Monday, November 25, 2024
spot_img
Homeमनोरंजन जगतगुजरात की लोककथाओं के आसपास गहराई से समाई ‘कारखानू

गुजरात की लोककथाओं के आसपास गहराई से समाई ‘कारखानू

आईएफएफआई में प्रदर्शित होने के बाद गुजराती सिनेमा में धूम मचाने के लिए तैयार: रुषभ थांकी, निर्देशक
‘गूगल मैट्रिमोनी’ लोगों के जीवन पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव की खोज करती है: अभिनव जी अत्रे, फिल्म निर्माता

एक सच्ची कहानी ‘राडोर पाखी’ में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित एक लड़की का संवेदनशील चित्रण; अपने सपने पूरा करने के लिए कठिन परिस्थितियों से निकलकर उसकी सशक्त बनने की भावना : डॉ. बॉबी शर्मा बरुआ, निर्देशक

भारत के 55वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में तीन बेहतरीन फिल्में दिखाई गईं: गुजराती फिल्म ‘कारखानू’, असमिया फिल्म ‘राडोर पाखी’ और ‘गूगल मैट्रिमोनी’। दूरदर्शी निर्देशकों और निर्माताओं द्वारा निर्मित ये सिनेमाई रत्न रहस्य, हास्य, डरावनी, प्रामाणिक मानवीय संबंधों की तलाश और जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करने की ताकत जैसे गहरे विषयों का पता लगाते हैं।

मीडिया से बातचीत में ‘कारखानू’ के निर्देशक रुषभ थांकी ने बताया कि यह फिल्म गुजरात की लोककथाओं के आसपास गहराई से जुड़ी हुई है। शुरुआत में इसे एक लघु फिल्म के रूप में बनाया गया था, लेकिन बाद में इसे एक पूरी फीचर फिल्म में बदल दिया गया। अभिनेता पार्थ दवे ने फिल्म को दो साल की यात्रा, एक व्यंग्य और एक-कट प्रोजेक्ट बताया, जो स्व-वित्तपोषित था, जिसने आईएफएफआई में इसकी स्क्रीनिंग के साथ गुजराती फिल्म उद्योग के लिए एक नई उपलब्धि हासिल की।

फिल्म ‘गूगल मैट्रिमोनी’ के लिए निर्देशक श्रीकार्तिक एस एस ने बताया कि यह फिल्म एक एंथोलॉजी (विभिन्‍न लेखकों की एक ही विषय पर लिखी रचनाओं का संग्रह) का हिस्सा है। फिल्म निर्माता अभिनव जी अत्रे ने बताया कि कहानी बताती है कि प्रौद्योगिकी किस तरह से जीवन को प्रभावित करती है। अभिनेता देव ने कहा कि टीम आईएफएफआई में मिली सराहना को महत्व देती है, जो उभरते फिल्म निर्माताओं को प्रेरित करती है। जब उनसे फिल्म की व्यावसायिक व्यवहार्यता के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनका ध्यान पैसा कमाने के बजाय एक सार्थक फिल्म बनाने पर था।

फिल्म ‘राडोर पाखी’ के निर्देशक डॉ. बॉबी शर्मा बरुआ ने बताया कि यह फिल्म स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित एक लड़की का संवेदनशील चित्रण है। जब उनसे फिल्म के संयमित स्वर के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि यह एक सच्ची, दिल को छू लेने वाली कहानी पर आधारित है। अभिनेत्री सुलख्याना बरुआ ने बताया कि ‘राडोर पाखी’ का हिस्सा बनना मानसिक और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण था, लेकिन एक बड़ा सम्मान था, क्योंकि उन्होंने एक वास्तविक जीवन की प्रेरणादायी शख्सियत का किरदार निभाया था।

फ़िल्म के बारे में:

कारखानू – ‘कारखानू’, जिसे ‘भारतीय फीचर-फ़िल्म’ श्रेणी में दिखाया जा रहा है, गुजरात की पहली ‘स्मार्ट हॉरर कॉमेडी’ है, जो विचित्र और भयानक “हॉन्टेड फ़ैक्टरी” को जीवंत करती है। काली चौदस की रात को, तीन बढ़ई एक भूतिया कार्यशाला में फंस जाते हैं, जहाँ विचित्र घटनाएँ उन्हें देर होने से पहले इसके रहस्यों को उजागर करने के लिए मजबूर करती हैं। रहस्य, हास्य और डरावनी कहानियों का एक रोमांचक मिश्रण, यह फ़िल्म एक अविस्मरणीय अनुभव का वादा करती है।

गूगल मैट्रिमोनी – ‘गूगल मैट्रिमोनी’, जिसे ‘भारतीय गैर-फीचर फिल्म’ श्रेणी में दिखाया जा रहा है, अंधे अनंथु की कहानी है, जो एकांत जीवन जीता है, और दृष्टि और सहायता के लिए अपने गूगल ग्लास पर निर्भर रहता है। अपनी दृष्टिहीनता के कारण मैट्रिमोनी साइट्स पर अस्वीकृति से संघर्ष करते हुए, उसकी दुनिया तब बदल जाती है जब उसका गूगल ग्लास एक महिला को उसकी ओर मुस्कुराते हुए देखता है, उसे किसी के साथ मजबूत जुड़ाव का अहसास होता है। यह फिल्म तकनीक से प्रेरित दुनिया में सच्चे मानवीय संबंध की खोज को दर्शाती है, जहाँ वास्तविकता और भ्रम अक्सर आपस में जुड़े होते हैं, और प्यार और स्वीकृति अंतिम इच्छाएँ बनी रहती हैं।

राडोर पाखी – ‘राडोर पाखी’ असम की एक महत्वाकांक्षी लेखिका ज्योति की सच्ची कहानी है, जिसे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का पता चला है, जिसके कारण वह बिस्तर पर पड़ी रहती है। अपनी शारीरिक चुनौतियों के बावजूद, वह लेखिका बनने के अपने सपने को पूरा करने में लगी रहती है। फिल्म में उसकी यात्रा पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें मानवीय भावना का लचीलापन और अपने सपनों को पूरा करने के लिए बाधाओं को पार करने में पाई जाने वाली ताकत को दिखाया गया है।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार