* साहित्य में शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण ग्रन्थ — विजय जोशी
* बात दूर तक जाएगी – निर्मोही
* श्री भारतेंदु साहित्य समिति को पुनर्जीवित जाने के प्रयास हो – अख्तर खान
कोटा / कोटा में सोमवार 10 मार्च का दिन साहित्य में शोधार्थियों के लिए बड़ी सौगात ले कर आया जब राजस्थान के लोकप्रिय जन संपर्क कर्मी , लेखक और पत्रकार डॉ. प्रभात कुमार सिंघल की 56 पुस्तक ” राजस्थान के साहित्य साधक ” का तालमंडी के एक होटल में समारोहपूर्वक लोकार्पण किया गया। मुख्य वक्ता कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने पुस्तक की विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पुस्तक साहित्य के शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रन्थ साबित होगा।
मुख्य वक्ता ने कहा कि इस कृति में साहित्य कर्म और मर्म से समृद्ध राजस्थान के ऐसे प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपने रचनाकर्म से राष्ट्रीय ही नहीं वरन् अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाकर साहित्य और सृजन की मूल संवेदना को स्थापित कर महती योगदान दिया है। ऐसे साहित्य साधकों पर सृजित यह ग्रंथ इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इन सभी ने लोकमंगल की भावना से अपने सृजन को समृद्ध कर उभरती प्रतिभाओं को भी दिशाबोध प्रदान किया है। इस कृति में राजस्थान वासी और प्रवासी साहित्यकारों के कृतित्व पर शोधात्मक और विवेचनात्मक आलेखन है जो इस कृति को एक सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में सामने लाता है। इस कृति में कतिपय साहित्यकारों के ऐसे सन्दर्भ भी हैं जिनसे लेखकीय दायित्व का बोध होता है और सृजनरत पीढ़ी को रचनात्मक संस्कृति की वास्तविक से आत्मसाक्षात्कार होता है।
उन्होंने कहा यह लेखक लेखक की कर्मठता और पत्रकारिता के मध्य यात्रा करती उस अनुसंधानात्मक लेखकीय प्रवृत्ति का परिणाम है कि उन्होंने साहित्य साधकों से साहित्यिक परिवेश की पड़ताल करने और उसको अभिव्यक्त कर पाने का अवसर लिया और आलेखों की रचनात्मक ऊर्जा को साधे रखा।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए एडवोकेट, साहित्यकार और पत्रकार अख्तर खान अकेला ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है। खुशी की बात हैं के कोटा के साहित्यकारों में डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ने समन्वय स्थापित कर साहित्य चेतना का माहौल बना रहे हैं और बच्चों को साहित्य से जोड़ने की पहल कर रहे हैं। आज कोटा में साहित्यक सृजन, संगोष्ठियों, पुस्तक लेखन, साहित्यिक कार्यक्रमों का माहौल बना है, जो कोटा, राजस्थान, देश और समाज के लिये सुझाव ओर संरक्षण देने वाला है। उन्होंने कहा कि सभी साहित्यकारों को मिलकर देश की सबसे पुरानी कोटा में स्थापित साहित्यिक संस्था भारतेंदु समिति में साहित्यिक सृजन की नियमित गतिविधियां शुरू होने इसके लिये आंदोलनकारी प्रयास करें और साहित्यिक माहौल को पुनर्जीवित करें।
मुख्य अतिथि बूंदी के वरिष्ठ साहित्यकार रामस्वरूप मूंदड़ा ने साहित्य के क्षेत्र में पुस्तक के प्रयास को श्लाघनीय बताते हुए कहा कि एक चिन्तनशील व्यक्तित्व की यही पहचान है कि वह निरन्तर सदैव नया सोचता ही नहीं करता भी रहता है । आशा है पुस्तक साहित्य जगत में शोध की दृष्टि से नये द्वार खोलेगी और उपयोगी साबित होगी ।
विशिष्ठ अतिथि कोटा के वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही ने कहा पुस्तक में शामिल देश के प्रसिद्ध साहित्यकारों को शामिल करने से बात दूर तक जाएगी। यह महत्वपूर्ण कार्य संवाद मांगता है। हमारा दायित्व है कि हम इस कृति पर भरपूर चर्चा करें, उसकी समीक्षा श्रंखला बध्द तरीके से सामने आये।
विशिष्ठ अतिथि रामेश्वर शर्मा रामू भैया ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस कृति से कृति से राजस्थान के सृजनात्मक संदर्भ तो समृद्ध होंगे ही साथ ही साथ राजस्थान के साहित्यकारों पर केंद्रित एक समग्र और सर्वांगीण कृति जिसकी आवश्यकता लंबे समय से बनी हुई थी, उसकी पूर्ति भी होगी।
संचालन करते हुए लेखक डॉ. सिंघल ने बताया कि इस कृति में राजस्थान के 62 रचनाकारों के सम्पूर्ण साहित्यिक अवदान को रेखांकित करने का प्रयास किया गया है। इसमें 11 प्रवासी रचनाकार हैं। पुस्तक में राजस्थान 7 संभाग और 18 जिलों का प्रतिनिधित्व हुआ है। पुस्तक के प्रकाशन में साहित्यकार मुंबई की किरण खेरुखा, ओडिशा के दिनेश कुमार माली, कोलकाता के राजेंद्र केडिया, कोटा के रामेश्वर शर्मा रामू भैया और डॉ. अपर्णा पाण्डेय का विशेष आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ, जिसके बिना प्रकाशन संभव नहीं था। इस सभी सहयोगियों का मैं तहे दिल से कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं।
