सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों की आलोचना करने और कथित रूप से राजनीतिक तंत्र को बदनाम करने वाली सोशल मीडिया पोस्ट्स के लिए दूरदराज के लोगों को पुलिस द्वारा समन भेजने के चलन पर चिंता जाहिर की है। कोलकाता पुलिस को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आम नागरिकों को सरकार की आलोचना करने के लिए प्रताड़ित नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में कहा, ‘सरकारी तंत्र की आलोचना और उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट्स डालने पर हम नागरिकों को देश के एक कोने से दूसरे कोने नहीं भेज सकते हैं।’ पुलिस को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘ऐसी पोस्ट को आधार बनाकर लोगों को एक कोने से दूसरे कोने घसीटने की हरकत बंद करें। हम बोलने की स्वतंत्रता (Freedom Of Speech) पर रोक नहीं लगने देंगे।’
दरअसल, दिल्ली निवासी रोशनी बिस्वास (29) ने लॉकडाउन के मानदंडों को लागू नहीं करने को लेकर सोशल पोस्ट्स के जरिये पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की थी। इन पोस्ट में महिला ने कोरोना महामारी के बीच कोलकाता के भीड़भाड़ वाले राजा बाजार इलाके की तस्वीर शेयर की थीं और लॉकडाउन के नियमों को लेकर ममता सरकार की ढिलाई पर सवाल उठाए थे। इसके बाद बंगाल पुलिस ने महिला को समन जारी करते हुए कड़ी चेतावनी दी थी।
पुलिस ने इस संबंध में विशेष समुदाय के खिलाफ नफरत भड़काने का आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी दर्ज की थी। चूंकि उस इलाके में एक समुदाय विशेष की ज़्यादा आबादी है, इसलिए पुलिस ने पोस्ट को सांप्रदायिक नफरत भरा करार दिया। इस मामले में याचिकाकर्ता ने सबसे पहले मई के महीने में दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने उसकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट जाने की सलाह दी थी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने महिला की फेसबुक पोस्ट को लेकर उसे पूछताछ के लिए पुलिस के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा था। रोशनी ने अपने वकील महेश जेठमलानी के माध्यम से पुलिस द्वारा उन्हें समन जारी करने को चुनौती दी और कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल पुलिस को फटकार लगाई है।
लोगों को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (A) के तहत दी जाने वाली बोलने की आजादी के अधिकार का हवाला देते हुए जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा, ‘सीमा को पार न करें। भारत को स्वतंत्र देश बने रहने दीजिए। सुप्रीम कोर्ट के रूप में हम बोलने की आज़ादी की रक्षा के लिए यहां हैं। संविधान ने इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट बनाया ताकि यह
सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य आम नागरिकों को प्रताड़ित न करें।’
पीठ का यह भी कहना था, ‘सरकार की आलोचना वाले सोशल मीडिया पोस्ट्स के लिए रोशनी को पुलिस द्वारा समन भेजना बोलने के अधिकार के साथ छल है। किसी भी नागरिक पर सिर्फ यह कहने के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है कि सरकार कोरोना महामारी से निपट पाने में असफल सिद्ध हो रही है।’ पीठ ने कहा, ‘कल को कोलकाता, चेन्नई, मुंबई और
मणिपुर की पुलिस भी यही करेगी और देश के सभी राज्यों के लोगों को कड़ी चेतावनी देते हुए समन भेजने लगेगी’।
राज्य सरकार के काउंसिल ने इसके बाद बीच का रास्ता निकालते हुए कहा कि कोलकाता पुलिस दिल्ली जाकर महिला से पूछताछ करेगी। इसलिए महिला को जांच में सहयोग करने को कहा जाए। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस पर रजामंदी दी।
#न्यायधीश_महोदय_सुप्रीम-कोर्ट,
आपकी भूरी भूरी प्रशंसा करता हूं,
आम-आदमी, जनता को, आपने सही ढंग से बोलने की बोलने की आजादी दी?
साथ ही साथ एक प्रश्न भी,
आपसे पूछना चाहता हूं ,
हाई कोर्ट द्वारा दिया गया STAY ❓
इसके कितने दिन के लिए Validity
माना जाए ✊
इसकी Expiry date डेट क्या है❓
8369091485