मुंबई। ” नानासाहेब पेशवा की पत्नी और बड़े बाजीराव की प्रिय बहू श्रीमंत गोपिकाबाई एक कट्टर राजनीतिज्ञ, वाकपटु और सैन्य अभियानों की योजना बनाने में परिवार की चतुर मुखिया थीं।” ये विचार बोरीवली के ‘इतिहास कट्टा’ पर बोलते हुए इतिहास के विद्वान और लेखक कौस्तुभ कस्तुरे ने व्यक्त किए।
बोरीवली पश्चिम के सांस्कृतिक केंद्र के ‘ज्ञानविहार ग्रंथालय’ में ‘भारतीय इतिहास संकलन समिती – कोकण प्रांत, बोरीवली भाग’ व ‘बोरीवली सांस्कृतिक केंद्र’ द्वारा आयोजित ‘इतिहास कट्टा’ के कार्यक्रम अंतर्गत ‘गोष्ट ‘ती’ची’ के दूसरे भाग की ‘श्रीमंत गोपिकाबाई’ यह दूसरी कथा बताते हुए वे बोल रहे थे।
कौस्तुभ कस्तुरे ने ‘श्रीमंत गोपिकाबाई’ पर अभ्यासपूर्ण और इतिहास की कई भ्रांतियों को तोड़ने वाला व्याख्यान प्रस्तुत किया।अपने व्याख्यान की शुरुआत में उन्होंने कहा कि नाना साहेब पेशवा की पत्नी और महान बाजीरावा की प्यारी बहू गोपीकाबाई का चित्र कई ऐतिहासिक कालखंडों से एक खलनायक, एक अंदरूनी गांठ, एक ऐसी महिला के रूप में चित्रित किया गया है जो केवल अपने पति की ही सफलता के लिए लालसाही है।” परन्तु अगर हम कई ऐतिहासिक दस्तावेजों को ध्यान से देखें तो श्रीमंत गोपिकाबाई के बारे में हमारी आंखों के सामने सशक्त, मजबूत, कुशल और सैन्य अभियानों की योजना बनाने में निपूर्ण ऐसी प्रतिमा सामने आती है।
पानीपत में यह महिला अपने पति, भाई के समान प्यारे देवर सदाशिवराव भाऊ की मौत और फिर अपने पांच बेटों की मौत के दुःख को पचा कर उठ खड़ी हुई। अपने पोते सवाई माधवराव को शासन की उचित शिक्षा दिलाने के लिए अंत तक प्रयास करती रही। इसके लिए पुणे के शनिवार वाडा की सारी वैभव को छोड़कर दूर गंगापुर में जीवन के अंतिम क्षण तक मेहनत करते हुए मान-सम्मान के साथ जीने की कहानी गोपीकाबाई के सच्चे जीवनचरित्र को कौस्तुभ कस्तूरे ने इतिहास प्रेमियों के समक्ष प्रस्तुत की।
‘भारतीय इतिहास संकलन समिति, कोंकण प्रांत, बोरीवली भाग’ और ‘बोरीवली सांस्कृतिक केंद्र’ द्वारा आयोजित और ‘जनसेवा केंद्र, बोरीवली’ द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम में श्रीधर साठे (वरिष्ठ विश्वस्त जन सेवा केंद्र बोरीवली), उदयजी शेवड़े (कोंकण प्रांत प्रचारक संस्कार भारती) सहित अनेक इतिहास प्रेमी उपस्थित थे।