बैकबेंचर मिथुन कुमार जिनकी ओर क्लास के टॉपर और शिक्षक देखते तक नहीं थे आज सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। निरंदत संघर्ष और चार बार यूपीएससी में असफल रहने के बाद आईपीएस बने मिथुन की कहानी को लोग इंटरनेट पर खूब सराह रहे हैं।
कर्नाटक कैडर के आईपीएस मिथुन कुमार जीके ने अपने जीवन के बीते कुछ लम्हों को फेसबुक पर साझा किया। एक औसत छात्र के रूप में मिथुन के निजी अनुभवों को जहां लोग खूब पसंद कर रहे हैं वहीं इनकी कहानी से अपने लक्ष्य के लिए कड़ी मेहनत करने का पाठ भी सीख रहे हैं।
मिथुन लिखते हैं कि ‘स्कूल के दिनों में मैं औसत छात्र था। क्लास में पीछे बैठना मेरी आदत ही नहीं मजबूरी बन गई थी। क्लास के टॉपर और शिक्षक मेरी ओर देखना भी पसंद नहीं करते थे। लेकिन मुझे पुलिस की वर्दी बचपन से ही पसंद थी। औसत पढ़ाई और लोगों का व्यवहार हर बार मेरी हिम्मत को हराने वाला होता था लेकिन दिमाग में पुलिस की वर्दी घूमती थी।
घर का बड़ा होने के कारण सेवानिवृत्ति की ओर पहुंच रहे मां बाप की मदद करना उस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत बन गई और सॉफ्टवेयर संबंधित नौकरी शुरू कर दी। कॉर्पोरेट नौकरी भी दिमाग से पुलिस की वर्दी का रुतबा धूमिल नहीं कर सकी। कुछ समय बीता और छोटा भाई नौकरी में आया।
उसके घर की जिम्मेदारी संभालने के लायक होते ही मैंने अपने लक्ष्य की ओर रुख किया और तैयारी शुरू की। चार बार यूपीएससी में असफलता भी पुलिस में जाने की मेरी जिद को हरा नहीं पाई और अंत में मैं आईपीएस बना।’
मिथुन से लोग पूछते हैं कि इतने संघर्ष के बाद सफलता मिली तो प्राशसनिक सेवा की जगह आईपीएस को क्यों चुना। मिथुन जवाब में कहते हैं कि मुश्किल में पड़ा व्यक्ति या तो अस्पताल जाता है या पुलिस के पास जाता है। इस लिए वह हमेशा से पुलिस में भर्ती होना चाहते थे।
मिथुन कहते हैं कि हमें कोई हरा नहीं सकता। हारना या जीतना दोनों हमारे दिमाग पर है। हमें निरंतर प्रयास करते रहने की जरूरत है। बिना प्रयास के हम नहीं जान सकते कि हम मंजिल के कितना करीब तक पहुंच सकते हैं। मिथुन कहते हैं कि मुश्किलें आएंगी लेकिन उनसे हारे बिना लड़ना होगा और आगे निकला होगा इसके बाद ही लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। वह हर इंसान को तरक्की के लिए निरंतर आगे बढ़ते रहने की सीख देते हैं।