“परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।“(श्री रामचरितमानस, उत्तरकाण्ड) अर्थात दूसरों की भलाई के समान कोई धर्म नहीं है और दूसरों को दुःख पहुँचाने के समान कोई अधर्म (पाप) नहीं है।
मानव-हित संबंधी जो भी कार्य किया जाता है उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है।उत्तर भारत, विशेषकर राजस्थान में इन दिनों गर्मी अपने चरम पर है।पेय-जल की किल्लत बढ़ रही है।ऐसे में अलवर के ‘सृजक संस्थान’ द्वारा आम जनता के लिए शरबत-मिश्रित शीतल पेयजल की व्यवस्था चर्चा का विषय बनी हुयी है। सामाजिक और साहित्यिक सरोकारों से जुड़ा यह संस्थान गत दस वर्षों से इस परहितकारी सेवा में लगा हुआ है।कहना न होगा कि सृजक संस्थान की ओर से जन सहयोग द्वारा प्रतिवर्ष गर्मियों में नि:शुल्क शीतल जल की प्याऊ का संचालन किया जाता रहा है । इस वर्ष प्याऊ का शुभारंभ रविवार दिनांक 12 मई को सुबह 9:30 बजे भारत सिनेमा हॉल के सामने रेलवे ओवरब्रिज के नीचे किया गया। सृजक संस्थान के सचिव रामचरण ‘राग‘ ने बताया कि इस अवसर पर अलवर शहर के सामाजिक, साहित्यिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों के सैकड़ों गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में आमजन को शरबत पिलाया गया।
सृजक संस्थान द्वारा संचालित प्याऊ के उद्घाटन के अवसर पर सृजन-संस्थान के संरक्षक भागीरथ मीणा, अनिल कौशिक, अध्यक्ष डॉ अंजना अनिल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोकुल राम शर्मा ‘दिवाकर‘, उपाध्यक्ष खेमेन्द्र सिंह चन्द्रावत, सचिव रामचरण ‘राग‘ आदि उपस्थित रहे।
इस वर्ष ‘सृजक संस्थान’ की ओर से लगाई गई प्याऊ का संचालन जुलाई माह में जगन्नाथ मेले तक किया जाएगा।