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भाजपा की अब बंगाल फतह की तैयारी
यह दृश्य देख लग रहा था मानो आसमान का रंग भी गहरा नीला से बदलकर केसरिया हो गया हो। यही कारण था कि इस सभा में अमित शाह ने कहा कि आज की
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पोस्टमास्टर जनरल वाराणसी की पहल : सीआरपीएफ जवानों की तस्वीर अब डाक टिकटों पर
पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, धार्मिक और पर्यटन स्थली के रूप में वाराणसी की महत्ता को देखते हुए डाक विभाग ने "वाराणसी के घाट"
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कि समन्वय बैठक अहमदाबाद में शुरू
पिछले वर्ष जब अपनी समन्वय बेठक हुई उसने पर्यावरण का संरक्षण ओर अपनी परिवार व्यवस्था सुद्रढ हो उस दृष्टि से समाज के संस्कार की कुछ योजना बने ऐसा विचार हुआ था.
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अमरीका के उपेक्षित लोगों के लिए किसी माँ से कम नहीं है संतोष कुुलश्रेष्ठ कुमार
छोटी उम्र से ही इन्होने समाज सेवा करना प्रारम्भ कर दिया था। दूसरों का दुःख इनसे देखा नहीं जाता था और यह चल पड़तीं थीं उनको न्याय दिलाने।
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लोकसभा अध्यक्ष की छोटी बेटी अंजलि बिड़ला का आईएस में चयन
अंजली ने कहा कि वे किसी भी विभाग से जुड़कर सेवा देने को तैयार हैं, लेकिन महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में काम करने का अवसर मिलने पर उन्हें विशेष खुशी मिलेगी।
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सिखों और हिंदुओं को बाँटने की वो साजिश जो अंग्रेजों ने रची
इस्लामिक कट्टरपंथी भी सिक्खों को बरगलाने में लग गए हैं।यही कारण है कि हमें योगराज सिंह जैसे दलाल प्रवृत्ति के लोगों के बयान सुनने को मिल रहे हैं।
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भारतीय रेल में हो रहे हैं क्रांतिकारी बदलाव
भारत में पहली यात्री गाड़ी की शुरुआत 15 अगस्त 1854 को कोलकता में हावड़ा एवं हुगली की बीच 24 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए हुई थी। भारत में 166 साल के रेल्वे के
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आधुनिक बोध कथाः गांधी और नेहरू का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
दादाजी कहते थे कि यह जो महात्मा गांधी रोड, नेहरू युनिवर्सिटी इंदिरा एयरपोर्ट और ऐसे अनेकों जगह नेहरू गांधी का नाम देखते हो वह उन कुत्तों के द्वारा बनाए पैरों के निशान हैं,
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आयुर्वेद में वर्णित स्वर्ण (सोना) बनाने की कला
इसलिए मूर्ख हिंदू उसको जाति का पिता कहते हैं किताब में हमको महापुरुष कहा जाता है और बचपन में विद्यालय में पढ़ाया जाता है जिसका ज्ञान नहीं होता है वह फिर महापुरुष कैसे बन जाता
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मूकनायक’ ने समाज को जगाने का काम किया : रामदास आठवले
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि समेकित भारत बनाने की दृष्टि बाबा साहेब की पत्रकारिता में परिलक्षित होती है।