अलग-अलग एजेंसियों से जुटाये गए आंकड़ों के आधार पर मध्यप्रदेश में पनप रहे अपराधों को लेकर मध्यप्रदेश को कटघरे में खड़ा किया जाता रहा है. मध्यप्रदेश किन किन अपराधों में सिरमौर बना हुआ है, इसको लेकर तीखी आलोचना की जाती रही है. रोज-ब-रोज सिर उठाते अपराधों पर ना केवल नकेल डालने की कोशिश शिवराजसिंह सरकार ने की है बल्कि चेतावनी दी है कि देश, प्रदेश और महिलाओं पर कुदृष्टि रखने वालों को जेल के भीतर सडऩा पड़ेगा.
संभवत: अपराधों के खिलाफ ऐसा कड़ा फैसला करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है जो आने वाले समय में देश के लिये नजीर बनेगा. वर्ष 2005 नवंबर में जब शिवराजसिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही उन्होंने संदेश दे दिया था कि महिलाओं और बच्चों के साथ अन्याय को वे बर्दाश्त नहीं करेंगे. यह भी सच है कि उनकी मंशा के खिलाफ भी समय-समय पर महिला अपराधों के मामले आते रहे हैं. यहीं पर विरोधियों को शिवराजसिंह सरकार को कटघरे में खड़ा करने का अवसर मिलता रहा है. हालांकि विरोधियों को इस बात का इल्म नहीं था कि वे शिवराजसिंह सरकार का विरोध कर मध्यप्रदेश का विरोध कर रहे हैं. कोई अपराध घट रहा है तो वह समाज के लिए घातक है और इसका प्रतिकार सामूहिक रूप से किया जाना चाहिए लेकिन दलगत और विरोध की राजनीति के चश्मे से देखे जाने के कारण ही अपराधियों के हौसले बुलंद हो चले थे.
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मध्यप्रदेश से अपराधों को जड़ से समाप्त करने के लिए कृत-संकल्पित हैं लेकिन इतने बड़े प्रदेश से अपराधों को नेस्तनाबूद करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन जब ठान लिया जाए तो कोई रास्ता मुश्किल नहीं होता है. पिछले दो वर्षों में अपराधियों के ठिकानों और उनके अवैध निर्माण को जमींदोज करने का जो साहस शिवराजसिंह सरकार ने दिखाया है, उससे अपराधियों के हौसले पस्त हुए हैं. नये अपराधों पर अपेक्षाकृत अंकुश लगा है और अपराधियों में डर का माहौल पैदा हुआ है. देश के गृहमंत्री श्री अमित शाह जब इस बात का तस्दीक करते हैं कि शिवराजसिंह सरकार ने सिमी को नेस्तनाबूद कर दिया तो वे हवा में नहीं कह रहे होते हैं. अपराधियों के साथ निर्ममता समाज में शुचिता के लिए जरूरी है. हालांकि सामाजिक ताना-बाना ऐसा है कि अपराध होते रहेेंगे लेकिन जिन अपराधों को काबू में करने के लिए शिवराजसिंह सरकार ने हालिया फैसले लिये हैं, उसका दल से नहीं दिल से समर्थन किया जाना चाहिए.
उपलब्ध जानकारी के अनुसार राज्य के 131 जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 12 हजार कैदियों की रिहाई की प्रस्तावित नीति की समीक्षा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह स्वयं कर रहे थे. उन्होंने सख्ती के साथ कहा कि राष्ट्र, राज्य और समाज को नुकसान पहुंचाने वाले अपराधियों को आखिरी सांस तक जेल के सलाखों के पीछे रहना होगा. आमतौर पर अच्छे चाल-चलन वाले कैदियों को आजीवन कारावास से कुछ समय पहले रिहा कर दिया जाता है. इस नीति की समीक्षा करते हुए सरकार का साफ किया है कि नाबालिग बच्चियों से बलात्कार एवं गैंगरेप के दोषी अपराधियों को सजा में कोई छूट नहीं दी जाएगी. इस सिलसिले में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने साफ किया कि इसी तरह उन आजीवन कैदियों जो आतंकी गतिविधियों में लिप्त, जहरीली शराब बनाने के दोषी, विदेशी मुद्रा से जुड़े अपराधी, दो या दो से अधिक हत्या के प्रकरण में दोषी अपराधी के साथ ही राज्य के विरूद्ध अपराध करने वाले तथा सेना से संबंधित अपराध करने वालों को सजा में कोई रियायत नहीं मिलेगी.
राज्य सरकार का यह फौरी फैसला मजबूत मध्यप्रदेश की नींव रखने में कारगर होगा. अब तक झूठे सबूतों के आधार पर जो लोग सजा से खुद को बचाते आये हैं, उनके लिए खतरे की घंटी बज गयी है. संभवत: देश का मध्यप्रदेश पहला राज्य होगा जहां अपराध और अपराधियों के खिलाफ कड़े फैसले पर मुहर लगायी गयी है. मध्यप्रदेश से यह संदेश पूरे देश को जाएगा और अपराधों पर नियंत्रण पाने की एक सशक्त शुरूआत मानी जा सकती है. मध्यप्रदेश और शिवराजसिंह चौहान अपने नवाचारी फैसलों के लिए जाने जाते हैं और इस क्रम में यह स्वागत योग्य फैसला है. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का तर्क था कि जिन अपराधियों को कारागार में अच्छे आचरण के लिए समय से पहले रिहाई दी जाएगी, वे वापस समाज में जाकर अपराध नहीं करेंगे, इसकी गारंटी कौन लेगा. उनका तर्क जायज है और इस पर सख्ती बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि अदालत ने जितने वर्षों की सजा मुकर्रर की है, वह भोगना ही होगा और अंतिम सांस तक बलात्कारियों को खुली हवा में सांस लेने की आजादी नहीं होगी. राज्य सरकार के इस फैसले को सर्वसम्मति से स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि दलगत और विरोध के लिए विरोध करने का अर्थ होगा अपने ही प्रदेश का विरोध.
(लेखक राष्ट्रीय व सामाजिक विषयों पर लिखते हैं)