भाई दूज का पर्व दीवाली के दो दिन बाद यानि कार्तिक शुक्ल की द्वितीया को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। आज के दिन भाई खुद अपनी बहन के घर जाता है, बहन उसकी पूजा करती है और उसकी आरती उतारकर उसे तिलक लगाती है।
भाई दूज को लेकर भी कई रोचक और प्रेरणादायक पौराणिक और लोक कथाएँ हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार यमराज, यमुना, तापी, शनि – इन चारों को भगवान सूर्य की संतान माना गया है। यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत स्नेह करते थे। एक बार भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर आये तो अचानक अपने भाई को अपने घर देख यमुना ने बड़े प्यार और जतन से से उनका स्वागत किया और कई तरह व्यंजन बना कर उन्हें भोजन करवाया और खुद ने उपवास रखा, अपनी बहन की इस श्रध्दा से यमराज प्रसन्न हुए और उसे वचन दिया कि आज के दिन जो भाई अपनी बहन को स्नेह से मिलेगा उसके घर भोजन करेगा उसको यम का भय नहीं रहेगा। इस दिन बहन अपने भाई की दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन के लिए मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करती है। अपने भाई को विजय तिलक लगाती है ताकि वह किसी भी तरह के संकटों का सामना कर सके।