उज्जैन। सनातन काल से चली आ रही गुस्र्कुल शिक्षा पद्धति पर भारत में अब तक कोई केस स्टडी ही नहीं हुई है। यहां अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल सम्मेलन में तमिलनाडु से आई शोधार्थी अपर्णा रामन ने यह कहकर हजारों श्रोताओं को चौंका दिया।
सम्मेलन के सुझाव सत्र में अपर्णा ने कहा कि वे गुरुकुल शिक्षा पद्धति पर शोध कर रही हैं, मगर भारत में अब तक कहीं भी केस स्टडी मटेरियल नहीं मिला है। देश में कितने गुरुकुल हैं, वहां कौन-कौन सी शिक्षा दी जा रही है, कितने बच्चे शिक्षा पूर्ण कर समाज कल्याण में जुट चुके हैं और किसी प्रकार वे देश के विकास में योगदान दे रहे हैं, इसका कोई डेटा बेस तैयार नहीं है। जबकि पड़ोसी देश चीन में है। भारत में गुरुकुल समाज द्वारा पोषित हैं।
अगर सरकार से सहायता मिल जाए तो उनका उत्थान हो सकता है। अंतराष्ट्रीय गुरुकुल सम्मेलन के माध्यम से देशभर के गुरुकुल प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाने का मध्यप्रदेश शासन और भारतीय शिक्षण मंडल का प्रयास सराहनीय है। निश्चित तौर पर इससे गुरुकुल शिक्षा पद्धति की नई तस्वीर तैयार होगी।
भारतीय शिक्षण मंडल का जवाब- कुछ जगह केस स्टडी हुई मगर संकलन नहीं
पूरे मामले में मंच से भारतीय शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री संगठन मंत्री मुकुल कनिडकर ने कहा कि कुछ जगह केस स्टडी हुई है मगर उनका संकलन नहीं हो सका है। आईआईटी की एक छात्रा भी गुरुकुल शिक्षा पद्धति और कम्प्यूटर शिक्षा पर शोध कर रही है। जल्द ही केस स्टडी मटेरियल तैयार होगा।
यह सुझाव भी मिले
– गुरुकुल हर जगह नहीं खुल सकते मगर आरएसएस सरकारी स्कूलों को गोद लेकर वहां आचार्यों के माध्यम से संस्कृत वेद, शास्त्र और स्वावलंबन की शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था कर सकती है। शुरुआत सभी सरस्वती शिशु मंदिर स्कूलों से की जा सकती।
– गुरुकुल शिक्षा पद्धति से बच्चों और माता-पिता को वाकिफ कराने के लिए ग्रीष्मकालीन शिविर लगाए जाएं।
– आईआईटी और आईआईएम की तर्ज पर गुरुकुल भी खुलना चाहिए, जहां पढ़कर बच्चे आध्यात्मिक उन्नति के साथ तकनीकी का ज्ञान भी रखें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे भविष्य में अन्य विद्यार्थियों से पिछड़ जाएंगे। तय है भविष्य में मोबाइल, घड़ी से प्रिंटर की ईमेज बाहर निकालकर आप उसका भौतिक रूप से इस्तेमाल कर सकें। दुर्घटना में शरीर से अलग हुए अंग दोबारा जोड़ सकें।
साभार- https://naidunia.jagran.com से