Friday, April 18, 2025
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जकार्ता मुरुगन मंदिर: एकता और विरासत के लिए एक नया आध्यात्मिक मील का पत्थर

जकार्ता (इंडोनेशिया) जकार्ता मुरुगन मंदिर, जिसे श्री सनातन धर्म आलयम के नाम से भी जाना जाता है, इंडोनेशिया का पहला ऐसा मंदिर बना है जो भगवान मुरुगन को समर्पित है, जो आध्यात्मिकता, संस्कृति और एकता का प्रतीक है।

मंदिर की यात्रा 14 फरवरी 2020 को भारत और मलेशिया के प्रसिद्ध पुजारियों की अगुआई में ऐतिहासिक भूमिपूजन पूजा के साथ शुरू हुई। इस समारोह का उद्घाटन डीकेआई जकार्ता के गवर्नर ने किया और इसमें पीपुल्स कंसल्टेटिव असेंबली और प्रतिनिधि सभा के सदस्यों, भारतीय राजदूत और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक संगठनों के नेताओं सहित प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम ने इंडोनेशिया के बहुसांस्कृतिक और बहुजातीय समाज के बीच एकजुटता की भावना को उजागर किया।

DKI जकार्ता सरकार द्वारा उदारतापूर्वक दान किए गए 4,000 वर्ग मीटर के भूखंड पर निर्मित यह मंदिर जकार्ता के पश्चिमी भाग में स्थित है। पूजा स्थल से कहीं अधिक के रूप में डिज़ाइन किए गए इस मंदिर में निम्नलिखित विशेषताएँ होंगी:

प्रीमियम प्लास्ट ने मार्जिन ग्रोथ के साथ वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही में लाभप्रदता को मजबूत किया’

* सामुदायिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक बहुउद्देशीय हॉल।

* इंडोनेशिया में भारत-भारतीय विरासत का एक संग्रहालय, जो दो संस्कृतियों के बीच ऐतिहासिक संबंध को प्रदर्शित करता है।

* हरे-भरे बगीचे, चिंतन और ध्यान के लिए शांत वातावरण प्रदान करते हैं।

यह मंदिर भारतीय, बाली और जावानी परंपराओं के सामंजस्यपूर्ण सम्मिश्रण का प्रतीक है, साथ ही पंचशील के मूल्यों को भी अपनाता है। यह आध्यात्मिक प्रथाओं, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पर्यटन के लिए एक एकीकृत स्थान के रूप में कार्य करता है।

महाकुंभभिषेक समारोह का नेतृत्व परम पावन डॉ. शिवश्री के. पिचाई गुरुक्कल  ने किया, जो विकासरत्न पुरस्कार विजेता हैं, तथा भारत के 72 गुरुकलों द्वारा समर्थित हैं।

इस अवसर पर प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, जकार्ता मुरुगन मंदिर न केवल भारतीय-भारतीय समुदाय के लिए एक आध्यात्मिक अभयारण्य के रूप में काम करेगा, बल्कि पर्यटकों के लिए इंडोनेशिया की विविध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत की समृद्धि का अनुभव करने के लिए एक गंतव्य के रूप में भी काम करेगा।

यह उपलब्धि गेमा साधना और श्री सनातन धर्म आलयम ट्रस्ट जैसे संगठनों के समर्पण के साथ-साथ स्थानीय सरकार और सामुदायिक नेताओं के अटूट समर्थन से संभव हो सकी।

भारत और इंडोनेशिया के लोगों के लिए, हमारे रिश्ते सिर्फ geo-political नहीं हैं। हम हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति से जुड़े हैं। हम हजारों वर्ष पुराने इतिहास से जुड़े हैं। हमारा संबंध विरासत का है, विज्ञान का है, विश्वास का है। हमारा संबंध साझी आस्था का है, आध्यात्म का है। हमारा संबंध भगवान मुरुगन और भगवान श्री राम का भी है। और, हमारा संबंध भगवान बुद्ध का भी है।

