Wednesday, June 26, 2024
spot_img
Homeपर्यटनकोई मत जाना कुफरी!

कोई मत जाना कुफरी!

एक पोस्ट की हेडिंग थी कुछ दिन पहले।
उस समय तो मेरे पास सब लिखने का समय नही था किंतु आज विस्तार पूर्वक बताना बनता है ताकि कोई भी घुमक्कड़ इस तरह की लूट में नहीं फंसे।
माना लोग घूमने जाते है तो खर्चा होता है कहीं कम,कहीं ज्यादा। आखिर कुछ जगह पर लोग कमाते भी केवल पर्यटन से हैं किंतु आटे में नमक जितना फ्रॉड चल जाता है किंतु कुफरी में नमक में आटा मिलाया जाता है जिससे घूमने का जायका बिगड़ता ही नहीं अपितु पेट मतलब मूड खराब हो जाता है।
तो शुरुआत करते हैं शिमला से दो दिन शिमला में बिताने के बाद लगा आस पास का एरिया भी घूमा जाए तो लोगों ने कुफरी का सुझाव दिया।
शायद मेरी गलती ये हो गई कि कुफरी गर्मियों में आ गई किंतु अगर सर्दियां होती तो भी ये लूट मुझे ऐसे ही परेशान करती।
तो भाई 1200 से 1500 के बीच आपको टैक्सी मिलेंगी जो आपको 5 या 6 प्वाइंट पूरे करवाएगी। उसमें टैक्सी वाले आपको ये बिलकुल नहीं बताएंगे कि आगे सभी प्वाइंट पर टिकिट लगता है केवल ग्रीन वैली को छोड़कर जो रोड़ पर ही है बस हरा भरा सा क्षेत्र है और टिकिट भी 100, 200 की नहीं, 1500 से 2500 तक की होगी।
तो अब बढ़ते हैं आगे…
टैक्सी वाले ने हमें एडवेंचर पार्क पर रोक दिया और बोला घूम लो हमें पता चला कि टिकिट के ही 6000 होते हैं तो सोचा छोड़ो क्या एडवेंचर करना क्योंकि इस तरह के एडवेंचर अमूमन हर शहर में बने हुए हैं।
फिर टैक्सी वाले ने गाड़ी रोकी दूसरे पार्क में जहां घोड़े ले जाते हैं…. हमको लगा कुछ खास जगह होगी जो घोड़े ले जा रहे हैं तो बस 1500 की पीपी टिकिट कटवा ली और तीन गधे घोड़ों का इन्तजार करने लगे।
अपनी मूर्खता के लिए यही लाइन ठीक लगी।
अब 20मिनिट के इंतज़ार के बाद घोड़े हमें लेकर गए और एक से डेढ़ km चलने के बाद हमें उतार दिया।
चारों तरफ़ रेत मिट्टी उड़ रही थी, अब यहां से पैदल चलकर जाना था तो याक तक पहुंचे और 50 rs प्रति व्यक्ति के हिसाब से याक पर बैठकर फ़ोटो खिंचा ली।
अब आगे छोले टिक्की, डोसा मोमोज की दुकानें पीले तंबू में लगा रखी थी ये था यहां का बाजार और रेत मिट्टी निरंतर उड़ रही थी।
आगे जाकर एक पिकअप गाड़ी से या मोटी चार पहियों वाली बाइक से आपको आगे जाना था एप्पल गार्डन देखने।
पिकअप गाड़ी 100 rs और मोटी बाइक 400rs ले रही थी ये गाडियां इतनी धूल उड़ा रही थी की रेत का बवंडर बन रहा था। अब जितना भी सज संवर कर गए थें मिट्टी की एक इंच मोटी परत जम गई थी। हमने पैदल जाना ज्यादा सही समझा बस इतनी ही समझदारी दिखा पाए।
एप्पल गार्डन में ना दिखने वाले दो चार एप्पल ऐसे दिखे जैसे नासा वाले नया ग्रह ढूंढते हैं।
अब पूरे एप्पल गार्डन में घूमते से पहले ही टांगों ने जवाब दे दिया क्योंकि पूरा रास्ता ऊबड़ खाबड़ था कपड़े जुते और शकल का सहारा रेगिस्तान बन चुका था।
बस एक चीज़ जो अच्छी थी महासु देवता का मंदिर, उस पर भी ताला जड़ा था जो सदियों से बंद पड़ा था।
आगे जाने की हिम्मत जुटाई तो पता चला दूर टॉवर के नीचे एडवेंचर गेम हो रहे हैं वहीं जाना है।
एक मन हुआ वापस चलें पर 1500 pp का अभी एक rs वसूल नही हुआ था तो चल दिए टावर की दिशा में एक km के बाद टावर मिला और वहां zip लाइन मिली जो करनी थी… मगर लाइन इतनी लंबी की लगता था चांद तक जा रही है।
दो घंटे इंतज़ार के बाद नंबर आया तो थकान और डर के मारे वीडियो नही बना पाई… सब गुड गोबर हो गया ।
अब बेटे को zip लाइन करवाने से मना कर दिया कि इसके लिए कोई ट्रेनर जायेगा जो 250 rs अलग से लेगा… मुंह से निकला तेरी….. कुछ हद तक हम अपने मेवाती स्वरूप में आ चुके थे।
फैशन की बैंड बज चुकी थी…
बाद में बेटे को एक छोटा गेम करवाया और जेल के कैदी की तरह वहां से भागे…. अब किसी तरह रुम हाथ आ जाए और आराम करें।
मगर अभी पैदल वापस घोड़ों तक जाना था और फिर घोड़े पर बैठकर टैक्सी तक, टैक्सी से शिमला तक और शिमला में 50सीढियां चढकर अपने रुम तक और ताला खोलकर बिस्तर तक…. सीधा नर्क का रास्ता नज़र आ रहा था।
जैसे तैसे घोड़ों तक पहुंचे और 20 मिनिट इंतज़ार के बाद घोड़े लेकर गए,,, घोड़े किनारे किनारे चल रहे थे तो जान हलक में अटकी पड़ी थी।
यहां एक बात सोचने की है वहां केवल घोड़ों को ले जाया जा सकता है तो अंदर गाडियां कहा से पहुंच गई?
इसका मतलब गाड़ियों के लिए कोई और भी रास्ता होगा जो ये लोग छुपा कर रखते हैं और पर्यटकों को जबरदस्ती घोड़ों से भेजते हैं एक से दो km का ट्रैक तो व्यक्ति पैदल भी जा सकता है जैसे अंदर जा ही रहा था।
तो इस तरह हम नर्क से बाहर आए और टैक्सी में आकर बैठ गए।
तभी टैक्सी वाले ने पूछा… कुफरी zoo चलोगे?
हम दोनों के मुंह से निकला नहीं…
सीधे शिमला चलो होटल उतार देना।
अब कुछ आराम था गाड़ी चल रही थी और हम आपनी बेवकूफी पर निराश हो रहे थे।…
एक बार फिर
कोई मत जाना कुफरी दोस्तों…
image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार