Tuesday, January 14, 2025
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बाल काव्य संग्रह : एक बच्चा और उसका घर

” जीवन मूल्यों का संदेश देती कृति “
एक बच्चा और उसका घर, बाल काव्य संग्रह साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही की कृति बच्चों में मनोरंजन के सर –  साथ जीवन मूल्यों को स्थापित करती है। कृति में स्वरचित 74 बाल कविताएं बच्चों के आसपास की दुनिया का जीवंत दर्पण है। प्रेम,भाईचारे, सहयोग ,  अनुशासन, जल संरक्षण, वृक्ष लगाओ पर्यावरण बचाओ, वन्यजीव संरक्षण, प्रकृति प्रेम जैसे संदेश के साथ – साथ देश की महान विभूतियों, पर्यटन स्थलों आदि पर लिखी बाल कहानियां सीधी बच्चों के मन को छू लेने वाली हैं। सरल भाषा में रोचक कविताओं की यह कृति पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल अकादमी ,राजस्थान के सहयोग से प्रकाशित है।
 हाल ही में नाथद्वारा की साहित्यिक यात्रा के दौरान लेखक ने यह बाल कृति मुझे भेंट की। एक बयां ने तिनका – तिनका जोड़ कर अपना सुंदर घर बनाया और बच्चे उसमें प्रेम से रहते थे, अपना घर कहते थे पर लिखी कविता “एक बयां और उसका घर” पर ही कृति का नामकरण किया गया है। कविता के कुछ भाव यूं हैं……
एक बयां ने जोड़ – जोड़ कर/ खूब बनाया अपना घर/ कैसे जाने यह बंदर/ बयां एक और उसके बच्चे/ बड़े प्रेम से रहते थे/ बच्चें भी उस सुंदर घर को/ अपना घर ही कहते थे।
आदमी हो या पशु पक्षी आज़ादी सबको प्यारी होती है, कोई भी अपनी आजादी खोना नहीं चाहता है। खासकर वो पंछी जो खुले आसमान में उड़ान भरते हैं, प्रकृति से अपना दाना – पानी लेते हैं, उन्हें पिंजरे में अपने मनोरंजन के लिए कैद कर करना कदापि उचित नहीं है। यही संदेश देती है कविता ” तोता और पिंजरा”…….
उड़ना भूल गए पिंजरे में/ गगन चूमते मिठ्ठू लाल/ मैं कहता पिंजरे का पंछी/ बुरा फंसा यहां आ कर, पिंजरा पिंजरा ही होता है/ बात कही ये समझा कर।
“दीदी और लैपटॉप” बच्चों को आधुनिक शिक्षा साधनों से परिचय कराती है। ” मम्मी और काम” का संदेश है मम्मी घर का खूब काम करती है, दादी फिर भी आंख दिखाती है। बच्चे की  मम्मी के प्रति प्रेम की मनोभावना को दर्शाती  यह कविता मां के ममत्व को बताती है कि बच्चे अपनी मां से कितना प्रेम करते हैं।
 ” फूल और तितली” कविता में बच्चों को फूल और तितली के जन्म जन्म के संबंध को बताया गया है।  बच्चों संसार के देशों से परिचय करवाती है” ग्लोब और देश” कविता।  ” बच्चे और चिड़ियाघर ” में चिड़ियाघर की सैर कर “बच्चें और रणथंभोर” कविता बच्चों को रणथंभोर अभ्यारण्य की सैर करवाती है। बाघ दिख जाए तो बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता……..
कोलाहल और करते शोर/बच्चें पहुंचे रणथंभोर/और यकायक बाघ जो दिखे/
लोग खुशी से खूब उछलते/ लोग खुशी से फोटो लेते/ और खुशी से इसे दिखाते।
 ” कार और पेट्रोल “तथा ” पेड़ और प्रदूषण” में वायु प्रदूषण से बचने के लिए पेड़ लगाने से बच्चों को जोड़ते हुए, जंगल और वन संरक्षण तथा अधिक से अधिक  वृक्ष लगा कर पर्यावरण बचाने की चिता को संदेश बना कर  ” वन और जीवन” कविता के माध्यम से नई पीढ़ी के बच्चों तक पहुंचाने का प्रयास किया है…………
जल से जीवन जीवन से जल/ कटते बन से जीवन घटता/ उपवन शहर खेत में बतता/जहां जहां बगिया लाओ/ सब से पहले वृक्ष लगाओ/ मत काटो पर्वत के पत्थर/इसके अंदर जीवन का स्वर/ मिट्टी का दोहन मत करना/ वृक्ष काटने से तुम डरना/ सर्दी गर्मी या बरसात/ वृक्ष रहे मनुज के साथ।
” जवान और किसान” में इन दोनों का महत्व, ” ईश्वर और प्रार्थना” में जीवन और सम्मान का महत्व, ” मोबाइल और किताब”, बस्ता और बच्चा” कविताओं के साथ ” भारत और हम” बच्चों को अच्छा कम कर आत्मनिर्भर बनने का संदेश देती है……….
सबको करना अपना काम/ कभी न लेंगे हम आराम/ विश्व गुरु इसको बनाना है/ अच्छा कम हमें चुनना है/ रहे बोझ न  सब के ऊपर/ हमको बनना आत्मनिर्भर।
 हर स्थिति में धैर्य रखना, बाधाओं से नहीं डरना, नेहरू,शास्त्री और कलाम,देते हैं यही पैगाम का संदेश देती कविता ” धीरज और धैर्य” तथा भाईचारे का संदेश देती ” ईद और महमूद” के साथ – साथ  कविता ” दादाजी और दुनिया” सहयोग, प्रेम, दया का सुंदर संदेश बच्चों को देती दिखाई देती है………..
दादाजी का है यह कहना/ हेल मेल से रहना सीखे/ निर्धन का दुख भी हम देखें/ कभी कष्ट है कभी खुशी है/ दुनिया ऐसे ही चलती है।
अनुशासन और सीख, इंद्रा गांधी, चाचा नेहरू और गुलाब, कवि और गीत, सादा जीवन और उच्च विचार, राजस्थान और गौरव, बच्चें और शिक्षक दिवस, चिंटू – पिंटू और मिंटू,डब्बू और हरा रंग आदि कविताएं भी बच्चों को खूब भाएंगी।
पुस्तक के प्रारंभ में लेखक अपनी बात में पुस्तक में महत्व पर रोशनी डालते हुए अपने बाल साहित्य लिखने के रोचक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए बाल साहित्य लिखने के लिए प्रेरित करता है। पुस्तक देश की नन्ही पीढ़ी को समर्पित है।
पुस्तक : एक बच्चा और उसका घर ( बाल काव्य संग्रह )
लेखक : जितेंद्र निर्मोही, कोटा
प्रकाशक : साहित्यागार, जयपुर
संस्करण : 2023
पृष्ठ : 86
मूल्य : 200₹
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डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक और पत्रकार, कोटा

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