डॉक्टरों की लापरवाही से मरीज की मौत या अन्य किसी परेशानी होने पर अस्पताल प्रशासन की ओर से अक्सर मरीज के इलाज से जुड़े दस्तावेज देने से मना किया जाता है, जबकि नियमत ऐसा नहीं करना चाहिए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अपने सभी सदस्यों को इस संदर्भ में बने कानून के प्रति प्रशिक्षित करने का फैसला किया है, जिससे मरीजों को इस परेशानी से बचाया जा सके और डॉक्टरों के साथ बिगड़ रहे रिश्ते भी बेहतर बन सके। मेडिकल काऊंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने सभी अस्पतालों को मरीजों का मेडिकल रिकॉर्ड रखने और उन्हें मरीज को उपलब्ध कराने के बारे में सख्त निर्देश दिए हैं।
तीन साल तक रखना होगा रिकार्ड
एमसीआई के मुताबिक, प्रत्येक डॉक्टर को अपने मरीज का रिकॉर्ड 3 साल तक निर्धारित नियम के अनुसार रखना होगा। यह रिकॉर्ड मरीज या उनके तिमारदार या कानूनी रूप से मांगे जाने के 72 घंटे के भीतर प्रस्तुत भी करना होगा। ऐसा नहीं होने पर जुर्माने के साथ कार्रवाई का प्रावधान है।
मरीजों को है हक
आईएमए के उपाध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बताया कि मरीजों को अपना मेडिकल रिकॉर्ड मांगने का हक है और अस्पतालों को यह प्रदान करने में कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस नियम की जानकारी के लिए हम हमने सभी ढाई लाख सदस्यों को इसकी पूरी जानकारी देंगे, जिससे जरूरत पड़ने पर मरीजों को परेशानी न हो।