वरिष्ठ पत्रकार विमल मिश्र ने मुंबई महानगर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के ऐसे ऐसे चित्र प्रस्तुत किये कि सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो गए। रविवार 12 मई 2024 की शाम को मृणालताई हाल, केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट गोरेगांव में चित्रनगरी संवाद मंच मुंबई के सृजन संवाद में विमल मिश्र ने अपनी सुदीर्घ पत्रकारिता के रोचक अनुभव श्रोताओं के साथ साझा किये। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में प्रशिक्षण के बाद विमल जी ने बनारस के सुप्रसिद्ध हिंदी दैनिक ‘आज’ में पांच साल काम किया। उसके बाद नवभारत टाइम्स मुंबई में उनकी नियुक्ति हुई। यहां नगर सम्पादक के पद से वे सेवा निवृत्त हुए।
श्रोताओं के सवालों का जवाब देते हुए विमल जी ने कहा कि ‘लोग’ स्तंभ का लेखन उनके लिए सबसे चुनौती पूर्ण काम था। यह स्तंभ नवभारत टाइम्स में 28 साल चला। सप्ताह में तीन लोगों पर लिखना होता था। इस तरह उन्होंने 28 साल में साढे पांच हज़ार लोगों के बारे में लिखा। इस स्तंभ में उन्होंने अनाथ बच्चों को खाना खिलाने वाली भिखारन से लेकर लोकल ट्रेन में पानी की बोतल बांटने वाले राजू भाई तक के बारे में लिखा।
मुंबई के लोकल स्टेशनों पर विमल मिश्र की किताब ‘मुंबई लोकल’ रेलवे की एनसाइक्लोपीडिया मानी जाती है। अब तक वे मुंबई महानगर पर 1200 से अधिक लेख लिख चुके हैं। उन्होंने मुंबई महानगर के कई ऐसे स्थलों का ज़िक्र किया जिन्हें विरासत के रूप में महत्वपूर्ण दर्जा प्राप्त है। इनमें गिलबर्ट हिल से लेकर कान्हेरी की गुफाएँ तक शामिल हैं।
शुरूआत में में कथाकार सूरज प्रकाश ने प्रस्तावना पेश करते हुए कहा कि मुम्बई विरोधाभासों का शहर है। विमल जी ने इन विरोधाभासों पर विस्तार से लिखा है। प्रतिष्ठित लेखक राजशेखर व्यास ने विमल जी के योगदान की तारीफ़ करते हुए कहा कि मुम्बई के अपने निजी अनुभवों पर विमल जी को किताब लिखनी चाहिए।
‘धरोहर’ के अंतर्गत अभिनेता शैलेंद्र गौड़ ने विभाजन की त्रासदी पर आधारित गुलज़ार की कहानी का पाठ किया। विस्थापन की पीड़ा को उन्होंने ऐसे असरदार ढंग से पेश किया कि लोगों की आंखें नम हो गईं।
‘कविता में मुम्बई’ के अंतर्गत चुनिंदा कवियों ने मुम्बई महानगर पर लिखी कविताओं का पाठ किया। इनमें शामिल थे- दीप्ति मिश्र, मनजीत सिंह कोहली, गुलशन मदान, अनिल गौड़, अमर त्रिपाठी, प्रदीप गुप्ता, राजेश ऋतुपर्ण और सविता दत्त। संचालन आपके दोस्त देवमणि पांडेय ने किया।
कुल मिलाकर यह एक ऐसा यादगार कार्यक्रम था जिसमें मुंबई के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पक्ष से लेकर बदलते हुए परिदृश्य पर रोचक चर्चा हुई और महानगरीय अनुभवों पर विविधरंगी कविताएं भी सुनने को मिली। अगले रविवार 19 मई को शाम 5 बजे दिल्ली की ‘प्रासंगिक रंग संस्था’ रंगकर्मी आलोक शुक्ला के निर्देशन में चित्रनगरी संवाद मंच में ‘उसके साथ, नाटक का मंचन करेगी। आप सादर आमंत्रित हैं।