आजादी के बाद शायद भाजपा ही पहली सियासी पार्टी है जो इतने भारी बहुमत से जीती है। भाजपा के 11 मार्च को जीतने के बाद लगभग 11 दिनों तक जद्दो-जहद के बाद भाजपा हाई कमान मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आदित्यनाथ योगी जैसे ज्ञानी को विराजमान कराने में कामयाब हो सका। योगी जी के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होते ही ज्यादातर मुस्लिम वर्ग के लोगों में एक तरह का खौफ पैदा हो गया, उस खौफ को पैदा करने वाले भी हमारे सियासी लोग ही हैं।
खैर, अब सवाल यह उठता है कि अब क्या मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी मुस्लिम वर्ग के लिये अच्छे दिन लाने वाले मुख्यमंत्री साबित होगें? क्योंकि नकारात्मक सोच रखने वाले सियासी लोग कई प्रकार के पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर उन्हें कटघरे में खड़ा करने की फिराक में लग गये है और मुस्लिम वर्ग को यह कहते हुये डराने में लग गये हैं कि अब उनका यूपी में जीना हराम हो जायेगा। लेकिन मेरी राय में सच्चाई यह है कि इस तरह की बातों में कोई तथ्य नहीं है और योगी जी को भाजपा हाई कमान ने शायद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर इसलियें भी बैठाया है कि जिस गोरखपुर जिले से योगी जी पांच बार जीतकर सांसद बने है वहां के मुसलमानों से उनके प्रगाढ़ रिश्ते हैं तथा उनकी बनाई हुई गोरखनाथ पीठ में भी मुसलमान उनके साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर सदैव खड़े रहे हैं। सियासत में उनकी छवि कुछ ऐसी ही है जैसा माननीय प्रधानमंत्री मोदी की हुआ करती थी। कभी लोग (खासकर मुसलमान) सोचते थे कि मोदी जी मुस्लिम विरोधी है।
हां यह सच्चाई भी किसी से नहीं छुपी है कि किसी सियासी व्यक्ति की छवि (अच्छी या बुरी) बनाने में मीडिया की बड़ी भूमिका होती है।
मैं एक लेखक और पत्रकार के नाते दाबे के साथ कह सकता हूं कि आदित्यनाथ योगी उत्तर प्रदेश के ऐसे मुख्यमंत्री साबित होगें जो कि केवल हिन्दू मुस्लिम के ही नहीं बल्कि हर तबके (और विशेष रूप से पिछड़ी जाति) के लिये सबसे बढ़िया काम करेगें। हां- वास्तविकता तो यह हैं कि उत्तर प्रदेश को पिछले सात दशकों से गाय की तरह दुहा गया है। मुख्यमंत्री पद सम्भालने के बाद गोरखपुर की पहली विजिट पर योगी जी ने अपने स्वागत भाषण में स्पष्ट भी कर दिया है कि मेरा भी यह कहना है कि ‘सबका साथ सबका विकास’ बगैर किसी भेदभाव के साथ किया जायेगा। रही मुस्लिम वर्ग की बात सभी मुसलमान मेरे भाईयों की तरह है। उनके साथ बराबरी का ही सुलूक किया जायेगा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि योगी जी के आगे बड़ी चुनौतियां हैं लेंकिन यह भी पूरी तरह सही ही हैं कि इन चुनौतियों का मुकाबला करने की हिम्मत भी योगी में है।
यह सच्चाई भी किसी से नहीं छुपी है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा का पहले भी शासन रहा है, जिसमें कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और रामप्रकाश गुप्ता मुख्यमंत्री पद पर विराजमान रहे थे। कल्याण सिंह वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल है और राजनाथ सिंह भारत सरकार के गृहमंत्री पद पर आसीन है, जबकि रामप्रकाश गुप्ता स्वर्गवासी हो गये है।
इन मुख्यमंत्रियों ने भी भाजपा का शासन बखूबी चलाया था। उत्तर प्रदेश की जनता उनके शासन को आज भी याद करती है। इनका भी मन्त्र यही रहा था कि ‘सबका साथ, सबका विकास’। लेकिन इन भाजपा के मुख्यमंत्रियों के शासनकाल में सरकारी मशीनरी में तथा आम जनता के दिलों में खौफ नाम की चीज नहीं थी, लेकिन इस बार जैसे ही आदित्यनाथ योगी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होकर अपना और अपनी पार्टी का मकसद पूरा करने में लग गये है उससे काम चोर सरकारी मशीनरी के तथा असमाजिक तत्वों और गुंडों के होश फाकता हो गये हैं।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ केवल भाजपा के चुनावी एजेंडे को पूरा करने में नहीं लगे हैं बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पद चिन्हों पर चलने की भी पूरी-पूरी कोशिश कर रहे हैं। भारत के सबसे बड़े इस सूबे से ही होकर प्रधानमंत्री बनने का या यूं कहें कि देश के सम्पूर्ण विकास का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है। आदित्यनाथ योगी भाजपा के भविष्य को दृष्टिगत रखते हुये इस रास्ते को मजबूत बनाना चाहते हैं यही वजह है कि हर क्षेत्र में तेजी लाने की केवल बात ही नहीं कर रहे बल्कि अच्छा रिजल्ट भी चाहते हैं तथा यह भी प्रयास है कि योगी जी के बनाये हुये इस मजबूत मार्ग पर भविष्य में भी भाजपा रुपी ट्रेन ही दौडे़।
