Tuesday, November 26, 2024
spot_img
Homeआपकी बातउदयपुर कांड से हिंदू समाज क्या सीखेगा

उदयपुर कांड से हिंदू समाज क्या सीखेगा

राजस्थान का उदयपुर जिला जो केवल राजस्थान का ही नहीं वरन देश का के भी सबसे शांत और सुन्दर जिलों में एक माना जाता है । इसी उदयुपर जिले में नफरत से भरे रक्त पिपासुओं ने एक बहुत ही साधारण हिंदू दर्जी कन्हैयालाल की दुकान में घुसकर दिन –दहाड़े धारदार हथियार से निर्ममता पूर्वक उसकी हत्या कर दी । पूरे देश में दहशत फैलाने के उद्देश्य से हत्या का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी कर दिया । वीडियो में प्रधानमंत्री का भी यही हश्र करने की धमकी दी । हत्या कन्हैया लाल द्वारा नूपुर शर्मा का सोशल मीडिया पर समर्थन किये जाने के कारण उसको सबक सिखाना चाहते थे ।

इस समाचार के फैलने और उसके चलते आम जन का आक्रोष जब आग की तरह पूरे देश में फैलने लगा तो राजस्थान पुलिस हरकत में आयी और वीडियो में दिख रहे हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया । जनता के भारी आक्रोष को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी मामले की जांच एनआईए को सौंप दी है, अभी तक हत्यारों के दस सहयोगी हिरासत में लिये गये हैं तथा पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारियां भी सामने आ रही हैं।

उदयपुर के इस जघन्य हत्याकांड के बाद केवल राजस्थान ही नहीं वरन देशभर में आक्रोष व तनाव है। उदयपुर में कन्हैयालाल के अंतिम संस्कार में हजारों की भीड़ ने गगगनभेदी नारों के बीच उन्हें अंतिम विदाई दी। घटना के विरोध में हिंदू समाज व संगठनों की ओर से कन्हैयालाल हत्याकांड के विरोध में आहूत बंद व धरना प्रदर्शन में सड़कों पर भारी जनसैलाब उमड़ रहा था और जनमानस की एक ही मांग थी कि आरोपियों को तत्काल फांसी दी जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जाच करायी जाये ताकि पता चल सके कि आखिर लापरवाही कहां और कैसे हुई।

इस नृशंस घटना पर हो रही मीडिया बहसों के दौरान भी देश का एक बड़ा सेकुलर वर्ग घटना की निंदा करने में भी अपनी सेकुलर राजनीति के तहत मुस्लिम तुष्टिकरण में लगा था और मुस्लिम दरिंदों का बचाव करते हुए केवल नुपुर शर्मा के बयानों को ही घटना के लिए जिम्मेदार मान रहा था।

आश्चर्यजनक रूप से सुप्रीम कोर्ट के कुछ जज भी इसी सेक्युलर जमात में शामिल नज़र आए और निर्णय के स्थान पर प्रवचन दे डाला । इन जजों ने नुपुर शर्मा को उदयपुर की घटना सहित देश के आज के खराब वातावरण के लिए पूरी तरह नुपुर को ही जिम्मेदार बताकर देश से माफी मांगने की बात कही और यह भी कहा है कि एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने अभी तक उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया ?

नुपुर पर अदालत की इस टिप्पणी ( जो आदेश का अंग नहीं है ) के बाद सेकुलर जमात की बाछें खिल गयी हैं। आज सेकुलर जमात ऐसी बयानबाजी कर रही है जैसे उसे हिंदू समाज की आस्था व देवी देवताओं के अपमान का खुला लाइसेंस मिल गया हो। जमात नुपुर शर्मा की आड़ में राजस्थान सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों का खुलकर बचाव कर रही है। उसको लग रहा है कि अब उसे अधिकार मिल गया है कि वह अब शिवलिंग को फव्वारा कहती रहे और और मुस्लिम समाज के पापों को सही बताकर उनका संरक्षण करती रहे ।

अगर मान भी लिया जाये कि सभी फसksa के लिए नूपुर ही जिम्मेदार हैं तो फिर नूपुर को उकसाने वाले तस्लीम रहमानी को गिरफ्तार करने का आदेश माननीय न्यायालय ने क्यों नहीं दिया ? ओवैसी और तौकीर रजा जैसे लोग क्यों खुले घूम रहे हैं? सबा नकवी, महुआ मोइत्रा, रतन लाल जैसे तमाम नाम हैं जिन्होंने हिन्दू आस्था,प्रतीक और देवी देवताओं का अपमान किया इन्हें क्यों खुला घूमने दिया जा रहा है? माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जिस प्रकार से एकतरफा कड़ी टिप्पणी करी हैं उससे न्यायपालिका पर भी लोग संदेह ही करेंगे और उसका सम्मान कम होगा ।

सर्वोच्च टिप्पणी के कारण आज राजस्थान की सरकार व कटटरपंथी मुस्लिम संगठनो व उनकी हरकतों का बचाव करने वले राजनैतिक दलों में फिर एक नयी जान आ गयी है। सर्वोच्च अदालत से यह संदेश निकल रहा है कि हिन्दुस्तान में हिन्दुओं को ही बोलने की आजादी नही है, विचार-विनिमय की संस्कृति नहीं है, यहां पर धार्मिक किताबों से उद्वरण देकर जिरह की चुनौती नहीं दी जा सकती, यहां पर ईशनिंदा कानून लागू है और वास्तव में भारत धर्मनिरपेक्षता की आड़ में एक इस्लामिक मुल्क है।

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी से गरीब दर्जी कन्हैयालाल के हत्यारों का परोक्ष रूप से बचाव कर दिया है। अदालत ने बिना किसी प्रकार की विवेचना किए ही अपनी तथाकथित टिप्पणियां दे दी हैं जिसके कारण आज एक बार फिर देश में नफरत और आक्रोष का वातावरण उत्पन्न हो गया है। एक महिला जो पहले से ही घनघोर शत्रुओं से घिरी हुई थी उसके जीवन को न्यायालय ने ही और अधिक संकटों धकेल दिया है । एक पीड़ित की सहायता करने की बजाय न्यायलय ने उसे ”सर तन से जुदा“करने वाले भेड़ियों के हवाले कर दिया है । क्या अगर कल नुपुर शर्मा के परिवार के साथ कोई दुर्घटना घटित हो जाती है तो उसकी जिम्मेदारी टिपण्णी कार माननीय लेंगे ?

