हाल ही में केंद्र सरकार ने 300 से अधिक दवाओं पर प्रतिबंध लगाया था। इनमें से कई दवाएं तो ऐसी हैं, जिनका नाम बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर किसी को पता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इन दवाओं को सरकार द्वारा प्रतिबंधित कराने के पीछे किस शख्स का हाथ है?
तो चलिए हम बताते हैं कि आखिर कौन है वो शख्स जिसकी वजह से इतनी बड़ी मात्रा में दवाओं पर प्रतिबंध लग गया। दरअसल, उस शख्स का नाम है एस श्रीनिवासन। वैसे तो श्रीनिवासन की खुद की एक फार्मा कंपनी है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने 343 नुकसानदेह दवाओं को प्रतिबंधित करा दिया।
श्रीनिवासन साल 2003 से ही इन कामों में लगे हुए हैं। वह कोर्ट में याचिकाओं के जरिये लगातार उन दवाओं पर रोक लगवाने की मांग करते हैं जिनका निर्माण वैज्ञानिक आधार पर न होकर सिर्फ व्यापारिक हितों के लिए यानी कि फायदे के लिए होता है।
66 वर्षीय श्रीनिवासन काफी पढ़े-लिखे हैं। उन्होंने आईआईटी खड़गपुर और आईआईएम बेंगलुरु से पढ़ाई की है। इसके अलावा अमेरिका के एक निजी रिसर्च विश्वविद्यालय जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी से उन्होंने ‘एपिडिमिऑलजी’ यानी दवाओं के वितरण और रोग संबंधी पढ़ाई की है।
उनकी एक छोटी सी फार्मा कंपनी भी है, जिसे उन्होंने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर खोली है। इस फार्मा कंपनी के जरिए वो लोगों की सेवा करते हैं। उनकी कंपनी का नाम ‘लो कॉस्ट स्टैंडर्ड थिरैप्यूटिक्स’ (Locost) है, जिसका कार्यालय गुजरात के वडोदरा में है। इस कंपनी से जुड़े उनके साथी ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का इलाज कर रहे हैं।
श्रीनिवासन का कहना है कि उनकी फार्मा कंपनी ज्यादा फायदा तो नहीं कमा पाती, लेकिन इतनी जरूर कमाई हो जाती है कि कंपनी के कर्मचारियों को तनख्वाह दी जा सके। उनका कहना है कि फार्मा कंपनियां आजकल लोगों की सेवा को ध्यान में रखते हुए नहीं, बल्कि फायदे को ध्यान में रखकर दवाओं का निर्माण करती हैं। इसलिए ऐसी दवाओं पर रोक लगनी चाहिए।
बता दें कि जिन दवाओं को प्रतिबंधित किया गया है, उनका कारोबार करीब 4 हजार करोड़ रुपये का है। यह दवाएं फिक्सड डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) हैं। देश में इन दवाओं के करीब 6 हजार से अधिक ब्रांड हैं, जिनमें से सेरिडॉन, डीकोल्ड, फेंसिडिल, जिंटाप काफी प्रसिद्ध हैं। इस कदम से सन फार्मा, सिप्ला, वॉकहार्ट और फाइजर जैसी कई फार्मा कंपनियों को तगड़ा झटका लगा है।
प्रतिबंधित दवाओं की लिस्ट में 343 दवाएं शामिल हैं, जिनको एबॉट, पीरामल, मैक्लिऑड्स, सिप्ला और ल्यूपिन जैसी दवा निर्माता कंपनियां बनाती हैं। इन 343 दवाओं पर प्रतिबंध लगाने के बाद मेडिकल स्टोर पर इनकी बिक्री गैरकानूनी होगी। अगर किसी मेडिकल स्टोर पर यह दवाएं बिक्री होते हुए पाएं गई तो फिर दवा निरीक्षक अपनी तरफ से उस मेडिकल स्टोर संचालक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा सकता है।
साभार- https://www.amarujala.com/ से