Wednesday, December 18, 2024
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जिहादिस्तान बन गया है बांग्लादेश’ -तस्लीमा नसरीन

साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य में प्रकाशित तस्लीमा नसरीन के इस साक्षात्कार में बांग्लादेश  से निर्वासित और भारत में रह रही तस्लीमा नसरीन ने आँखे खोल देने वाले खुलासे किए हैं।
बांग्लादेश में जिहादियों द्वारा हो रहे हिंदू नरसंहार पर आप क्या कहना चाहेंगी?
यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि बांग्लादेश में जिहादी तत्वों के इशारे पर सरकार चल रही है। जिहादी हिंदू-विरोधी हैं। वे हिंदुओं पर हमले करते हैं। इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि सत्ता में बैठे लोग हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई पहल नहीं करते। इसके बजाय वे झूठा दावा करते हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का आरोप लगाकर भारत से दुष्प्रचार किया जा रहा है। सचाई को छिपाने के लिए यूनुस सरकार झूठ और छल का सहारा ले रही है।
आपने अपने एक ट्वीट में कहा है कि यूनुस और उनके जिहादी दोस्त भारत-विरोधी हैं। आप वास्तव में क्या कहना चाहती हैं?
बांग्लादेश में भारत-विरोधी भावना तेजी से फैल रही है। मौजूदा सरकार ने इसे बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सत्ता में आने के बाद, उन लोगों ने भारत को धमकियां दी हैं। दावा किया है कि वे भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों पर कब्जा कर सकते हैं और उन्हें भारत की कोई जरूरत नहीं है। सरकार की इस बयानबाजी ने आम जनता में भारत-विरोधी भावनाओं को फिर से भड़का दिया है। कट्टरपंथी मुसलमानों में भारत-विरोधी भावना हमेशा से मौजूद रही है, और अब उन्हें और मुखर होने का मौका मिल गया है।
 
यूनुस सरकार कहती है कि प्रशासन हिंदुओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है। क्या सरकार झूठ बोलकर दुनिया को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है?
बिल्कुल यही बात है। झूठ बोला जा रहा है कि हिंदू सुरक्षित हैं। हिंदुओं पर हमला करने वालों को गिरफ्तार तक नहीं किया जा रहा है। अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं। वास्तव में कथित जुलाई क्रांति का नेतृत्व करने और सरकार बनाने वाले समूह हिंदू-विरोधी इस्लामी कट्टरपंथी, जिहादी और आतंकवादी समूह हैं। उनसे आप यह अपेक्षा नहीं कर सकते हैं कि वे हिंदुओं, बौद्धों और ईसाइयों के साथ समानता का व्यवहार करें।
 
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना बांग्लादेश को विकास के रास्ते पर ले जा रही थीं। फिर भी उन्हें सत्ता से उतार कर देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। क्या कारण रहे कि कट्टरपंथी उन पर हावी होने में सफल रहे?
शेख हसीना का पतन उनके अपने कार्यों के कारण हुआ। एक हद तक लोगों का मानना है कि मजहबी कट्टरपंथ को पालने-पोसने में उनकी बड़ी भूमिका रही। कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए उन्होंने अनगिनत मस्जिदें, मदरसे बनवाए और मदरसे की डिग्री को विश्वविद्यालय की डिग्री के बराबर कर दिया। जिन लोगों ने कट्टरपंथियों और जिहादियों की आलोचना की, उनमें से कई लोगों को जेल में डाला गया हसीना सरकार के बर्ताव के कारण बहुत से लोग देश छोड़ने को मजबूर हुए।
कुछ समय पहले शेख हसीना ने कहा था कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप को हासिल करने के लिए साजिशें रच रहा है।*
मुझे नहीं लगता कि बांग्लादेश जैसे छोटे और महत्वहीन देश को लेकर अमेरिका कोई गहरी साजिश रचेगा। अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। पूरे एशिया में अमेरिका के पास पहले से ही कई सैन्य अड्डे हैं। बांग्लादेश में कोई भी द्वीप इतना बड़ा नहीं है कि वह अमेरिकी सैन्य अड्डे के लिए उपयुक्त हो।
ढाका की एक अदालत ने 2018 में खालिदा जिया को चैरिटेबल ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में एक साल की जेल और 10 लाख टका के जुर्माने की सजा सुनाई थी, लेकिन अब उस फैसले को पलट दिया गया है। दूसरी तरफ सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहने वाले चिन्मय कृष्ण दास को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के झूठे आरोप में जेल में डाल दिया गया है। इस पूरे मामले को आप कैसे देखती हैं?*
चिन्मय कृष्ण दास ने हिंदू समाज को जगाया है। उन्होंने जो आठ मांगें रखी हैं, वे तार्किक हैं। हिंदुओं की जागृति के कारण ही हिंदू-विरोधी जिहादी सरकार ने हिंदू नेता चिन्मय को गिरफ्तार किया है। राष्ट्रीय ध्वज के प्रति कथित अनादर का तर्क पूरी तरह हास्यास्पद है। चिन्मय ने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान नहीं किया है। रैली के दौरान भगवा ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर नहीं रखा गया था। जब जिहादी तत्व रैलियां या जुलूस निकालते हैं, तो राष्ट्रीय ध्वज अक्सर उनके झंडों से काफी नीचे होता है, किंतु उनमें से किसी के खिलाफ कभी भी देशद्रोह का मामला दर्ज नहीं किया गया। चिन्मय कृष्ण दास के वकील को पीटा गया। यही कारण है कि अब अदालत में उनकी पैरवी के लिए कोई वकील सामने नहीं आया। चिन्मय को जेल में रखने का उद्देश्य उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन करना और हिंदू जनजागरण को कमजोर करना है। जिहादी तत्व बांग्लादेश को हिंदू-मुक्त बनाना चाहते हैं।
 