राष्ट्रीय बाल होली प्रतियोगिता :
डॉ. सिंघल ने होली के अवसर पर गांधीनगर गुजरात की समरस संस्थान साहित्य सृजन भारत और कोटा की संस्कृति, साहित्य, मीडिया फोरम के संयुक्त तत्वावधान में आर्यन लेखिका मंच, केसर काव्य मंच, रंगीतिका संस्थाओं के सहयोग से आयोजित राष्ट्रीय होली बाल कविता प्रतियोगिता की जानकारी दी। उन्होंने बताया प्रतियोगिता का रिस्पॉन्स बहुत ही उत्साहवर्धक रहा है। बताते हुए खुशी है कि देश के राजस्थान सहित उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, पश्चिमी बंगाल 8 राज्यों से 89 प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पुरुष वर्ग में 28, महिला वर्ग में 40, युवा और बाल वर्गों में 11 – 11 प्रविष्ठियां प्राप्त हुई। प्रतियोगिता के निर्णायकों में महिला वर्ग में रामेश्वर शर्मा रामू भैया कोटा, रेखा लोढ़ा भीलवाड़ा, दिनेश कुमार माली ओडिशा रहे। पुरुष वर्ग में कोटा के विजय जोशी और डॉ. वैदेही गौतम रहे। युवा वर्ग में डॉ. अपर्णा पाण्डेय और बाल वर्ग में श्यामा शर्मा निर्णायक रहे। मैं इन सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
प्रतियोगिता का परिणाम
समरस संस्थान साहित्य सृजन भारत की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शशि जैन ने प्रतियोगिता के परिणामों की जानकारी देते हुए बताया कि पुरुष वर्ग में प्रथम स्थान पर संयुक्त रूप से भाटूंद जिला पाली के विनोद कुमार दवे , मथुरा के अंजीव अंजुम और अल्मोड़ा उत्तराखंड के डॉ.पवनेश ठकुराठी का चयन किया गया। द्वितीय स्थान पर संयुक्त रूप से पाली के श्रीराम वैष्णव कोमल, बाड़मेर के नरसिंगाराम जीनगर निजरूप , कोटा के डॉ. रघुराज सिंह कर्मयोगी एवं विष्णु शर्मा ‘हरिहर ‘ रहे। तृतीय स्थान पर संयुक्त रूप से झालावाड़ के राकेश कुमार नैयर, जोधपुर के, महेश सोलंकी और छबड़ा जिला बारां के टीकम चन्दर ढोडरिया , कोटा के राजेंद्र कुमार जैन रहे।
महिला वर्ग में संयुक्त रूप से प्रथम कोटा की डॉ. अपर्णा पांडेय , स्नेहलता शर्मा, श्यामा शर्मा और बूंदी की सुमन लता शर्मा रहे। द्वितीय स्थान पर संयुक्त रूप से जयपुर की डॉ. प्रीति शर्मा, कोटा की मंजू किशोर’रश्मि’, अर्चना शर्मा और भीलवाड़ा की शिखा अग्रवाल रहे। तृतीय स्थान पर संयुक्त रूप से उदयपुर की डॉ.प्रियंका भट्ट, जयपुर की सुशीला शर्मा, कोटा की पल्लवी दरक और भीलवाड़ा की श्रीमती प्रेम सोनी रहे।
युवा वर्ग में प्रथम भवानीममंडी की शुभांगी शर्मा, द्वितीय कोटा की ज्योतिरमयी एवं तृतीय स्थान पर बकानी झालावाड़ की अदिती शर्मा ‘सलोनी’ रहें। बाल वर्ग में पलल्वन उच्च प्राथमिक स्कूल झालावाड़ के कक्षा 4 के मीस्टी माल्या प्रथम, याना शर्मा द्वितीय और कक्षा 9 की नमामि शर्मा रही। इस वर्ग में कोटा की नव्या शर्मा द्वितीय स्थान पर रही।
समारोह में राष्ट्रीय बाल होली कविता के उपस्थित विजेता प्रतियोगियों कोटा की डॉ.अपर्णा पाण्डेय, अर्चना शर्मा, श्यामा शर्मा, पल्लवी दरक, बूंदी की सुमनलता शर्मा, भीलवाड़ा की शिखा अग्रवाल, कोटा के डॉ. रघुराज सिंह कर्मयोगी, विष्णु शर्मा हरिहर, राजेंद्र कुमार जैन ,झालावाड़ के सुरेश कुमार नैयर, अदिति शर्मा, पल्लवन उच्च प्राथमिक स्कूल झालावाड़ की कक्षा 4 के मीस्टी माल्या, याना शर्मा और नमामि शर्मा को प्रशस्ति पत्र और साहित्य भेंट कर पुरस्कृत किया गया। शेष विजेताओं को डिजिटल प्रमाण पत्र प्रेषित किए जाएंगे।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ किया गया। डॉ. शशि जैन ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। समारोह में साहित्यकार स्नेहलता शर्मा, डॉ. रघुराज सिंह कर्मयोगी और डॉ कृष्णा कुमारी ने काव्य पाठ कर श्रोताओं को गुदगुदाया। डॉ. रघुराज सिंह कर्मयोगी ने कक्षा 4 की बच्ची की होली कविता प्रथम आने पर 200 रुपए के पारितोषिक से सम्मान किया। साहित्यकार डॉ. वैदेही गौतम और डॉ. अपर्णा पाण्डेय ने कार्यक्रम आयोजन में सक्रिय सहयोग किया।
समरस संस्थान कोटा इकाई के अध्यक्ष राजेंद्र जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया। अंत में साहित्यकारों द्वारा एक दूसरे को गुलाल का तिलक लगा कर होली स्नेह मिलन के साथ समारोह संपन्न हुआ।