कोटा शहर में जन्मी और बाद में उच्च शिक्षा लेकर केंद्रीय विद्यालयों में सहायक प्राचार्य रहीं प्रतिष्ठित हिंदी कवियित्री सुधा जे.वर्मा की काव्य रचना के संग्रह ‘जीवनामृत‘ का विमोचन पुणे के एंबियंस बैंक्वट सभागार में किया गया।
समारोह में विशिष्ठ अतिथि आई.आई.टी. एम.पुणे के वैज्ञानिक डॉ अतुल सहाय, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बी.के.सुवर्णा दीदी, प्रभारी-खड़की, बी.के. आशा दीदी, बी.के. पद्मा दीदी, समाजसेवी महेश चंद्र वर्मा, हिन्दी अधिकारी हंस प्रताप सिंह और कवियित्री सुधा जे.वर्मा का कर्नल महावीर वर्मा, राजेंद्र असावा, बृजेश वर्मा का अनिता वर्मा एवं लारा वर्मा ने शाल, श्रीफल व पुष्पाहार से स्वागत किया।
विशिष्ठ अतिथि डॉ अतुल सहाय ने कहा कि ‘‘जीवनामृत‘‘ पुस्तक अपनी उत्कृष्ठ कविताओं के माध्यम से देश के प्रतिष्ठित कवियों की काव्य परम्परा को आगे बढ़ाने में सशक्त माध्यम बनेगी। कुछ रचनाएँ इतनी प्रेरक हैं कि उन्हें विद्यालयों के हिन्दी पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किया जा सकता है।
बी.के. सुवर्णा ने कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थी सुधा जे.वर्मा की आध्यात्मिक प्रज्ञा चेतना और हिन्दी भाषा पर उनकी सशक्त विद्वता से परिचित हैं। वर्तमान में 80 प्रतिशत दृष्टि खो देने के बाद भी वह नियमित ईश्वरीय विश्वविद्यालय केंद्र में आती है। उन्होंने सर्व हिताय- सर्व सुखाय कविताओं की पुस्तक सम्पूर्ण समाज को अर्पित की है। उन्होने बाबा की मुरली, शिव शक्ति का प्यारा झंडा, ज्ञान की राखी, रूहानी होली और मेरा शत-शत नमन जैसी श्रेष्ठ काव्य रचनाओं को अपनी पुस्तक‘‘ जीवनामृत‘‘ में शामिल कर देश, समाज और संस्था की सेवा का अतुल्य और सराहनीय कार्य किया है।
एडवोकेट महेशचंद्र वर्मा ने कहा कि सुधा जे.वर्मा की काव्य पुस्तक ‘‘जीवनामृत‘‘ कवयित्री की 60 वर्षों में रची इंद्रधनुषी सकारात्मक कविताओं की धरोहर है। इसमें मां, बचपन, शब्द, शिक्षा, हिन्दी, आध्यात्म, संस्कृति, नवजागृति, जीवनधर्म, केंद्रीय विद्यालय, गणतंत्र, भ्रष्टाचार, फसलों, आविष्कार और नफरत के बदले प्यार जैसे समसामयिक विषयो पर जीवन को श्रेष्ठ बनाने वाली कई सशक्त रचनाएं है। यह पुस्तक एक दस्तावेज है जो उत्तम जीवन निर्माण के लिए सुधा जे.वर्मा ने सभ्य समाज और अगली पीढ़ी को सौंपा है।
कवयित्री सुधा जे. वर्मा ने कहा कि उन्होंने बचपन से अब तक जीवन में जो अनुभव किया, सीखा और जिया उसे कविताओं में अभिव्यक्त किया है। उन्होंने सभी काव्यानुरागी, प्रबुद्धजनों, गुरुजनों, परिजनों, प्रेरकों, सहयोगियों, समीक्षकों सहित साहित्यकार, कवि अंबिका दत्त चतुर्वेदी, महेंद्र नेह और प्रभात कुमार सिंघल एवं हिमाांशु कुमार व प्रखर वर्मा का आभार जताया। संचालन श्रीमती जया वर्मा ने किया। बृजेश वर्मा ने बताया कि ‘‘जीवनामृत‘‘ ऑनलाईन उपलब्ध है।