राजस्थान के जोधपुर से एक रोचक मामला सामने आया है. जिसमें ओंकार लाल नाम के एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार 10 दिनों पहले ही कर दिया गया था. पूरे रस्म और रिवाज के साथ किये गये इस अंतिम संस्कार के बाद से पूरा परिवार दूखी था . परिजन ना तो ठीक से खा रहे थे और ना ही चैन से जी पा रहे थे. लेकिन 10 वें दिन कुछ ऐसा हुआ जिसकी उम्मीद शायद किसी को भी नहीं थी. 10 दिन बाद मृतक सही सलामत अपने घर लौट आया. पहले तो परिजन भी चौंक गये . परिजनों को भी विश्वास नहीं हुआ कि जिसका हमने अपने हाथों से अंतिम संस्कार कर दिया था आखिर वो वापस कैसे लौट आया. बाद में जब पूरा मामाला सामने आया तो परिजनों की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं रहा.
ओंकार लाल ने बताया कि वो 10 दिनों पहले घर में किसी को बताए बिना उदयपुर चला गया था. लेकिन वहां जाकर वो बीमार पड़ गया. इस कारण वहीं के एक अस्पताल में उसका इलाज चला. अस्पताल में 4 दिनों तक इलाज के बाद वो वापस अपने घर वापल लौट आया. लेकिन पैसे खत्म होने के कारण उसे 6 दिनों का समय लग गया. इधर, परिजन उसे ढूंढकर परेशान थे पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करने के बाद भी कोई फायदा नहीं हो रहा था. गूम होने के 4 दिनों बाद पुलिस को एक शव मिला. पुलिस ने बिना पंचनामा किये शव को ओंकारलाल का बता दिया. परिजनों ने भी इसे अपने घर का शव मान कर अंतिम संस्कार कर दिया.
परिजनों ने बताया कि ओंकार लाल के बेटों ने सर मुंडवाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया था. परिजनों ने बताया कि अंतिम संस्कार के दौरान निभाई जाने वाली हर विधि को पूरा किया गया था, लेकिन वे अब अपने घर के व्यक्ति को देखकर काफी खुश हैं. बच्चे भी अपने पिता को देख कर उससे लिपट गये. वहीं पुलिस ने अपनी गलती मानते हुए माफी मांगी है. ओंकार लाल की पत्नी का कहना है कि उसे कहीं ना कहीं ये लगता था कि उसके पति जिंदा है और वे एक ना एक दिन जरूर लौटेंगे. वहीं ओंकार का कहना है कि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि घर लौटकर उसे ऐसा नजारा देखने को मिलेगा.