Tuesday, January 21, 2025
spot_img
Homeप्रेस विज्ञप्तिहिंदी सहित भारतीय भाषाओं के डिजिटल विकास के लिए कौशल प्रशिक्षण

हिंदी सहित भारतीय भाषाओं के डिजिटल विकास के लिए कौशल प्रशिक्षण

हिंदी माध्यम से अद्यतन तकनीकी ज्ञान व कौशल निःशुल्क घर बैठे हासिल करने का अनूठा अवसर

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के SWAYAM  पोर्टल पर उपलब्ध ‘भाषा प्रौद्योगिकी का परिचय’ ऑनलाइन पाठ्यक्रम की कक्षाएँ स्वयं पोर्टल में इसी सप्ताह शुरू

विद्यार्थीशिक्षक और उत्साही कोई भी अपने अनुकूल समय पर अध्ययन कर सकते हैं ।

इस निःशुल्क 15 सप्ताह के कोर्स में प्रवेश के लिए आज ही इस लिंक से पंजीकरण कर सकते हैं –

https://onlinecourses.swayam2.ac.in/cec25_lg04/preview

इस शैक्षिक अनुष्ठान शामिल होने के लिए कोई आयु सीमा नहीं है, कोई भी जुड़ सकते हैं।  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से संबद्ध शैक्षिक संचार संकाय ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्वयं ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल ने पांडिच्चेरी केंद्रीय विश्व विद्यालय के सहयोग से इस महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम को विकसित किया है।

इस पाठ्यक्रम के विकासकर्ता एवं संयोजक

इस पाठ्यक्रम के विकासकर्ता एवं संयोजक डॉ. सी. जय शंकर बाबु हैं जो पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष हैं।  शिक्षा जगत को अपने विशिष्ट योगदान के लिए डॉ. सी. जय शंकर बाबु भारत के माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के करकमलों से 15 सितंबर 2024 को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं। पत्रकारिता व साहित्य के जगत को अपनी सेवाओं के लिए कई सम्मान उपाधियाँ पाने वाले डॉ. बाबु पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय द्वारा तीन बार श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान से विभूषित हुए हैं।

इस पाठ्यक्रम के संबंध में डॉ. बाबु ने विस्तृत जानकारी दी है –

हम आपस में विचार-विनिमय के लिए भाषा का प्रयोग करते हैं ।  मानव भाषा की कई विशिष्टताएँ हैं ।  मानव भाषा के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए भाषाविज्ञान का विकास हुआ है ।  भाषाविज्ञान के अनुसार भाषा मानव की अर्जित संपत्ति है ।  अर्थात् भाषा को हम सप्रयास अभ्यास से सीखते हैं ।  आज हम कई कार्यों में कंप्यूटर का प्रयोग कर रहे हैं ।  कंप्यूटर की भाषिक क्षमता के विकास का कार्य भाषा-प्रौद्योगिकी के माध्यम से किया जाता है ।  यह एक अंतर्विषयी ज्ञान शाखा है ।  इसमें भाषाविज्ञान और कंप्यूटर विज्ञान के अनुप्रयोग से कंप्यूटर की भाषिक क्षमता विकसित करने का प्रयास किया जाता है ।  इसे ‘कंप्यूटरीय भाषाविज्ञान’ भी कहा जाता है ।  कंप्यूटर की भाषिक क्षमता के विकास की प्रक्रिया को ‘प्राकृतिक भाषा संसाधन’ के रूप में माना जाता है ।  तकनीकी परिवेश की दृष्टि से मानव भाषा को ही ‘प्राकृतिक भाषा’ कहा जाता है ।  कंप्यूटर की भाषिक क्षमता के विकास का कार्य-क्षेत्र प्राकृतिक भाषा संसाधन (Natural Language Processing) के रूप में माना जाता है ।

कंप्यूटरीय परिवेश में मानव भाषा के प्रयोग के लिए तथा कंप्यूटर को मानव भाषा के सभी दृष्टियों से प्रयोग में कुशल बनाने के लिए विकसित ज्ञान की शाखा ‘भाषा-प्रौद्योगिकी’ है ।  कंप्यूटरीय भाषविज्ञान के सैद्धांतिक सूत्रों के आधार पर व्यावहारिक भाषिक मॉडल विकसित करते हैं ।  भाषा-संसाधन कार्यों को सफलतापूर्वक सुसंपन्न करने में ‘प्राकृतिक भाषा संसाधन’ की बड़ी भूमिका है ।  कंप्यूटर तथा वेब पर उपलब्ध भाषिक सामग्री के संसाधन के लिए हमें अपेक्षित सॉफ्टवेयर उत्पादों के विकास के लिए प्राकृतिक भाषा-संसाधन का सहारा लेने की ज़रूरत पड़ती है ।

