चेन्नई। ऐसी कई घटनाएं हैं, जिनसे पता चलता है कि बाढ़ से तबाही मचने के बाद मानवता ने मजहब की दीवारों को तोड़ दिया। ऐसी ही एक कहानी है चित्रा, मोहन और यूनुस की। गले तक पानी में फंसी गर्भवती चित्रा को यूनुस और उसके मित्रों ने बाहर निकाल कर अस्पताल पहुंचाया था। अब इस दंपति ने आभार प्रकट करने के लिए अपनी बेटी का नामकरण यूनुस के नाम पर किया है।
उस घटना को याद करते हुए यूनुस ने बताया कि दो दिसंबर की रात को मैं अपने दोस्तों की मदद के लिए उडपक्कम इलाके में था। यह बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में एक था। इसी बीच किसी औरत के चीखने की आवाज आई। यूनुस ने बताया कि शुरू में हमलोग डर गए। लेकिन, फिर मुझे लगा कि कोई महिला प्रसव पीड़ा से गुजर रही है।
हमने सबसे पहले उस परिवार को नाव से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इसके बाद महिला को पेरुंगलातुर के अस्पताल में भर्ती करा दिया। यूनुस ने बताया कि 15 मिनट के उस सफर को भुलाना मुश्किल है। कुछ दिनों बाद मोहन ने संदेश भेजा कि चित्रा ने बेटी को जन्म दिया है और उनलोगों ने बेटी का नामकरण यूनुस के नाम पर किया है। यूनुस ने कहा कि वह जल्द ही बच्ची को देखने जाएगा और उसकी पढ़ाई का सारा खर्च उठाएगा।