अपने-अपने जीवन को सफल बनाने की लालसा संग उपदेश प्राप्ति हेतु एकबार देव,मानव और दानव एकसाथ ब्रह्मा जी के पास गये।तीनों को ब्रह्मा जी ने “द” का उपदेश दिया।तीनों उपदेश प्राप्त कर अपने-अपने लोकों में वापस लौट आए। देवताओं ने “द” का उपयोग दमन के रूप में आरंभ कर दिया अर्थात इंद्रियों के दमन के रूप में। मनुष्य ने “द” का प्रयोग दान के रूप में आरंभ कर दिया और दानवों ने “द” का प्रयोग दया के रूप में आरंभ कर दिया। गौरतलब है कि तभी से देने का संदेश इस सृष्टि में आरंभ हुआ जो आज भी चल रहा है और भविष्य में भी चलेगा। इस सृष्टि की सबसे विचित्र बात यह है कि यहां पर सभी लेना चाहते हैं ,कोई देना नहीं चाहता।
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारतवर्ष के ओड़िशा प्रदेश की स्मार्ट सिटी राजधानी भुवनेश्वर स्थित दो विश्व विख्यात डीम्ड विश्वविद्यालयों, कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता हैं प्रो.अच्युत सामंत जो पूर्व में राज्यसभा के सासंद भी थे तथा ओड़िशा प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य कंधमाल संसदीय क्षेत्र के पूर्व लोकसभा सांसद भी थे। महान् शिक्षाविद् प्रो. अच्युत सामंत का वास्तविक जीवन-दर्शन ऑर्ट ऑफ गिविंग की शुरुआत 2013 की 17 मई से उनके द्वारा बेंगलुरु से आरंभ होकर आज एक सामाजिक आंदोलन का रुप लेकर पूरे विश्व में व्याप्त हो चुका है। इस सामाजिक आंदोलन को स्वेच्छापूर्वक,प्रेमपूर्वक तथा हर्षोल्लासपूर्वक सभी मनाते हैं।
ऑर्ट ऑफ गिविंग जीवन दर्शन में देनेवाला देने में स्वयं में खुशी की अनुभूति करता है,अपनेआप में आनंद का अहसास करता है। यह अनोखा जीवन-दर्शन गांधीवाद की तरह जन-जन के लिए प्रेम,मैत्री,सद्भाव,परोपकार,