प्रख्यात साहित्यकार और संयुक्त आयुक्त श्री प्रतीक सोनवलकर जी का मात्र छप्पन वर्ष की आयु में देवलोकगमन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है | 24 दिसम्बर 1968 को रतलाम में जन्मे , प्रतीक जी के देहांत का समाचार जैसे ही 29 अगस्त 2024 को मिला ,सहसा किसी को विश्वास नहीं हुआ और सब एक दूसरे से दिल को झकझोर देने वाले इस दारुण समाचार की पुष्टि करते रहे | आपको मध्यप्रदेश साहित्य परिषद का वर्ष 2018 का प्रादेशिक श्रीकृष्ण सरल सम्मान ,कविता के लिए प्राप्त हुआ था | वर्ष 2011 में साहित्य के लिए अखिल भारतीय टेपा सम्मान , मालवा रंगमंच सम्मान सहित अनेकों सम्मान और पुरस्कार आपको प्राप्त हुए | आप एक श्रेष्ठ गायक और संगीतज्ञ भी रहे और आकाशवाणी ,दूरदर्शन सहित देश के विभिन्न मंचों से आपने प्रस्तुतियां भी दीं | प्रख्यात संगीतकार खय्याम , अन्नू मलिक , उषा खन्ना ,अमिताभ बच्चन से आप परिचित रहे | प्रतीक जी ने कई गजलकारों और कवियों की रचनाओं को अपना स्वर दिया |
साहित्यिक और संगीत के संस्कार आपको परिवार से मिले | प्रतीक जी के पिताश्री श्री दिनकर सोनवलकर जी दर्शन शास्त्र के विख्यात प्राध्यापक और जाने माने साहित्यकार रहे हैं | दिनकर जी बहुत अच्छे गायक और आचार्य रजनीश के सहपाठी रहे हैं | महाकवि बच्चन , भावनीप्रसाद मिश्र जैसे नामधारी कवियों से उनका सत्संग रहा | जावरा में पढाई के दौरान दिनकर जी मेरे होस्टल के वार्डन रहे और उनसे जीवंत संपर्क वर्ष 1980 में रहा।
दिनकर जी की शख्सियत महान रही और तब जावरा का शासकीय महाविद्यालय प्राध्यापकों की योग्यता और विद्वत्ता के कारण जाना जाता था। अपनी कविता के जरिये व्यंग्य करने वालों कवियों में दिनकर जी अग्रणी थे। दिल्ली की पत्रिका ‘ व्यंग्य यात्रा ‘ ने कबीरी धारा के व्यंग्य कवियों में दिनकर जी की रचनाओं का हाल ही में प्रकाशन किया। साहित्यकार अपनी रचनाओं से ही विख्यात होते हैं और दिनकर जी ऐसे ही महान कवि और व्यंग्यकार रहे।
जाहिर है प्रतीक जी को साहित्य विरासत में मिला और उनके परिवार में माताश्री मीरा दिनकर सोनवलकर भी साहित्य अनुरागी हैं और उनकी एक पुस्तक ‘बिन सत्संग विवेक न होई ‘ प्रकाशित हुई है | प्रतीक जी की धर्मपत्नी डॉ. पंकजा सोनवलकर की काव्य प्रतिभा को उनके ससुर दिनकर जी ने प्रोत्साहित किया और आपके कविता संग्रह ‘भावनाओं के शब्दांश ‘, पांखुरी आदि प्रकाशित हैं | प्रतीक जी की पुत्री दीक्षा देश -विदेश में कथक नृत्य की प्रस्तुतियां दे चुकी हैं | प्रतीक जी के सुपुत्र सार्थक सहित पूरा परिवार साहित्य – संस्कृति के लिए समर्पित है |
प्रतीक जी की प्रकाशित कृतियों में रिश्तों के चक्रव्यूह , समर्पण आदि सम्मिलित हैं | आपने अपने पिताश्री की रचनाओं का प्रकाशन फिर से करवाया जो ‘ प्रतिनिधि रचनाएं – दिनकर सोनवलकर’ के नाम से लोकप्रिय हुआ | श्री दिनकर जी की स्मृतियों को जीवंत रखने और साहित्यिक ,सांस्कृतिक ,सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों के सञ्चालन के लिए ‘ दिनकर सृजन संस्थान ‘ की स्थापना आपने की और डॉ. पंकजा सोनवलकर इसकी अध्यक्ष बनीं | दिनकर सृजन संस्थान के तत्वाधान में आपने कई आयोजन किये और दिनकर सम्मान से कई साहित्यकारों को सम्मानित किया | दिनकर सृजन संस्थान के ये आयोजन उज्जैन सहित बडनगर , जावरा ,देवास आदि स्थानों पर आपने आयोजित किये | पिछला आयोजन मध्यप्रदेश साहित्य परिषद के सहयोग से जावरा में साहित्य अकादेमी के निदेशक श्री विकास दवे की उपस्थिति में भव्य रूप से आयोजित किया गया था |
श्री प्रतीक सोनवलकर जी ईमानदार उच्च अधिकारी भी रहे | संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी प्रतीक सोनवलकर जी ने कभी अपने पद का अभिमान नहीं किया और उनसे मिलने पर , एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती थी | प्रतीक जी की यादें और उनका व्यवहार सदैव याद रहेगा |