प्राकृतिक भाषा संसाधन भाषा-प्रौद्योगिकी आधारित कंप्यूटरीय भाषावैज्ञानिक प्रक्रिया होने की वजह से इससे कंप्यूटर की भाषिक क्षमता  विकासित करने का प्रयास किया जाता है ।  चूँकि भाषा-प्रौद्योगिकी के विकास में विभिन्न ज्ञान की शाखाओं के विशेषज्ञों की आवश्यकता है, और इन विशेषज्ञों को भाषा प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अपेक्षित ज्ञान, कुशलताओं की भी बड़ी ज़रूरत है, इस दृष्टि से यह पाठ्यक्रम उपयोगी है ।  कंप्यूटर प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के साथ भाषा-वैज्ञानिकों, भाषिक प्रयोग व्यवहार ज्ञान के विशेषज्ञों को काम करने की ज़रूरत है ।  विभिन्न भाषाओं के लिए भाषा प्रौद्योगिकी के विकास के लिए कुशल जनबल की ज़रूरत है जो उन भाषाओं में प्रवीण होने के साथ-साथ भाषा प्रौद्योगिकी के मूलभूत सिद्धांतों, कंप्यूटरीय भाषाविज्ञान, प्राकृतिक भाषा संसाधन की तमाम प्रक्रियाओं, उद्देश्यों, लक्ष्यों से भलीभाँति परिचित हो ।  प्राकृतिक भाषा संसाधन के कार्यों के ज्ञाता होने से वे अपनी भूमिका भलीभाँति निभा सकते  हैं ।  ऐसे कुशल जनबल को तैयार करने की दृष्टि से *’भाषा-प्रौद्योगिकी का परिचय’* के शीर्षक से यह पाठ्यक्रम विकसित किया गया है ।

केवल सैद्धांतिक बातों तक सीमित न होकर इसमें ठोस उत्पादों, सुविधाओं की भी चर्चा शामिल है, जिसकी वजह से औसत छात्र भी इस विषय की ओर आकर्षित हो सकता है ।  भाषा-प्रौद्योगिकी संबंधी चेतना और कुशलताओं को विकसित करने के लिए उत्सुक छात्र इस पाठ्यक्रम में शामिल हो सकते हैं ।  कंप्यूटर व भाषा संबंधी सामान्य परिचय से शुरू करके हम भाषा-प्रौद्योगिकी का विषय-ज्ञान हासिल करने में आगे बढ़ेंगे ।

भारत सरकार के

स्वयं पोर्टल पर ‘मूक’ (MOOC) नामक शिक्षण प्रविधि के पाठ्यक्रम उपलब्ध होते हैं।  इसकी विशिष्टता यह है कि इसमें चार चतुष्पदों में शैक्षिक सामग्री मिलती है। पहला वीडियो, दूसरा मुद्रण करने योग्य या ऑनलाइन पढ़ने के लिए पीडीएफ़ फाइल प्रारूप में पाठ, तीसरा स्वमूल्यांकन के लिए क्विज और प्रायोगिक कार्य और चौथा शैक्षिक संदर्भ स्रोत, चर्चा फ़ोरम जिसमें अपने सहपाठियों और पाठ्यक्रम अनुदेशकों प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष (तुल्य व अतुल्यकालिक) ऑनलाइन चर्चा के अवसर उपलब्ध होते है। ‘मूक’ (MOOC) का मतलब बृहद् मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम (Massive Open Online Course) होता है जिसमें काफ़ी बड़ी संख्या में विद्यार्थी जुड़कर ज्ञान और कुशलताएँ हासिल कर सकते हैं ।

भाषा-प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम को मुख्यतः इससे जुड़े विभिन्न  ज्ञान क्षेत्रों का परिचय कराने के उद्देश्य से विकसित किया गया है, इसमें ये सभी क्षेत्र शामिल हैं —

  1. कंप्यूटर – भाषा – सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी
  2. कंप्यूटरीय भाषाविज्ञान का परिचय
  3. प्राकृतिक भाषा संसाधन की भूमिका
  4. कंप्यूटरीय भाषाविज्ञान के उत्पादों का सामान्य परिचय
  5. हिंदी के लिए कंप्यूटरीय भाषाविज्ञान के उत्पाद

इन पाँच शीर्षकों की इकाइयों के अंतर्गत कुल 48 पाठ शामिल हैं।

इस बहुविषयी पाठ्यक्रम के उद्देश्य

  • भाषा-प्रौद्योगिकी की अवधारणा, उद्देश्य व लक्ष्यों से अवगत कराना ।
  • भाषा-प्रौद्योगिकी के विकास में भाषाविज्ञान के ज्ञान की उपयोगिता की जानकारी देना ।
  • भाषावैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर कंप्यूटरीय परिवेश में भाषिक पहलुओं पर प्रभाव से संबंधित जानकारी देना ।
  • प्राकृतिक भाषा संसाधन की अवधारणा स्पष्ट करना ।
  • प्राकृतिक भाषा संसाधन में कृत्रिम बुद्धि की भूमिका को स्पष्ट करना ।
  • प्राकृतिक भाषा संसाधन के कार्यों, प्रक्रियाओं और उत्पादों से संबंधित तार्किक ज्ञान प्रदान करना ।
  • हिंदी भाषा के लिए प्राकृतिक भाषा संसाधन के द्वारा विकसित उत्पादों, सुविधाओं की जानकारी देना ।
  • हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के भाषा-प्रौद्योगिकी उत्पादों के विकास में सरकारी तथा निजी प्रयासों के संबंध में जानकारी देना ।