भारत से इंडोनेशिया जाने वाला कोई व्यक्ति जब प्रम्बानन मंदिर में हाथ जोड़ता है, तो उसे काशी और केदार जैसी ही आध्यात्मिक अनुभूति होती है। जब भारत के लोग काकाविन और सेरात रामायण के बारे में सुनते हैं तो उनमें वाल्मीकि रामायण, कम्ब रामायण और रामचरित मानस जैसी ही भावना जगती है। अब तो भारत में अयोध्या में इंडोनेशिया की रामलीला का मंचन भी होता रहता है। इसी तरह, बाली में जब हम ‘ओम स्वस्ति-अस्तु’ सुनते हैं, तो हमें भारत के वैदिक विद्वानों का स्वस्ति-वाचन याद आता है।

आपके यहाँ बोरोबुदुर स्तूप में हमें भगवान बुद्ध की उन्हीं शिक्षाओं के दर्शन होते हैं, जिनका अनुभव हम भारत में सारनाथ और बोधगया में करते हैं। हमारे ओडिशा राज्य में आज भी बाली जात्रा को सेलिब्रेट किया जाता है। ये उत्सव उन प्राचीन समुद्री यात्राओं से जुड़ा है, जो कभी भारत-इंडोनेशिया को व्यापारिक और सांस्कृतिक रूप से जोड़ती थीं। आज भी, भारत के लोग जब हवाई यात्रा के लिए ‘गरुड़ इंडोनेशिया’ में बैठते हैं, तो उन्हें उसमें भी हमारी साझा संस्कृति के दर्शन होते हैं।

हमारे रिश्ते ऐसे कितने ही मजबूत तारों से गुथे हैं। अभी जब प्रेसिडेंट प्रबोवो भारत आए थे, हम दोनों ने तब भी इस साझी विरासत से जुड़ी कितनी ही चीजों पर बात की, उन्हें cherish किया! आज जकार्ता में भगवान मुरुगन के इस नए भव्य मंदिर के जरिए हमारी सदियों पुरानी विरासत में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ रहा है।

मुझे विश्वास है, ये मंदिर न केवल हमारी आस्था का, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का भी नया केंद्र बनेगा।

मुझे बताया गया है कि इस मंदिर में भगवान मुरुगन के अलावा विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों की भी स्थापना की गई है। ये विविधता, ये बहुलता, हमारी संस्कृति का सबसे बड़ा आधार है। इंडोनेशिया में विविधता की इस परंपरा को ‘भिन्नेका तुंग्गल इका’ कहते हैं। भारत में हम इसे ‘विविधता में एकता’ कहते हैं। ये विविधता को लेकर हमारी सहजता का ही है कि इंडोनेशिया और भारत में भिन्न-भिन्न संप्रदाय के लोग इतने अपनत्व से रहते हैं। इसलिए आज का ये पावन दिन हमें Unity in Diversity की भी प्रेरणा दे रहा है।

हमारे सांस्कृतिक मूल्य, हमारी धरोहर, हमारी विरासत, आज इंडोनेशिया और भारत के बीच people to people connect बढ़ा रहे हैं। हमने साथ मिलकर प्रम्बानन मंदिर के संरक्षण का फैसला किया है। हम बोरोबुदुर बौद्ध मंदिर को लेकर अपनी साझी प्रतिबद्धता प्रकट कर चुके हैं। अयोध्या में इंडोनेशिया की रामलीला का ज़िक्र अभी मैंने आपके सामने किया! हमें ऐसे और कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है। मुझे विश्वास है, प्रेसिडेंट प्रबोवो के साथ मिलकर हम इस दिशा में और तेजी से आगे बढ़ेंगे।

  विस्तृ्त जानकारी के लिए संपर्क करें
https://jktmurugantemple.org/mk2025/

मनिवासुगेन (+628126446342)
सरवन कुमार (+62811155933)
वेट्रिवेल् मुरुगनुक्कु…..हरोहरा

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