बिलासपुर रेल मंडल के मैकेनिकल विभाग ने बच्चों के खिलौने वाली गाड़ी को परिस्कृत कर इसका इस्तेमाल कोचिंग डिपो में पहुंचने वाली ट्रेनों के पुर्जों की जांच करने के लिए टेक्नोलॉजी के रूप में ईजाद किया है। इसके लिए बच्चों की बैटरी ऑपरेटेड कार में रिकार्डिंग कैमरे और एलईडी लाइट से लैस कर उसे रिमोट के जरिए हर कोच के नीचे से गुजारते है।
इस दौरान कैमरा पुर्जों की तस्वीर को कैद करता है। फिर रिकार्डिंग के माध्यम से तकनीकी अधिकारी पुर्जों का परीक्षण कर हर छोटी-छोटी खराबियों को परख लेते हैं। इस जुगाड़ की टेक्नालॉजी से ट्रेन अपडेट हो जाती है।दरअसल कोचिंग डिपो में ट्रेनों का मेंटेनेंस किया जाता है।
इसके लिए अलग से पिट लाइन बनाई जाती है। जहां कर्मचारी ट्रेन के कोच की धुलाई व सफाई करते हैं। ट्रेन के नीचे के हर पुर्जे की जांच होती है, लेकिन नीचे पुर्जे पर कई बार कर्मचारियों की नजर नहीं पड़ पाती है। यही चूक हादसे का कारण बन जाती है।
इसे देखते हुए मैकेनिकल विभाग ने इस प्रयोग का उपयोग किया है। यह ईजाद की गई टेक्नोलॉजी बहुत कम कीमत पर तैयार की गई है। बाजार में 7-8 हजार कीमत पर बिकने वाली रिमोट से चलने वाली बच्चों की कार में दो 3 मेगा फिक्सल एचडी आउट डोर बुलट कैमरे व चार एलईडी लाइट लगाई गई हैं। कैमरे से ट्रेन के निचले हिस्से की रिकार्डिंग होती है और लाइटें साफ फिक्चर तैयार करने में मदद करती हैं।
इस टेक्नोलॉजी के तहत मैकेनिकल विभाग ने एक साफ्टवेयर भी तैयार किया है। आईवीएमएस 4500 नाम के इस साफ्टवेयर के जरिए रेलवे के अधिकारी चेंबर में बैठे-बैठे ही परीक्षण के दौरान कैमरे की रिकार्डिंग को देख सकते हैं। इसके लिए बैटरी कार में डीपीआर बॉक्स लगाया गया है।
साभार- http://naidunia.jagran.com से