भारत की पहचान जिन बातों से है अगर विदेशी धरती पर वे सारी चीजें एक ही दिन और एक ही जगह मिल जाएं तो आप सच में आनंदित हो जाएं. सिएटल और उसके आसपास बसे लोगों को सालाना आनंद मेले का इसी लिए इंतज़ार रहता है. यह शनिवार और रविवार रेडमंड शहर के सिटी सेंटर को भारतीयता के रंग में रंग गया.
आपको चूल्हे पर सेंकी गई देसी घी से चुपड़ी ताजी रोटी खानी है तो यहाँ के स्टाल पर वालंटियर आपकी सेवा में मौजूद थे , कोई पैसा नहीं देना हाँ अगर समझ आए तो उनके इस प्रकल्प के लिए कुछ दान दे सकते हैं . भारत के भी बड़े शहरों में फ्लैट सिस्टम होने के कारण अब गाय पालने का स्कोप ख़त्म हो चुका है लेकिन इस मेले में वैदिक कल्चरल सेंटर के गाय फार्म से गाय लायी जाती हैं आप उन्हें दुलार सकते हैं ।
यह मेला भारत की विभिन्न संस्कृतियों का इंद्रधनुष भी है , कन्नड़, तमिल, तेलगू, मलयालम, हिन्दी विविध भाषाओं के लोकगीत, शास्त्रीय नृत्य , बॉलीवुड कुछ यहाँ के गंगा और यमुना मंच पर लगातार दो दिन तक प्रदर्शित किए गए. इस बार इस मंच पर ग्रैमी अवार्ड से नवाज़े गणेश राजगोपालन का वायलिन वादन , सिएटल के अपने भारतीय बैंड दृष्टि की गीत, भजन प्रस्तुति को सैकड़ों श्रोताओं ने बैठ कर सुना.
यही नहीं सिएटल के भारतीय बच्चे प्रतीक्षा करते हैं कि उन्हें भी आनंद मेले में नृत्य और गीत परफॉर्म करने का अवसर मिले . बच्चों की ये प्रस्तुतियों से अन्दाज़ा लगता है कि विदेशी तौर तरीक़े अपनाने के साथ ही अपनी मूल धरती की महक अभी इन प्रवासी परिवारों में पल्लवित हो रही है।
मेले में साड़ी , सूट , भारतीय आभूषण के स्टाल पर भी काफ़ी भीड़ लगी रही। यूँ सिएटल में भारतीय शैली के काफ़ी रेस्टोरेंट खुल चुके हैं लेकिन इस मेले में काफ़ी भारतीय खाने पीने के स्टाल थे लेकिन सात्विक तरीक़े से बनी बंबई चाट के काउंटर पर लंबी क्यू बताती है कि जीभ को रगड़ा पेटिस, पाव भाजी, दबेली, पानी पूरी , दही पूरी , समोसा पाव ने विदेश की धरती पर भी खूब ललचाया.बंगाली स्वीट काउंटर पर असली मिष्टी दोई, संदेश के काउंटर पर भी खूब भीड़ लगी रही।
आनंद मेले की वेबसाईट https://www.anandamela.org/
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