विश्लेषण मंच एसओआईसी के अनुसार सेंसेक्स तथा क्रेडिट लियोनिस सिक्योरिटीज एशिया आधारित रिपोर्ट्स के हिसाब से देश की जीडीपी में हिस्सेदारी के मामले में उत्तरप्रदेश दूसरे स्थान पर आ गया है।
आइये जानते हैं की योगी का उत्तरप्रदेश कैसे आज से 7 साल पहले असंभव से लगने वाले इस लक्ष्य को हासिल कर आगे बढ़ते हुए भारत के जीडीपी योगदान में प्रथम स्थान हासिल करने हेतु निरंतर प्रगतिशील है। किसी भी प्रदेश के लिए ऐसे बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए मात्र घरेलू बाजार की निर्भरता को खत्म कर अपने निर्यात से पूरी दुनिया में व्यापारिक पैठ बनाने की आवश्यकता होती है। घरेलू बाजारों की मांग एवं क्रय शक्ति सीमित होती है जो एक सीमित राजस्व ही पैदा करने में सक्षम होती है। एक्सपोर्ट के माध्यम से एक विशालकाय बाजार के साथ अच्छे लाभ एवं राजस्व प्राप्ति का रास्ता भी खुलता है।
उत्तर प्रदेश के राज्य निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो की डाटा के अनुसार 2016-17 में प्रदेश का निर्यात 84,000 करोड रुपए का था जो 2022-23 में बढ़कर दोगुने से अधिक यानी 1,74,000 करोड़ का हो गया है। वित्तवर्ष 2023-24 में सरकार द्वारा 2 लाख करोड़ के निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
केंद्र की मोदी सरकार ने राज्यों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए देशभर के कुछ महत्वपूर्ण शहरों को सेंटर ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस घोषित किया है जिससे कि निर्यात को एक समेकित विकास में सम्मिलित किया जा सके। एक्सपोर्ट एक्सीलेंस वाले शहरों में ऐसे शहरों को चयनित किया जाता है जिसकी उत्पादन सीमा 750 करोड रुपए से अधिक की हो और निर्यात क्षमता भविष्योन्मुख हो। आज भारत भर में केंद्र सरकार के द्वारा चिन्हित किए गए 43 सेंटर आफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस हैं। इनमें 12 सेंटर अकेले उत्तर प्रदेश में है जो इस प्रदेश के निर्यात सामर्थ्य को बताते हैं।
(लेखक पत्रकार हैं और विभिन्न विषयों पर लिखते रहते हैं।)