अगर थोड़ा पीछे मुड़कर देखा जाये तो दिखाई देगा कि नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर आसीन थे तभी भाजपा हाई कमान ने उनका नाम प्रधानमंत्री पद हेतु घोषित कर दिया था। उन्होंने (मोदी ने) 2014 के लोकसभा के चुनावी दंगल में केवल उतर कर ही नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत करके भाजपा को बुलन्दी पर पहुंचाया। जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में भाजपा हाई कमान ने किसी मुख्यमंत्री का नाम ही घोषित नहीं किया था लेंकिन जब भाजपा 325 सीटें लेकर भारी बहुमत से जीती तब कई भाजपा दिग्गजों के नाम मुख्यमंत्री पद के लिये उत्तर प्रदेश की जनता के सामने आये। जो नाम भाजपा हाई कमान मुख्यमंत्री पद हेतु लेकर चल रही थी। शायद वह उत्तर प्रदेश के गले नहीं उतर रहे थे। हां अगर भाजपा उनमें से किसी नाम पर हरी झंडी दे देती तो जनता स्वीकार तो करती लेंकिन शायद दिल से नहीं। क्योंकि उत्तर प्रदेश की जनता के हृदय में आदित्यनाथ योगी अपना घर बना चुके थे। जनता की भावनाओं को शायद भाजपा हाईकमान भांप गया था। इसलिये उसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आदित्यनाथ योगी को विराजमान कर दिया। स्वयं को धर्म निरपेक्ष कहने वाली राजनैतिक पार्टियों ने मुसलमानों को केवल वोट बैंक ही समझा है और तुष्टीकरण की सियासत की है। इससे मुसलमानों का बहुत नुकसान हुआ है। इसलिये अब योगी जी के पास सुनहरा अवसर है कि अपने विरोधियों को वह अपने स्वभाव और अपने निष्पक्ष कार्यो से गलत साबित करें। सुनने में आया है कि योगी जी की अपनी निजी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है जिसके कारण उन्हें किसी से समझौता करना पड़े।
अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि कुछ लोगों ने (जो अपने को धर्म निरपेक्ष कहते है) मोदी और योगी के नाम लेकर मुसलमानों के दिलों में जो डर पैदा कर रखा है उसको निकालना बहुत जरूरी है तथा उस डर को झूठा साबित करना है। पिछली यूपी सरकार ने मुसलमानों से वादे किये थे कि मुस्लिम मदरसों का कम्प्यूटरीकरण एवं आधुनिकीकरण किया जायेगा, 3500 उर्दू अध्यापकों की भर्ती की जायेगी, इस तरह के 14 वादें किये थे जो मुसलमानों के हित के थे लेंकिन उन 14 में से एक भी पूरा नहीं हुआ।
यही वजह रही कि इस बार मुसलमानों ने सपा और बसपा को वोट न देकर भाजपा को ही वोट दिया। वरना इतने भारी बहुमत से भाजपा नहीं जीत पाती। भाजपा के पक्ष में जिस तरह मुस्लिम महिलाऐं आगे आकर वोट करती हुई दिखाई दी। उससे यह लगा कि जिस तरह ‘तीन तलाक’ के मसले पर भाजपा ने मुस्लिम महिलाओं का साथ दिया है। यह उसी का परिणाम भी कहा जा सकता है। क्योंकि ‘तीन तलाक’ से लाखों मुस्लिम महिलायें अपने मां-बाप के घरों में बैठी हैं।
अब केवल उत्तर प्रदेश के ही बल्कि पूरे हिन्दुस्तान के मुसलमानों को सोचना होगा कि आजादी के बाद की राजनीति ने केवल सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को ही लागू नहीं किया। जबकि हर सरकार ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर अमल करने का वादा तो किया लेंकिन वह वादा आज तक पूरा नहीं हो पाया। खैर, पीएम मोदी के इस कथन पर कि ‘न खाऊंगा और न खाने दूंगा’। योगी जी भी इस कथन पर विश्वास रखते हैं।
मोदी और योगी जी को अब साक्षी महाराज गिरिराज सिंह, साध्वी नरेन्द्र ज्योति, संजीव बलियान आदि जैसे लोगों के भड़कीले भाषणों पर कन्ट्रोल कराना होगा। तभी इन दोनों वरिष्ठ नेताओं और उनकी भाजपा पार्टी पर मुसलमानों का यकीन कायम रहेगा, क्योंकि भाजपा के सामने मिशन 2019 भी सामने है। यह मिशन भी उत्तर प्रदेश की तरह ही लोकसभा चुनाव को मोदी के पक्ष में लाना है।
देश का एक योगी भी देश के सबसे बड़े सूबे (उत्तर प्रदेश) को विश्वपटल पर इसी सूबे की अजूबी इमारत ‘ताजमहल’’ की तरह चमकाने की हिम्मत रखता है, जिसका नाम है ‘आदित्यनाथ योगी’।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
साभार- http://samachar4media.com/ से