इलाज के लिए भारत आए श्री रबींद्र घोष ने कहा कि चिन्मय कृष्ण दास के लिए लड़ते रहेंगे, भले ही उनकी जान चली जाए। रबींद्र घोष बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच के संस्थापक-अध्यक्ष भी हैं।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले के 1000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। यह जानकारी बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रबींद्र घोष ने दी है। वे बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं।
इस्कॉन के संत चिन्मय दास की पैरवी को लेकर उन पर बांग्लादेश की कोर्ट में हमला भी हो चुका है। उन्हें लगातार मौत की धमकी दी जा रही है। वे इलाज के लिए 15 दिसंबर 2024 की रात भारत पहुँचे।
रबींद्र घोष ने बताया कि वह डॉक्टरी जाँच के लिए कोलकाता के पास बैरकपुर आए हैं, जहाँ वह अपने बेटे राहुल के घर ठहरे हुए हैं। बांग्लादेश में चिन्मय दास की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान चटगाँव की कोर्ट में वकीलों के ग्रुप ने उनपर हमला कर दिया था। उन्होंने न्यूज 18 को दिए इंटरव्यू में बताया कि उनके पास अल्पसंख्यकों पर हमलों के 1,000 से अधिक मामले आ चुके हैं, और वो सभी पीड़ितों के लिए लड़ाई लड़ेंगे।
74 वर्षीय वकील रबींद्र घोष ने बताया कि बांग्लादेश के ‘संमिलित सनातनी जागरण जोते’ के प्रवक्ता ISKCON के संत चिन्मोय कृष्ण दास को नवंबर 2024 में ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ देशद्रोह और अन्य झूठे आरोप लगाए गए हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और कट्टरपंथियों ने उन्हें इसलिए निशाना बनाया, क्योंकि वह हिंदू समुदाय को संगठित कर रहे थे और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर आवाज उठा रहे थे।
घोष ने दावा किया कि उन्हें दास का केस लड़ने के बाद से जान से मारने की धमकियाँ मिल रही हैं। धमकी भरे फोन और मैसेज के बावजूद उन्होंने कहा, “मौत तो एक दिन आनी ही है, लेकिन मैं अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रखूँगा।”
घोष ने चटगाँव कोर्ट में अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का जिक्र करते हुए बताया कि लगभग 40 वकीलों के ग्रुप ने उन पर हमले की कोशिश की। उन्होंने कहा, “वे नहीं चाहते कि कोई वकील दास का केस लड़े। हिंदू वकीलों पर झूठे मुकदमे दर्ज कराए जा रहे हैं, ताकि वे भी पीछे हट जाएँ।” घोष ने बताया कि स्थानीय पुलिस ने उस समय उन्हें बचाया, लेकिन बांग्लादेश में हिंदू वकीलों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। रबींद्र घोष ने बताया कि रेप, जमीनों पर कब्जे, गैंगरेप जैसे 1000 से अधिक मामले उनके सामने आ चुके हैं। वो सभी पीड़ितों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ेंगे।
वकील रबींद्र घोष ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिंदुओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज का बांग्लादेश उस समय लड़े गए आदर्शों के खिलाफ जा रहा है। उन्होंने कहा, “मुक्ति संग्राम समानता और न्याय के लिए था, लेकिन आज हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है।” घोष ने कहा कि मुक्ति संग्राम में हिंदू और मुसलमान दोनों ने मिलकर लड़ाई लड़ी थी, लेकिन आज हिंदुओं को उनके योगदान के बावजूद नजरअंदाज किया जा रहा है।
रबींद्र घोष ने बांग्लादेश में मुहम्मद युनुस की अगुवाई वाली मौजूदा अंतरिम सरकार पर अल्पसंख्यकों की स्थिति और बिगाड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “पहले भी अल्पसंख्यकों पर हमले होते थे, लेकिन अब यह स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है।” रबींद्र घोष ने यह भी बताया कि दास की गिरफ्तारी का कारण उनकी बड़ी सार्वजनिक रैलियाँ थीं, जो युनुस सरकार को असहज कर रही थीं। उन्होंने कहा, “कट्टरपंथी और सरकार, दोनों ही दास को चुप कराना चाहते हैं।”
घोष ने कहा कि वह भारत में कुछ दिन इलाज कराएँगे और फिर वापस बांग्लादेश लौटकर चिन्मय दास और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, “मैंने जीवनभर मुसलमानों और हिंदुओं दोनों के लिए अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। धर्म कोई मायने नहीं रखता, न्याय मायने रखता है।”