नई दिल्ली। दुनिया भर में नकली दवाओं का बाजार बढ़ता जा रहा है। हालांकि, कानून का प्रवर्तन कराने वाली एजेंसियां समय-समय पर इनके खिलाफ काम करती हैं, लेकिन इसके बावजूद भी इस पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है। थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता से आप नकली दवाएं खरीदने से बच सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रिपोर्ट दी है कि हर 10 में एक दवा नकली या निचले दर्जे की होती है। खासतौर पर निम्न या मध्यम आय वाले देशों जैसे भारत में। फार्मास्यूटिकल ट्रेड में नकली दवाओं की वजह से हजारों बच्चों की हर साल मौत हो जाती है।
सरकारी आंकड़ों की मानें तो केवल 8 फीसदी दवाएं ही नकली हैं। मगर, एसोचेम के अनुसार, भारत में बिकने वाली हर चौथी दवा नकली या दोयम दर्जे की होती है अर्थात इस देश में बिकने वाली 25 फीसद दवाएं नकली हैं।
डब्ल्यूएचओ ने 100 से अधिक अध्ययन की समीक्षा में 4800 दवाओं को शामिल किया। संगठन ने पाया कि मलेरिया और बैक्टीरिया के संक्रमण में दी जाने वाली 65 फीसद दवाएं फर्जी थीं। लिहाजा, सवाल उठता है कि कैसे पता करें कि दवा असली है या नकली…
असली दवा की पैकेजिंग में कोई भी असमान्य फॉन्ट, प्रिंट कलर या स्पेलिंग की गलती नहीं होती है। यदि आप किसी दवा को नियमित रूप से ले रहे हैं, तो पुराने पैकेट से दवा के नए पैकेट को जरूर मैच करें। यदि आपको कोई भिन्नता मिलती है, तो उस दवा को खरीदने से परहेज करें। यह भी सुनिश्चित करें कि दवा सील पैक हो।
अधिकांश दवाओं से थोड़े बहुत साइड इफेक्ट होते हैं। फिजीशियन से इसके बारे में चर्चा करना हमेशा ही अच्छा होता है। अगर डॉक्टर के बताए लक्षणों के अलावा कोई परेशानी होती है या रिएक्शन होती है, तो दवा लेना तुरंत बंद कर दें और डॉक्टर की मदद लें।
यदि आपको कोई दवा अन्य दुकानों से सस्ते दाम पर मिल रही हो। या पिछली बार जब आपने दवा खरीदी थी, उससे कम दाम में दवा मिल रही है, तो सावधान हो जाएं। केमिस्ट से दवा के दाम कम होने के कारण के बारे में जरूर पूछें। आमतौर पर कस्टमर को आकर्षित करने के लिए नकली दवाओं के दाम काफी कम होते हैं। हमेशा किसी अच्छी और विश्वसनीय दुकान से दवाएं खरीदें। असली और गुणवत्ता वाली दवाएं मुहैया कराने वाली ई-फॉर्मेसी से दवाएं खरीदें। वर्तमान में ऐसे ऑनलाइन पोर्टल सोर्स हैं, जो स्ट्रिक्ट क्वॉलिटी चेक के बाद दवाएं भेजते हैं।
इसके अलावा दवाई पर लिखा कोड 9901099010 नंबर पर एसएमएस करके भी दवा के बारे में जान सकते हैं। मैसेज करने के कुछ देर बाद दवा का नाम, बैच नंबर और दूसरी इम्पॉर्टेंट डिटेल के बारे में आपको मैसेज मिलेगा। इससे पता चलेगा कि दवाई असली है या नकली। दवा कंपनियां हर स्ट्रिप पर अलग-अलग सीरीज के कोड और मोबाइल नंबर प्रिंट करवा रही हैं।
दवा के साथ उसका पक्का बिल लें, इससे दवा के नकली होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है। दरअसल, बिल पर दवा का बैच नंबर होता है, ऐसे में जिस बैच नंबर की दवा उस दुकानदार ने खरीदी ही नहीं है, वह उसे बेच नहीं सकता है। लिहाजा, नकली दवा देने पर उसके पकड़े जाने की काफी संभावना होती है। दवा का पक्का बिल लेने पर आपको कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होता है, क्योंकि दवा की एमआरपी में वह सभी शामिल होता है।