क्या आप मानती हैं कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है, उसके पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी है?
मैंने सुना है कि एक या दो छात्र नेताओं की कथित तौर पर आईएसआई के लोगों से मुलाकात हुई है। हालांकि, मैं यकीन से नहीं कह सकती कि यह सच है या नहीं। अगर यह सच साबित होता है, तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं होगी। यूनुस सरकार ने अपने गठन के बाद से ही पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध स्थापित किए हैं। ढाका से कराची के लिए सीधी उड़ान शुरू होने वाली है। पाकिस्तानी जहाज भी बांग्लादेश के बंदरगाहों पर पहुंचे हैं। कुछ लोगों का दावा है कि इन जहाजों में हथियार लदे हैं।
क्या कथित ‘जुलाई क्रांति’ के पीछे बांग्लादेशी सेना, जमात-ए-इस्लामी और खालिदा जिया के बीच कोई गुप्त आपसी समझौता था?
बांग्लादेश की राजनीति में खालिदा जिया अब महत्वपूर्ण नहीं रहीं। बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) में अब उनके बेटे तारिक रहमान की चलती है। हो सकता है ‘जुलाई क्रांति’ के पीछे जमात-ए-इस्लामी, उसके उग्रवादी छात्र संगठन शिबिर, प्रतिबंधित जिहादी संगठन हिज्ब उत-तहरीर और बीएनपी के तारिक रहमान के बीच कोई समझौता हुआ होगा।
यूनुस सरकार लोकतंत्र बहाली की बात कर रही है। दूसरी ओर, देश में अराजकता, उन्माद व हत्याएं लगातार जारी हैं।
यूनुस को मुख्य सलाहकार के रूप में शिबिर और हिज्ब उत-तहरीर के जिहादियों ने चुना है। कथित तौर पर उस फैसले को वापस ले लिया गया है जिसके अनुसार उन्हें 666 मिलियन डॉलर का कर चुकाना था। मुख्य सलाहकार बनाए जाने से मिली संतुष्टि और इस पर कृतज्ञता ज्ञापन के लिए वे कथित तौर पर जिहादियों के अधीन काम कर रहे हैं, और उनकी मांगें पूरी कर रहे हैं।
जुलाई-अगस्त में दावा किया जा रहा था कि जिहादियों ने 3,000 से अधिक पुलिस अधिकारियों और निर्दोष छात्रों को मार डाला, जिससे हसीना के खिलाफ लोगों में आक्रोश फैला। परंतु यूनुस को जिहादी उग्रवादियों की हरकतों पर कोई खेद नहीं है, बल्कि वे उनका बचाव करते हैं।
यद्यपि यूनुस को नोबुल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, पर उनके नेतृत्व काल की आलोचना बांग्लादेश के इतिहास में सबसे उथल-पुथल भरे दौर में से एक के रूप में की जा रही है।
जिहादियों ने दुर्गा पूजा पंडालों को जलाया, पर एक वर्ग ऐसा भी था, जो मानव शृंखला बनाकर जताता रहा कि वे हिंदुओं व मंदिरों के रक्षक हैं। आप इन्हें किस तरह देखती हैं?
प्रश्न है कि वे हिंदू मंदिरों और दुर्गा पूजा पंडालों की रक्षा  किससे कर रहे थे? पंडालों की रक्षा करने के बजाय उन्हें पहले ही तय कर लेना चाहिए था कि वे पंडालों में तोड़फोड़ नहीं करेंगे।
आपको लगता है कि बांग्लादेश में तालिबान जैसा शासन कायम होगा?
मैं वास्तव में इस बारे में चिंतित हूं। स्थानीय मुल्ला पहले से ही तालिबान जैसा व्यवहार कर रहे हैं। विभिन्न स्थानों पर वे बाउल और संगीत समारोहों को बंद करवा रहे हैं। एक मेले में मुल्लाओं ने यहां तक घोषणा कर दी कि महिलाओं को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यूनुस सरकार ऐसे मुल्लाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
आंदोलन के दौरान युवाओं ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता मुजीबुर्रहमान की मूर्ति तोड़ दी। उनका अपमान किया। इसके पीछे आप क्या कारण मानती हैं?
शेख हसीना के भ्रष्टाचार से वे इतने नाराज थे कि उन्होंने हसीना के पिता की मूर्ति को तोड़ दिया। वे कोई साधारण छात्र नहीं थे; वे शिबिर और हिज्ब उत-तहरीर के जिहादी थे। उन्होंने केवल शेख मुजीब की ही नहीं, बल्कि सभी स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों को नष्ट कर दिया है। इन लोगों के दिमाग में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और स्वतंत्रता के खिलाफ बातें भरी गई हैं। वे गर्व से खुद को रजाकार कहते हैं। रजाकार वे लोग थे, जिन्होंने 1971 में पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर काम किया, जिन्होंने लगभग 30 लाख लोगों की हत्या की और करीब 2,00,000 महिलाओं के साथ बलात्कार किया था।
जब से बांग्लादेश में हालात खराब हुए हैं, तब से एक वर्ग लगातार भारत को निशाना बना रहा है, जबकि भारत हमेशा बांग्लादेश और उसके लोगों के विकास के लिए प्रयास करता रहा है। वे कौन सी ताकतें हैं जो बांग्लादेश के कंधे का इस्तेमाल कर भारत को निशाना बना रही हैं?
जमात-ए-इस्लामी और बीएनपी के एक धड़े के साथ जिहादी और उग्रवादी संगठनों ने भारत-विरोधी रुख अपना रखा है। हिंदू-विरोधी लोग ही अब भारत-विरोधी हो गए हैं। अगर आज सऊदी अरब पड़ोसी देश होता तो उससे लात खाने के बाद भी जिहादी सऊदी अरब के सामने झुकते। ये जिहादी वैश्विक-इस्लामवाद में विश्वास करते हैं। इसलिए आज बांग्लादेश पाकिस्तान को अपना दोस्त मानता है और भारत को दुश्मन। मैंने नए बांग्लादेश को एक नया नाम दिया है- जिहादिस्तान।
 
शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद वहां के पत्रकारों को लगातार आलोचना, पक्षपात के आरोपों और कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस पर क्या कहेंगी?
140 से ज्यादा पत्रकारों को हत्या के झूठे मामलों में फंसाया गया है। अब प्रेस की आजादी नहीं है। हसीना की सरकार थी तो मीडिया को उनका समर्थन करना पड़ता था। यूनुस की सरकार में मीडिया को हसीना के विरुद्ध और यूनुस के पक्ष में रहना होता है।
पश्चिम बंगाल के डॉक्टर कह रहे हैं कि वे बांग्लादेश के मरीजों का इलाज नहीं करेंगे। आखिर डॉक्टरों को ऐसा क्यों कहना पड़ा? क्या अत्याचारों की हद हो गई है?
बांग्लादेश में भारत के झंडे को पैरों तले कुचला जा रहा है। इसे देखते हुए पश्चिम बंगाल के कुछ चिकित्सकों ने कहा है कि वे बांग्लादेशियों का इलाज नहीं करेंगे। नफरत से भरा मन अस्वस्थ मन होता है। दुखद वास्तविकता यह है कि बांग्लादेश में दुष्ट, जहरीले, विषैले और प्रतिशोधी लोग भर गए हैं। देश की आबादी में अशिक्षित मूर्खों का बहुमत है। वे यह नहीं समझते कि इतने बड़े और शक्तिशाली देश भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ कर वे जीतेंगे नहीं। 1971 में स्वतंत्रता प्राप्ति में भारत ने बांग्लादेश को सबसे बड़ी सहायता प्रदान की थी। मित्र देश भारत के साथ मित्रता बनाए रखना महत्वपूर्ण है, न कि उसे दुश्मन बनाना।
आप बांग्लादेश का भविष्य कैसा देख रही हैं?
अभी तो भविष्य अंधकारमय है। यह स्थिति बदल सकती है, बशर्ते दूरदर्शी राजनेता निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से सत्ता में आएं। वे देश को जिहादियों के कब्जे से छुड़ा कर लाएं। मजहब-आधारित राजनीति को प्रतिबंधित करें और स्त्रियों तथा पांथिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश के संविधान में पंथ-निरपेक्षता को शामिल करें।
शेख हसीना के शासनकाल में सजा पाने वाले सभी लोगों के मामले एक-एक करके वापस लिए जा रहे हैं और लोगों को रिहा भी किया जा रहा है। आप इसे कैसे देखती हैं?
यूनुस सरकार ने सभी दोषी आतंकवादियों को जेल से रिहा कर दिया है। इससे साफ पता चलता है कि हसीना को गिराने के लिए छात्रों के वेश में जिहादी उग्रवादियों ने ही कथित क्रांति की थी।
साभार –https://panchjanya.com/ से

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