तीर्थंकर कैसे बनते हैं?
जैन दर्शन के अनुसार, तीर्थंकर बनने के लिए आत्मा को:
- अत्यंत पुण्य,
- महान तपस्या,
- सात्विक जीवन,
- और तीर्थंकर नामकर्म का बंध होना आवश्यक होता है।
ये आत्माएँ करोड़ों जन्मों तक तप, संयम, और धर्म का पालन कर तीर्थंकर बनने योग्य बनती हैं।
जैन धर्म में तीर्थंकर कोई साधारण गुरु या संत नहीं होते — ये ऐसे महापुरुष होते हैं जिन्होंने केवलज्ञान (संपूर्ण ज्ञान) प्राप्त किया होता है और जो “तीर्थ” अर्थात मोक्षमार्ग की स्थापना करते हैं। तीर्थंकर बनने की प्रक्रिया बहुत विशिष्ट और आध्यात्मिक रूप से गहन होती है।
कोई तीर्थंकर कैसे घोषित होता है?
जैन दर्शन के अनुसार, तीर्थंकर की पहचान और घोषणा का कोई मानवीय या संस्थागत निर्णय नहीं होता, बल्कि यह कर्म सिद्धांत और आत्मिक योग्यता पर आधारित होती है। इसमें मुख्य बातें होती हैं:
1. तीर्थंकर नामकर्म बंध
- किसी जीव (आत्मा) के पिछले जन्मों के उत्तम पुण्य और तप से उसका तीर्थंकर नामकर्म बंधता है।
- यह बंध जीवन के अत्यंत पुण्यशील और त्यागमय अवस्था में होता है।
- यह कर्म तय करता है कि वह आत्मा आगे चलकर तीर्थंकर बनेगी।
2. देवों की पूर्व-घोषणा (पूर्वचिन्ह)
- जब वह आत्मा मनुष्य योनि में तीर्थंकर बनने के लिए जन्म लेती है, तो इंद्रदेव (सुरेन्द्र) और अन्य देवता उसे पहचानते हैं।
- जन्म से पहले कल्पवृक्ष, सिंहासन, चक्र, देवदुन्दुभि, और सपनों के रूप में माता को संकेत मिलते हैं (उदाहरण: त्रिशला माता को 16 स्वप्न)।
3. जन्म के समय शुभ लक्षण
- तीर्थंकरों के जन्म के समय दिव्य घटनाएँ होती हैं:
- पृथ्वी पर शांति छा जाती है
- इंद्रदेव जन्माभिषेक कराते हैं
- आकाशवाणी होती है
- माता-पिता को दिव्य आनंद की अनुभूति होती है
4. केवलज्ञान की प्राप्ति
- तीर्थंकर कठिन तपस्या और ध्यान के बाद केवलज्ञान प्राप्त करते हैं — यानी उन्होंने संसार के समस्त पदार्थों और आत्मा को पूरी तरह जान लिया होता है।
- इसके बाद वे धर्मचक्र प्रवर्तन करते हैं, यानी चार तीर्थ (साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका) की स्थापना करते हैं।
5. तीर्थंकर की भूमिका
- वे केवल उपदेशक नहीं, मोक्षमार्ग के मार्गदर्शक होते हैं।
- उनके उपदेशों को श्रुतज्ञान के रूप में अगली पीढ़ियों तक पहुँचाया जाता है।
क्रम | तीर्थंकर का नाम | प्रतीक चिन्ह |
---|---|---|
1 | ऋषभनाथ (आदिनाथ) | बैल (बृषभ) |
2 | अजितनाथ | हाथी |
3 | संभवनाथ | घोड़ा |
4 | अभिनन्दननाथ | वानर (बंदर) |
5 | सुमतिनाथ | क्रौंच (पक्षी) |
6 | पद्मप्रभ | कमल |
7 | सुपार्श्वनाथ | स्वस्तिक |
8 | चन्द्रप्रभ | चन्द्रमा |
9 | पुष्पदन्त (सुविधिनाथ) | मगरमच्छ |
10 | शीतलनाथ | कल्पवृक्ष |
11 | श्रेयांसनाथ | गैंडा |
12 | वासुपूज्य | भैंसा |
13 | विमलनाथ | शूक |
14 | अनंतनाथ | बाज (गरुड़) |
15 | धर्मनाथ | वज्र (गदा) |
16 | शांतिनाथ | हिरण |
17 | कुंथुनाथ | बकरी |
18 | अरहनाथ | मछली |
19 | मल्लिनाथ | कलश |
20 | मुनिसुव्रतनाथ | कछुआ |
21 | नमिनाथ | नीला कमल |
22 | नेमिनाथ | शंख |
23 | पार्श्वनाथ | सर्प |
24 | महावीर स्वामी | सिंह (शेर) |