2011 में हुए दिल्ली हाई कोर्ट में बम धमाके के बाद जब अदालतों की सुरक्षा सख्त करने की कवायद शुरू हुई तो सुप्रीम कोर्ट के पास बहुमंजिला लॉयर्स चेंबर्स के नीचे करीब तीन दशक से चाय की रेड़ी लगाने वाले धरम चंद को नई जगह तलाशने के लिए कह दिया गया।
धरम चंद के लिए यह जिंदगी का सबसे बड़ा झटका था। उन वकीलों को भी यह फैसला नागवार गुजरा, जिन्होंने धरम चंद की चाय की चुस्कियों के साथ न जाने कितने ही केस जाने-परखे, लड़े और जीते थे।
नतीजतन, पूर्व विदेश मंत्री और देश के दिग्गज वकीलों में गिने जाने वाले सलमान खुर्शीद को धरम चंद ने अपना वकील बनाया और सुप्रीम कोर्ट में केस कर दिया गया। खर्शीद ने धरम चंद के लिए सुप्रीम कोर्ट की बेंच से कहा कि धरम चंद की रेड़ी परिसर से काफी दूर है और इसकी वजह से कोर्ट परिसर को कोई खतरा नहीं है।
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने भी जस्टिस एमवाई इकबाल और सी नागप्पन की बेंच को यकीन दिलाने की कोशिश की कि धरम चंद की रेड़ी से कोई खतरा नहीं। हालांकि, डिप्टी कमिश्नर (सिक्यॉरिटी) की तरफ से कोर्ट में पहुंचे वरिष्ठ वकील आर बाला सुब्रमण्यम ने पुलिस की एक सीक्रिट पुलिस फाइल पेश की, जिससे सारे तर्क खारिज हो जाए।
काफी बहस और जिरह के बाद भी सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने धरम चंद के साथ सहानुभूति तो जताई, लेकिन उन्हें रेड़ी लगाने की इजाजत नहीं दी।
साभार-टाईम्स ऑफ इंडिया से