आओ सोचें – बरसों पहले, एक साथ खड़े रहने वाले / कैसे बन गए भिन्न – भिन्न, वाणी में कहने वाले / इन तोतों की यही कहानी, हमको यह बतलाती है / जैसा संग करोगे वैसा, रंग चढ़ेगा – दिखलाती है / अतः आप भी अच्छे मित्रों का, ही संग किया करो / बुरा संग है जहर विषैला , सत्संगी अमृत पिया करो
ये पंक्तियां उस पद्य कथा ” सदा अच्छा संग करो ” की हैं जिसे बाल कवि रामेश्वर शर्मा ‘ रामू भैया ‘ ने सु कंठी और सुपंखी दो तोतों को केंद्र में रख कर लिखी है। पद्य कथा में बच्चों को यही संदेश देने का प्रयास किया है कि हमेशा अच्छी संगत में रहना चाहिए, बुरी संगत का फल हमेशा बुरा ही होता है।
” भलाई करोगे तो भलाई मिलेगी ” पद्य कथा की ये पंक्तियां देखिए……….
और निकाला जिस किसान ने, उसका घुसा हुआ वह शूल / इतने बरसों बाद भी जिसको, शेर नहीं सका था भूल / उस किसान को देख शेर को, सारा मंजर याद आया / इसीलिए तो आज शेर ने, उस हलदार को ना खाया।
यह पद्य कथा कहती है कभी किसान ने घायल शेर के पैर से कांटा निकला था। एक बार राजा ने उसी किसान को जीवन मृत्यु का दंड दे कर उस शेर के सामने डाल दिया। शेर को किसान की भलाई याद रही इसीलिए शेर ने किसान को खाया नहीं और छोड़ दिया। बच्चों जीवन में भलाई करोगे तो उसका फल मीठा ही होगा।
” सफलता की कुंजी ” पद्य कथा मेहनत का फल समझती है। बालक वरदराज पत्थर पर पड़े रस्सियों के निशान को देख कर ,अपनी हीन भावना त्याग कर परिश्रम करने लगता है और अपनी प्रतिभा के बल पर महान ग्रन्थ की रचना करता है।
” अहंकार है बुरी बात” में पानी और अग्नि में बहस होती है । दोनों कहते हैं वह बड़े और शक्तिशाली हैं। पानी के छूते अग्नि शांत हो जाती है। कहानी की शिक्षा है कि व्यर्थ में अहंकार नहीं करना चाहिए।
प्यारे बच्चों अहंकार में, जो करते हैं व्यर्थ प्रलाप।
वे करते हैं हानि स्वयं की, मर जाते हैं अपने आप।।
रामू भैया ने ऐसी शिक्षाप्रद 14 पद्य कथाओं का संग्रह ” बाल पद्य कथा संग्रह ” नाम से 2021 में प्रकाशित की। पद्य में कथा का यह एक अनूठा प्रयोग किया उन्होंने। हर कथा चार चार पंक्तियों के दोहों में आगे बढ़ती है। एक मयान में दो तलवार का उत्कृष्ट नमूना, कविता और कहानी का मज़ा साथ – साथ।
एक दिन अचानक किसी कार्य वश उनके घर पर जाना हुआ। उनके सामने यह पुस्तक रखी थी। जिज्ञासा वश पुस्तक को उठा कर पन्ने पलटे तो मन को भा गई और अनुमति लेकर पढ़ने के लिए अपने साथ ले आया। यह पुस्तक बच्चों से लेखा किशोर वय के बच्चों के लिए लिखी है। किताब की तीन पद्य कथाएं ” राजा रंतिदेव का प्रजा प्रेम “, ” मातृ शक्ति ” और ” पर हित ही मानव धर्म ” उत्तर प्रदेश में कक्षा पांच, छ और आठ के पाठ्यक्रम में तीन वर्षों तक शामिल की गई, जो पद्य कथाओं के महत्व को प्रतिपादित करती हैं।
अंधविश्वास का फल, मूल्य से बड़ी उपयोगिता, मेहनत का धनमूल, चोरी करना पाप, जैसी संगत वैसा फल, कर्मनिष्ठा और सत्य से ही बड़ा बनता इंसान और सदा अच्छा संग करो
सभी पद्य कथाएं मानवीय और सांस्कृतिक जीवन मूल्यों की स्थापना कर कोई न कोई संदेश देती हैं। सहज,सरल और सुगम भाषा में हृदय ग्राही और मनोरंजनपूर्ण हैं। वर्तमान समय में जब की बच्चों में नैतिक और मानवीय मूल्यों की स्थापना करने की फुर्सत माता – पिता को भी नहीं है, यह पुस्तक मार्गदर्शक का कार्य करेगी ऐसा मैं समझता हूं।
पुस्तक की भूमिका राजस्थान बाल साहित्य अकादमी के सदस्य भगवती प्रसाद गौतम ने लिखी है। पूर्व महापौर महेश विजय का संदेश भी दिया गया है।
पुस्तक : बाल पद्य कथा संग्रह
लेखक : रामेश्वर शर्मा ‘ रामू भैया ‘
प्रकाशक : माधव राधव प्रकाशन, कोटा
संस्करण : 2022 ( प्रथम )
मूल्य : 50₹
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समीक्षक
डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा