Wednesday, December 25, 2024
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सार्थक का निराला एवँ स्त्री लेखन अंक

सार्थक का “#निराला जी एवं #स्त्रीलेखन को समर्पित #विशेषांक‘ (फरवरी-मार्च संयुक्तांक) अनेक महत्वपूर्ण कविताओं, कहानियों, लेखों तथा अन्य सामग्री सहित आपके सम्मुख प्रस्तुत है। यह अंक कई स्थलों पर आपकी संवेदना को झकझोरेगा और विचार करने को बाध्य करेगा। अंक को नीचे दिए लिंक को क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।

‘सार्थक’ के जनवरी अंक को 12,000 से अधिक पाठकों ने पढ़ा था। आशा है लेखकों की रचनाधर्मिता को और भी बड़े एवं समृद्ध पाठकवर्ग तक पहुँचाने में आप गतांक की भाँति सहयोगी बनेंगे। लेखकों एवं पाठकों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद के साथ निवेदन है कि वे पत्रिका को अपने मित्रों परिचितों से भी बाँट सकते हैं। 

निस्सन्देह अवांछित रूप से अंक में विलम्ब हुआ है, संयुक्त अंक बनाना पड़ा है, किन्तु उन कारणों की मीमांसा न करते हुए अंक आपके हाथ में सौंप रही हूँ। आप रचनाओं को पढ़िए, विचार करिए और अपने विचारों से हमें अवगत भी कराइए।पत्रिका अभी एकदम नई है और निरन्तर विशिष्ट रचनात्मक सामग्री देने का हमारा प्रयास रहता है, अपने सीमित संसाधनों में कुछ प्रयोग हम कर रहे हैं, आपकी प्रतिक्रियाएँ व समय बताएगा कि ये प्रयोग कितने कारगर हैं या नहीं हैं। आपका लेखकीय व पाठकीय सहयोग पत्रिका में आपकी भागीदारी सुनिश्चित करेगा। 

हिन्दी से बिलकुल वास्ता न रखने वाले कुछ छात्रों के इस प्रयास में जिस प्रकार हम उनके सहयोग में उनके साथ खड़े हैं, आशा है आप भी उसी प्रकार उनके साथ खड़े होने में गर्व करेंगे। इन युवाओं का मनोबल बना रहे और ये निरन्तर अभिरुचिसम्पन्न गुणवत्तापूर्ण पठनसामग्री आप तक पहुँचाते रह पाएँ, कामना है। पत्रिका पर आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा रहेगी – http://bookcuriosity.com/saarthak_newedition.php

 
सम्पादक की कलम से  
 – कविता वाचक्नवी
धरोहर 
  • निराला जी के चित्र और हस्तलिखित कविताएँ
संस्मरण 
  • निराला जी : संस्मरण​  – पण्डित नरेन्द्र शर्मा
  • ​निराला जी के प्रति – ​पण्डित नरेन्द्र शर्मा
विमर्श 
  • रचना प्रक्रिया –  हीरालाल बाछोतिया
  • मेक इन इंडिया मिशन​ ​: चुनौतियों को चीरता भारत विनिर्माण केन्द्र ​ – ओम विकास ​
भाषा 
  • मणिपुरी कहावतों में स्त्री – ई. विजय लक्ष्मी
विचार / आलेख
  • भारतीय साहित्य, जन-समाज एवं संस्कृति : अंत: संवाद  – देवराज ​
  • वसन्त पंचमी और निराला : पुष्पिता अवस्थी
  • हिन्दी के महिला नाटककार – आशा
  • मैला आँचल : पुनर्पाठ – ब्रज किशोर झा ​
  • ​रामकथा का स्त्री विमर्शात्मक पुनर्पाठ ​: ओल्गा कृत ‘विमुक्ता’ –  जी. नीरजा
  • सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविताओं का शिल्प पक्ष – संजय प्रसाद श्रीवास्तव
  • महाकवि और कलाकार का मिलन  – रोहित कुमार ‘हैप्पी’
  • महाप्राण निराला : ताक रहा है भीष्म सरों की कठिन सेज से !​  – चन्द्र कुमार जैन ​
  • स्त्री मुक्ति का व्याकरण और चित्रा मुद्गल की कहानियाँ –   सरोज कुमारी शर्मा
  • निराला व प्रकृति​  –  ऋचा द्विवेदी ​
कविता
  • मर्दिता, लाज न आवत आपको, स्वेच्छाचार, गाड़िया लुहारिन का प्रेमगीत, जाने कैसी स्त्री थी वह, बनाया था माँ ने वह चूल्हा, औरतें औरतें नहीं हैं  – ऋषभदेव शर्मा
  • पारसमणि को याद करते हुए, सरस्वती, क्वीन विक्टोरिया को भी सर्दी नहीं लगती, कन्याकुमारी   – राजेश्वर वशिष्ठ
  • चाणक्य की याद में, ओ सड़क किनारे पटरियों पर सोती हुई स्त्रियो !  –  वन्दना शर्मा
  • सुनो, इतना आहिस्ते मत मारो  – जया जादवानी
  • मीत मिलेंगें, सपनों में मिलने वाले – सुधेश
  • जीवन – उषा वर्मा
  • भिक्षां देहि, समर शेष है  – प्रतिभा सक्सेना
  • बदलता वक्त, अवशेष  – मीना चोपड़ा
  • स्वप्ननगरी सैन  फ़्रांसिस्को  –  शकुन्तला बहादुर
कहानी
  • उसकी जमीन, ग्लेशियर पिघल गया  : उषा वर्मा
  • अस्सी हूरें  – उषा राजे सक्सेना
  • पेंडुलम  – सिनीवाली शर्मा
  • फेर दिया पानी – प्रतिभा सक्सेना
  • नवौढ़ा  – अर्पिता शर्मा
  • जैकपॉट – शन्नो अग्रवाल
  • मियाँ मिसिर  – नीरज कुमार नीर
यात्रा वृत्तान्त 
  • विश्व धरोहर अंगकोरवाट से चर्चित कम्बोडिया​ ​- सन्तोष श्रीवास्तव
मीडिया / तकनीक 
  • आधुनिक युग में शिक्षण की नई तकनीक : एक विश्लेषण  – संजय प्रसाद श्रीवास्तव
लघुकथा 
  • लघुकथाएँ  – रोहित कुमार हैप्पी
नवांकुर 
  • तृष्णा –  निवेदिता दिनकर
कला 
  • सर्वाधिक लोकतंत्रीय और मनोरम, किन्तु विस्मृत काव्य-विधा :’नचारी’  – प्रतिभा सक्सेना ​
  • सांस्कृतिक दुर्घटना​ :​ भोजपुरी सिनेमा में गायक से नायक बनने की परम्परा- रविराज पटेल
पुस्तक चर्चा 
  • समाज भाषाविज्ञान : रंग शब्दावली : निराला काव्य  – ऋषभदेव शर्मा
  • रमणिका जी के लेखों में स्त्रीविमर्श के विविध आयाम  –  कुसुम लता
  • कोख से कब्र तक: स्त्री-विमर्श के विभिन्न रूप  –  रवीन्द्र कात्यायन
चिठिया हो तो हर कोई बाँचे
 

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

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