बाहर से आए पर्यटक लन्दन की टेम्स नदी की सुंदरता को देख कर चले जाते हैं . लेकिन इस शहर में नहरों का खूबसूरत जाल भी बिछा हुआ है जिसकी लंबाई 13 किमी से भी अधिक है. इसे रिजेंट और ग्रैण्ड यूनियन कैनाल प्रणाली कहा जाता है . इन नहरों का जाल मुख्य शहर के बीच में फैला हुआ है, इसकी शुरुआत लिटिल वेनिस, पैडिंगटन आर्म्स से होती है , और घूम फिर कर आख़िर में यह नहर लाइम हाउस पहुँच कर टेम्स नदी में मिल जाती हैं, और यह हैंपस्टेड, केंटिश , कैम्डन, लन्दन ज़ू , हेर्टफ़ोर्ट से हो कर गुज़रती है. कैनाल प्रणाली अब से 210 वर्ष पहले नगर में वैकल्पिक ट्रांसपोर्ट के लिए बनाई गई थीं. आज इसमें समान की आवाजाही भले ही कम हो गई है फिर भी इसका अपना अलग महत्व है .प्रणाली में पानी के प्रवाह को थोड़ी थोड़ी दूर बने लॉक्स के ज़रिए नियंत्रित किया जाता है . इन नहरों में बोटिंग का अलग ही मज़ा है क्योंकि यह कहीं पेड़ों से घने इलाक़े से तो कभी घनी बस्तियों से तो कहीं पार्कों, विक्टोरिया काल के खूबसूरत भवनों और वेयरहाउस की तरफ़ से हो कर गुजरती है।
इन दिनों लंदन में पतझड़ का मौसम चल रहा है, अगर पेड़ों के रंग बिरंगे रूप को देखना हो तो इसे देखने के लिए सबसे बढ़िया जगह कोई और नहीं मिलेगी . हमने इस गुनगुने ठंडे मौसम में जब नहरों के क्षेत्र में घूमना शुरू किया तो पता चला कि रीजेंट और ग्रैंड कैनाल में हज़ारों की तादाद लोग अलग अलग आकार प्रकार की बोट में स्थाई रूप से रह रहे हैं।
लन्दन में इन दिनों आवास की समय काफ़ी गम्भीर हो गई है . इसका कारण यहाँ मकानों और फ्लैट की बढ़ती क़ीमतें हैं, डिटैच्ड और सेमी डिटैच्ड घरों की बात छोड़ दीजिए, टेरेस घर भी एक एक मिलियन पाउंड के हो गए हैं . यही नहीं हाल ही के वर्षों में ब्रिटेन में होम लोन पर ब्याज दरें बेतहाशा बढ़ी हैं . इस कारण भी लन्दन में घर के लोन की मासिक किश्त चुकाना मध्यम वर्ग के लोगों की पहुँच से बाहर की बात होती जा रही है . यही हाल मकान और फ्लैट के किराए की है, लंदन के दूर दराज उपनगरों तक में किराए पर मकान लेना चुनौती भरा हो गया है . ऐसे में जिनका जन्म और परवरिश लंदन में हुई है उनके सामने दो ही विकल्प बचे हैं. या तो लंदन छोड़ कर किसी दूर दराज के छोटे शहर में शिफ्ट हो जाएं या फिर कोई ऐसा विकल्प खोजें जो उनकी आमदनी के हिसाब से सुविधाजनक हो।
इसलिए बहुत सारे मध्यम वर्गीय परिवारों ने बोट ख़रीद कर लन्दन में फैले हुए कैनाल तंत्र में विशेषकर हैकनी विक, अपर क्लैप्टन, हैकनी मार्शेज़ , टैलेन हैम क्षेत्र में बॉट को अपना घर बनाने का विकल्प चुन लिया है।
अल्पर्टन में ग्रैंड यूनियन कैनाल इलाक़े में घूमते हुए एक योगा प्रशिक्षक से हमारी मुलाक़ात हुई , ये कुछ महीनों से बोट में रह रहे हैं . इन्होंने मात्र नब्बे हज़ार पाउंड में बोट ख़रीद कर कैनाल में रहना शुरू किया है .वे इस निर्णय के बाद बेहद खुश हैं, उनका कहना है कि उन्हें आवास की मद में हर महीने केवल £560 का खर्चा करना पड़ रहा है . इसमें £360 बोट ऋण की किश्त , £50 कोयले , £90 बोट की लाइसेंस फ़ीस , £20 डीज़ल , £7.50 गैस , £33 वाई फ़ाई के खर्चे शामिल हैं .जो उनके अन्य रिश्तेदारों और मित्रों द्वारा फ्लैट या घर के लिए अदा किए जाने वाले मासिक किश्त और बिलों से एक चौथाई से भी कम हैं. लेकिन उनका यह भी मानना है कि बोट पर रहना कोई जीवन शैली चुनाव नहीं वरन् तेज़ी से महँगे होते लन्दन शहर में रहने की मजबूरी है।
अब लन्दन की नहरों में बोट को अपना घर बनाने वालों की चुनौतियों की बात भी कर लेते हैं. पानी में रहने की अपनी समस्याएँ हैं , बारिश में बोट में रहना आसान नहीं है , गर्मी के मौसम में मच्छर, कीड़े मकोड़ों से बचाव करना पड़ता है . बोट में रह कर पानी लीकेज की समस्या भी आती है, कई बार पूरी रात प्लंबिंग से जूझते बीतती है. हर दो सप्ताह में बोट को मूव भी करना होता है. सीआरटी बोट-रहवासियों को तंग करती रहती है, पिछले दिनों में इस नियामक संस्था ने बोट को किनारे खड़े करने के स्पॉट कम कर दिए हैं. इसे ले कर पिछले साल मार्च महीने में बोट रहवासियों ने ज़बरदस्त धरने प्रदर्शन भी किए थे.
लेकिन कैनाल में रहने के अपने मजे भी हैं, बोट की अंदरूनी बनावट और सजावट किसी भी सुसज्जित फ्लैट को टक्कर देती मिलती है . बोट चलता फिरता घर है , अपने इस तैरते घर में रविवार को सुबह सवेरे पैडिंगटन की ख़ूबसूरती से दो चार हो सकते हैं , अपनी पसंदीदा उस बिल्डिंग के नीचे अपनी बोट खड़ी कर के उन दृश्यों का मज़ा ले सकते हैं जहां फ्लैट ख़रीद कर रहने के लिए कई मिलियन पाउंड खर्च करने पड़ेंगे . अक्तूबर बोट में रहने वालों के लिए काफ़ी बढ़िया महीना है क्योंकि कैनाल के दोनों किनारों के पेड़ों पर जो फॉल कलर आते हैं वे अन्यत्र रहने वालों के लिए देखना मुश्किल ही है.
एक आम कैनाल बोट के अंदर वे सारी सुख सुविधा उपलब्ध होती हैं जो एक घर या फ्लैट में रहती हैं , बोट ख़रीदते समय अगर थोड़ा पैसा अधिक लगा दिया जाए तो उसमें सुपर लक्ज़री ज़िन्दगी का मज़ा आ जायेगा. लेकिन इस जीवन शैली को लोग बाग शौक़ में नहीं मजबूरी में ही अपना रहे हैं.
(लेखक लन्दन की यात्रा पर हैं और वहाँ की जीवन शैली व संस्कृति पर नियमित लेखन कर रहे हैं)