अदालत का कहना है कि नुपुर का तरीका गलत था लेकिन इस पर टिप्पणी नहीं कि क्या नूपुर ने तथ्यहीन और आधारहीन बातें कही थीं । क्या उनके द्वारा कही बात के मूल प्रामाणिक स्रोतों और उनकी तथ्यात्मकता पर चर्चा करने की जरूरत होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए? अगर यह पाया जाता है कि बात तो तथ्यात्मक थी किंतु कहने का तरीका गलत था तो इस मानदंड को सही रखकर क्या दूसरे मामलों में भी निर्णय दिए जाएंगे। क्योंकि हजार बातें हजार तरीकों से की जाती हैं उनमें से अनेक का तरीका कटाक्षपूर्ण या द्वेषपूर्ण होता है या माना जा सकता है तो क्या उसके बाद भीड़ को स्वयं हिंसक तरीकों से न्याय करने की छूट दे दी जाएगी?

अगर अब देश के किसी भी भूभाग में गरीब हिंदू का सिर तन से जुदा किया जाता है तो क्या उसकी जिम्मेदारी माननीय न्यायालय अपने ऊपर लेगा ? जब दिल्ली में भयवाह दंगे हो रहे थे उस समय भी दिल्ली हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में देश में हो रही भड़काऊ बयानबाजी के खिलाफ कई याचिकाएं गई थीं लेकिन तब इस प्रकार के मामले को यह कहकर टाल दिया गया था कि इस विषय पर समय आने पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। एआईएएम नेता असुददीन ओवैसी और उनकी पार्टी के सभी प्रवक्ता संविधान की नकली आड़ लेकर भड़काऊ बयानबाजी करते रहते हैं। देश के कई मौलाना लगातार नफरत का माहौल पैदा कर रहे हैं जिसमें अभी मौलाना तौकीर रजा ने तो देश का माहौल खराब करने की कसम ही खाली है, क्या सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली पुलिस ऐसे नेताओं व मौलानाओं के खिलाफ भी टिप्पणी करने का साहस दिखा पाएगा ?

यहां पर एक यह जानकारी भी उल्लेखनीय है कि जो माननीय जे. बी. पारदीवाला कन्हैयालाल की हत्या के लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार बता रहे हैं। उनके पिता बरजोर जी पारदीवाला कांग्रेस के विधायक थे और गुजरात विधानसभा के स्पीकर भी रहे इसी परिचय से उनकी टिप्पणियों का मूल समझा जा सकता है । सही समय है कि इस प्रकार की ओछी टिप्पणी करने वाले जजों के खिलाफ भी महाभियोग चलाया जाए।

राजस्थान में जो कुछ भी हुआ उसके लिए किसी भी सीमा तक जाकर मुस्लिम तुष्टिकरण पर उतारू राज्य की कांग्रेस सरकार भी कम जिम्मेदार नहीं है। इस सरकार ने कुछ माह पहले ही पीएफआई जैसे कुख्यात संगठन को कोटा मे रैली करने की इजाजत दे दी थी और उस रैली में हिंदू समाज, भारत सरकार, भाजपा व संघ के खिलाफ खूब जमकर जहर उगला गया लेकिन हिंदू समाज शांत रहा । नुपूर शर्मा जी की टिप्पणियों से काफी पहले राजस्थान में हिन्दुओं पर अत्याचार की एक के बाद एक कई घटनाएं घटीं लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण में अंधी हो चुकी राजस्थान सरकार के निकम्मेपन के कारण कट्टरपंथियों के हौसले बुलंद होते रहे जिसकी परिणति कन्हैयालाल जी के बलिदान में हुई।

कांग्रेस सरकार के संरक्षण में राजस्थान में पीएफआई अपनी जड़े जमा चुका है। हिन्दुओं पर बिना करण सुनियोजित आक्रमण करना उनका रोज़ का शगल है । करौली में नवरात्र के दिन हिंसक झड़पें हुई जिसमें पुलिस ने समुदाय विशेष पर कोई कार्यवाही नहीं की अपितु पीड़ितों को ही जेल में डाल दिया। इसी प्रकार भीलवाड़ा और जोधपुर में तनाव के हालात बने लेकिन प्रशासन ने पीड़ित हिन्दुओं के विरुद्ध ही कार्यवाही कर दी जिसके कारण हिंदू समाज का आक्रोष बढ़ता ही जा रहा है। कन्हैया लाल की जघन्य हत्या और उस पर न्याय के अधीश कि टिपण्णी ने हिन्दू समाज के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है किन्तु संभवतः ये नमक हिन्दू समाज को एकजुट होकर खड़े होने का साहस देने का काम करेगा ।

मृत्युंजय दीक्षित

123, फतेहगंज, गल्ला मंडी

लखनऊ(उ प्र)-226018

फोन नं. – 9198571540

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार