होंने जिस तरह एक महिला कर्मचारी के साथ बर्ताव किया उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।''
विशाखा केस में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त, 1997 में कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न रोकने के संबंध में एक निर्णय दिया था। राजस्थान के चर्चित भंवरी देवी केस (1992) की पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा बनाम राजस्थान सरकार मामले में फैसला दिया था। विशाखा निर्णय नाम से प्रसिद्ध इस केस में यौन उत्पीड़न को परिभाषित करते हुए कई दिशा-निर्देशों और मानकों का निर्धारण किया गया था।
ट्विटर पर हैरानी और गुस्सा
''भारत में एक बड़े संपादक ने अपनी ही महिला पत्रकार के साथ यौन दुर्व्यवहार किया। वह जेल जाने के बजाय छह माह की छुंट्टी पर चला गया। क्या बेवकूफी है?'' -तारिक फतेह
''तरुण तेजपाल को यह अधिकार कहां से मिला कि वह अपने लिए सजा खुद तय करें? इस सवाल का जवाब सारी महिलाएं चाहती हैं।'' -असमा खान पठान
''यह शर्मनाक है कि अच्छे मूल्यों वाले शख्स ने ऐसा काम किया, लेकिन उन्होंने औरों की तरह अपना गुनाह कबूल करने का साहस दिखाया।'' -जावेद अख्तर
''महिलाओं के खिलाफ हिंसा के विरोध में फरहान अख्तर ने मर्द अभियान शुरू किया और उनके पिता जावेद अख्तर तरुण तेजपाल को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।'' -एस रोड्रिग्स
''जब कोई दोस्त जुर्म करता है तो पहले तो यकीन नहीं होता, फिर हैरानी होती है और फिर गुस्सा आता है। तरुण ने अपने परिवार और दोस्तों से विश्वासघात किया है।'' -सागरिका घोष
''तरुण ने तहलका को बनाया। उन्हें ही उसे नष्ट करने का अधिकार था और वह उन्होंने कर दिया। धन्यवाद तरुण।'' -आकाश
''तरुण ने महिला पत्रकार के साथ जो कुछ किया उसे जानकर हैरान हूं। यह घटना ताकत के अहंकार को बयान करती है।'' -मधु किश्वर
''नरेंद्र मोदी के बारे में राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है कि लड़की मामला दर्ज करे या नहीं, हम मामला जरूर दर्ज कराएंगे। तेजपाल के बारे में इसी आयोग का कहना है कि यह उनके और लड़की के बीच का मामला है।'' -नीलेश देसाई
''कांग्रेस ने अपने बहादुर सिपाही को खो दिया है। आइए आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन धारण करें। उनका छह महीने के लिए पत्ता कट गया। अब नरेंद्र मोदी के खिलाफ कौन चुनाव लड़ेगा?'' -पीयूष खंडेलवाल