Sunday, November 24, 2024
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उ.प्र. के राज्यपाल श्री राम नाईक ने संपादक को बताया मुंबई का इतिहास और इसका महत्व

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने लंदन के दैनिक समाचार पत्र ‘इनडिपेंडेंट’ के भारतीय मूल के संपादक अमोल रंजन के उस बयान पर नारजगी व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका अखबार मुंबई की जगह अब ‘बॉम्बे‘ शब्द का ही प्रयोग करेगा क्योंकि मुंबई शब्द हिन्दुत्व का परिचायक है।

श्री राम नाईक ने मुंबई के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि- ‘मुंबई का अपना इतिहास है। मुंबई का नामकरण मुंबा देवी के नाम से किया गया था, जिसके नाम से मुंबई गांव बसा था। व्याकरण के अनुसार अनुवाद करते समय नाम विशेष में परिवर्तन नहीं होता। अमोल राजन भारतीय (बंगाल) मूल के हैं तो उनका नाम बंगाली में अमोल राजन है और अंग्रेजी में भी अमोल राजन हैं। ठीक उसी प्रकार मुंबई का मूल नाम मुंबई था वह अंग्रेजों के कारण बॉम्बे और हिंदी भाषिकों के कारण बम्बई हो गया।’

नाईक ने बताया कि ‘भारत का संविधान‘ के हिंदी संस्करण की मूल प्रति में बॉम्बे नहीं मुंबई ही लिखा है। इस भूमिका में उन्होंने यह विषय सर्वप्रथम लोकसभा में 29 दिसम्बर, 1989 को उठाया था। लोकसभा अध्यक्ष ने उनके पक्ष को सही मानते हुए हिंदी में बम्बई के बदले मुंबई लिखने का निर्देश दिया। अंग्रेजी नाम बदलने के लिए राजस्व संहिता के अनुसार यह अधिकार राज्य सरकार को दिया गया। उनकी पहल पर राज्य सरकार ने शहर का नाम अंग्रेजी में भी मुंबई करने का निर्णय 28 जुलाई 1994 को लेकर केंद्र सरकार को भी नाम परिवर्तन का आग्रह किया। वें स्वयं भी केंद्र सरकार से चर्चा करते रहे। आखिरकार केंद्र सरकार ने भी 15 दिसम्बर, 1995 को बॉम्बे का नाम अंग्रेजी में मुंबई करने का निर्णय किया। उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और पी.वी. नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे और गृह मंत्री शंकरराव चव्हाण थे। शहर का नाम मुंबई होने से महाराष्ट्र के सभी नागरिकों को गौरव का अनुभव हुआ।

नाईक ने आगे कहा है कि ‘इतना ही नहीं बाद में अन्य प्रदेशों ने भी इस राह पर चल दिए, जिसके कारण मद्रास का चेन्नई, कलकत्ता का कोलकाता, बैंग्लौर का बैंगलुरु और त्रिवेंद्रम का थिरुअनंतपुरम नाम परिवर्तन किया गया। केवल भारत ही नहीं सीलोन ने भी अपना नाम बदलकर श्रीलंका, बर्मा का म्यांमार और चीन ने भी पेकिंग का नाम बदलकर बीजिंग किया है।

राज्यपाल ने कहा कि इंडिपेंडेंट पत्रिका के संपादक अमोल राजन इस विषय को समझकर अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेंगे, क्योंकि मुंबई नाम शहर की अस्मिता, इतिहास और गौरव से जुड़ा है’

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