यह तो सभी जानते हैं कि लंदन अपने आप में एक अनूठा शहर है और अपने वास्तुशिल्प, इतिहास , कला और संस्कृति की विरासत के कारण दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है . लेकिन किसी भी शहर के एक नहीं कई कई चेहरे होते हैं, उसकी परतों के भीतर कुछ और शहर छुपे होते हैं . इसलिए उसे केवल टूरिस्ट ब्रोशर या फिर एक बार की यात्रा से नहीं समझा जा सकता है.
प्रदीप गुप्ता की यह पुस्तक उनके द्वारा कई बार लंबे समय तक लंदन में रह कर,वहाँ की पैदल सड़कें नापने, कला दीर्घाओं , म्यूजियम , बुक स्टोर , लाइब्रेरी में समय बिताने , इस शहर को जीने, यहाँ के तौर तरीक़ों, इतिहास, कला और संस्कृति को समझने का नतीजा है. उनका प्रयास यह है कि इसमें गूगल बाबा पर उपलब्ध जानकारी से इतर सामग्री रहे.
उनकी किताब से यह भी पता चलता है कि इस शहर में कई भारत भी छुपे हुए हैं . उदाहरण के लिए साउथहाल का अध्याय लंदन की पंजाबी संस्कृति की जानकारी देता है , अल्पर्टन का अध्याय लंदन में बसे मिनी गुजरात के खाने पीने , पहनने ओढ़ने का रोचक विवरण देता है . इसी तरह से पूर्वी लंदन के ब्रिक लेन में बसे मिनी बांग्लादेश का वृतांत भी रोचक है.
पुस्तक में इंडिया हाउस की दास्तान भी है जहां से श्यामजी कृष्ण वर्मा सरीखे देशभक्तों ने भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन की दिशा तय की थी . एक अध्याय ईस्ट इंडिया हाउस पर भी है जो ज़मींदोज़ हो चुका है लेकिन जो लंबे समय तक उस ईस्ट इंडिया कमनी का मुख्यालय रहा जो भारत पर लंबे समय तक राज कर गई .
लेखक प्रदीप गुप्ता पेशे से बैंकर रह चुके हैं और पिछले बारह वर्षों से दुनिया भर में निरंतर घूम रहे हैं, पहले भी उनकी तीन पुस्तकें अलास्का, येलोस्टोन नेशनल पार्क, और घूमते घूमते प्रकाशित हो चुकी हैं.
पुस्तक की भूमिका जाने माने भाषाविद्, कवि और डिप्लोमेट अनिल जोशी ने लिखी है जो स्वयं लंबे समय तक लंदन में अपने डिप्लोमेट केरियर के दौरान रह चुके हैं।
प्रकाशक : आद्विक पब्लिकेशन,41, हसनपुर,
आईपी एक्सटेंशन , पटपड़गंज, दिल्ली -110092
लेखक : प्रदीप गुप्ता
मूल्य : 250/-