शास्त्री( यूजी)और एक वर्षीय आचार्य(पीजी) पाठ्यक्रम की शुरुआत हो जाएगी। नई शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत शास्त्री स्नातक, शास्त्री प्रतिष्ठा और आचार्य की उपाधियां सेमेस्टर पूरे करने के आधार पर दी जाएंगी। चार वर्षीय शास्त्री में सभी सेमेस्टरों में मेजर-माइनर(वेद,ज्योतिष,व्याकरण,साहित्य,दर्शन,बौद्ध दर्शन,कश्मीर शैव दर्शन,धर्मशास्त्र,अद्वैत वेदांत,पुराणेतिहास,पालि प्राकृत इत्यादि)विषयों के साथ आधुनिक विषय राजनीति विज्ञान,इतिहास,अंग्रेजी,हिन्दी, संगणक आदि के साथ-साथ कौशल विकास विषयों की भी पढ़ाई करनी होगी। विश्वविद्यालय की एन ई पी पाठ्यक्रम निर्धारण समिति की रिपोर्ट और सुझावों को विश्वविद्यालय सहित आदर्श महाविद्यालयों और सभी संबद्ध महाविद्यालयों में लागू कर दिया गया है।
नई व्यवस्था के अनुसार शास्त्री में दो सेमेस्टर पूरे करने वाले छात्रों को सर्टिफिकेट, चार सेमेस्टर पूरे करने पर डिप्लोमा, छह सेमेस्टर पर शास्त्री (स्नातक) की डिग्री दी जाएगी। आठ सेमेस्टर की परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को शास्त्री प्रतिष्ठा की उपाधि मिलेगी। दस सेमेस्टर पूरे करने वालों को सीधे आचार्य या स्नातकोत्तर की डिग्री दी जाएगी। इन छात्रों को शोध के लिए अर्ह माना जाएगा। सभी सेमेस्टरों में मुख्य विषय 100 अंकों के होंगे, जिनमें 60 अंक की लिखित परीक्षा और 40 अंक का सतत मूल्यांकन होगा। छात्रों को माइनर कोर्स के साथ ही इंटर डिसिप्लिनरी विषय और कौशल एवं दक्षता विकास, नैतिक मूल्य विषयों की पढ़ाई भी करनी होगी। दक्षता विकास में भाषाएं और कौशल विकास में योग, कंप्यूटर, संगीत, नाट्य कर्मकांड, ज्योतिष, वास्तु आदि विषय होंगे। पाठ्यक्रम में सभी छात्रों के लिए प्रशिक्षुता अनिवार्य है। जिससे छात्रों को रोजगार के लिए उचित माध्यम प्राप्त हो सके।