अध्ययन के परिणाम

 ‘भाषा-प्रौद्योगिकी का परिचय’ पाठ्यक्रम के अध्ययन के बाद छात्र…

  • भाषाविज्ञान की अनुप्रायोगिक शाखा के रूप में कंप्यूटरीय भाषाविज्ञान के विकास की जानकारी दे पाएंगे ।
  • कंप्यूटरीय अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त भाषिक मॉडलों के विकास की प्रेरणा हासिल करेंगे ।
  • कृत्रिम बुद्धि के अनुप्रयोगों की जानकारी दे पाएंगे ।
  • प्राकृतिक भाषा संसाधन के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाने के लिए आवश्यक चेतना व प्राथमिक कौशल हासिल कर पाएंगे ।
  • भाषा-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्च स्तरीय ज्ञान व उन्नत कुशलताएँ हासिल करने की प्रेरणा हासिल करेंगे ।
  • इस ज्ञान के क्षेत्र में रोज़गार के लिए प्रयास कर सकेंगे ।

इस पाठ्यक्रम का आरंभ हुआ है। फिर भी स्वयं पोर्टल ने शिक्षार्थियों की सुविधा के लिए पंजीकरण की अंतिम तारीख 28 फरवरी 2025 निर्धारित की है। इस बीच कभी भी इस पाठ्यक्रम में शामिल हो सकते हैं । 15 सप्ताह का यह पाठयक्रम 30 अप्रैल 2025 को संपन्न होगा। 18 मई 2025 (अनंतिम तारीख) राष्ट्रीय टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा इस पाठ्यक्रम की परीक्षा का आयोजन देश भर में विभिन्न परीक्षा केंद्रों में होगा। तीन घंटे की परीक्षा कंप्यूटर पर देनी पड़ेगी जिसमें विभिन्न स्तर के 50 बहुविकल्प प्रश्नों को हल करना होता है।  आमतौर एक महीने पहले ही परीक्षा अधिसूचना NTA की वेबसाइट में जारी होती हैं, ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म भरकर शुल्क जमा करने वाले शिक्षार्थी परीक्षा में शामिल होकर प्रमाणपत्र हासिल कर सकते हैं ।  परीक्षा में शामिल होने पर से पूर्व पाठ्यक्रम संबंधी आंतरिक मूल्यांकन की अपेक्षा के अंतर्गत हर सप्ताह के अंत में कोर्स पृष्ठ में उपलब्ध होने वाले तथा मशीन द्वारा स्व-मूल्यांकन के  लिए दस – दस बहुविकल्प प्रश्नों के क्विज प्रश्नों का हल करके कोर्स समाप्ति के दिन (30 अप्रैल 2025) तक जमा करके दोनों ( आंतरिक तथा बाह्य) परीक्षाओं में सफलता हासिल करने वाले शिक्षार्थी प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं ।

इस पाठ्यकम में शामिल उत्साही पूर्व विद्यार्थी टेलिग्राम समूह के माध्यम से सभी पाठों से संबंधित विषयों में अभ्यासार्थ क्विज का नियमित आयोजन करते हैं। इस लिंक के माध्यम से भाषा-प्रौद्योगिकी  टेलिग्राम (Telegram) समूह से जुड़कर इसका लाभ उठा सकते हैं :- https://t.me/+TjsulIN0vgVmOGRl

इस पाठ्यक्रम के शिक्षार्थियों को अद्यतन सूचनाएँ देने की सुविधा के लिए फेसबुक, यूट्यूब व वाट्सैप चैनल भी सक्रिय हैं । फ़ेसबुक चैनल का पता – https://tinyurl.com/224bmrs7

यूट्यूब चैनल का पता – https://tinyurl.com/75ymtvt7

वाट्सैप चैनल का पता – https://tinyurl.com/mvk4efzy

21 वीं के अद्यतन ज्ञान हासिल करने में उपयोगी भाषा-प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम ‘स्वयं’ (SWAYAM) निःशुल्क पाठयक्रम के जनवरी 2025 सत्र में पंजीकरण के लिए लिंक – https://tinyurl.com/cpuue4ba

इस 5 क्रेडिट के इस लोकप्रिय पाठ्यक्रम में एक महीने के भीतर 1100 से अधिक विद्यार्थी, विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षक, व्यवसायी आदि प्रवेश ले चुके हैं। घर बैठे अपने अनुकूल समय पर अद्यतन ज्ञान, कौशल व चेतना हासिल करने का अवसर भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की पहल से सुलभ हो पाया है। इस ज्ञान कुंभ का लाभ उठाने का अवसर दुनिया भर के उत्साहियों के लिए खुला है।  बड़ी संख्या में शिक्षार्थी इससे लाभान्वित हो सकते हैं।

 

डॉ. सी. जय शंकर बाबु
संपादक, ‘युग मानस’
ई-मेल –  yugmanas@gmail.com
दूरभाष – 09843508506

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार