Tuesday, December 3, 2024
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मधुकर काव्य सृजन संस्थान का साहित्योत्सव

कोटा ।  मधुकर काव्य सृजन संस्थान द्वारा स्वामी विवेकानंद नगर में स्थित
सेन समाज के छात्रावास में एक दिवसीय साहित्योत्सव का आयोजन किया गया।
मंच स्थित अतिथियों द्वारा माँ शारदा के समक्ष द्वीप प्रज्ज्वलित किया
गया, माँ शारदा की सरस्वती वन्दना  गीतकार किशन वर्मा ने की और स्वागत
उद्धबोधन संस्थान अध्यक्ष जोधराज परिहार ने किया। इस अवसर पर चार नवकोपल
का सम्मान किया गया।

अध्यक्षता करते हुए डॉ. गिरी गिरिवर ने कहा कि  हमें पुस्तक को क्रय करने
की परम्परा को बढ़ावा देना चाहिए, आपके साहित्य को समाज पढ़े तो हमें यह
पुस्तकों का मुफ्त वितरण रोकना पढ़ेगा। मुख्य अतिथि तेंवर सिंह हाड़ा  ने
कहा कि आज भी साहित्य सुनना तो बहुत अच्छा जाता हैं, लेकिन पढ़ा बहुत कम
जा रहा है, किताबों का सृजन करें, लेकिन जिन हाथों में वितरण करें उसका
विचार करें, पुस्तक को लिखते समय पाठक की भावना को देखकर ही सृजन होना
चाहिए। समाज को बाल सभाओं की जरूरत है,साहित्य अमर होता है,यह अर्थ के
लिए नहीं, समाज हित लिखा जाता हैं,”।

विशिष्ट अतिथि  रामेश्वर शर्मा ‘रामू भैया’, (संरक्षक, अ.भा. साहित्य
परिषद, चित्तौड़ प्रान्त) ने कहा कि “कोई भी आयोजन सहज नहीं है, मधुकर
काव्य सृजन संस्थान ने त्रैमासिक पत्रिका निकालकर बहुत सारे नये सृजकों
को स्थान दिया है, उसके लिए समर्पण सराहनीय है। ” विशिष्ट अतिथि डॉ.
अनिता वर्मा ने कहा कि ” आजके समय में कोई संवाद नहीं करना चाहते क्योंकि
समय अभाव बहुत है, साहित्य हमारी संवेदना को आकार देता है, रचनाकार समाज
की पीड़ा को बखूबी उकेरता है, बच्चों में तनाव का मुख्य कारण अगर दूर
करने में पुस्तकों की अहम भूमिका हो सकती है। विशिष्ट अतिथि किशनलाल
वर्मा ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन व संयोजक डॉ. आदित्य कुमार
गुप्ता  ने किया।कैलाशचन्द्र साहू ने आभार व्यक्त किया।

द्वितीय सत्र में वर्तमान परिवेश मे साहित्य से पाठकों की दूरी, कारण
एवं निवारण पर अध्यक्षता  – रघुराज सिंह कर्मयोगी  (वरि. साहित्यकार) ने
कहा कि  आपको अपने आप को जो अपनी किताबों को लिखें जिस पर प्रकाशन पैसे
लगायें आपकी विषय वस्तु उस तरह की  मुख्य अतिथि -डॉ. प्रीति मीणा
प्रोफेसर जेडीबी महाविद्यालय ने कहा कि पुस्तकों को पढ़ने की जरूरत है,
हमें पाठक हमारे घर से पैदा करने होंगे।मुख्य वक्ता  राज कुमार प्रजापत
मोटिवेशनल स्पीकर एवं साहित्यकार) आज मनोरंजन के लिए नहीं लिखा जा रहा
है, आज हजारों कविताओं को हम गुगल पर पढ़ सकते हैं समय बदला है,हमें समय
के साथ बदलना पड़ेगा।  अश्विनी त्रिपाठी , सत्येन्द्र वर्मा-और चेतन मालव
ने पत्र वचन किया। तीसरे सत्र में बाल साहित्य की दशा और दिशा और चौथे
सत्र में हाड़ौती राजस्थानी कथेतर साहित्य विषय पर चर्चा की गई। इन
सत्रों में साहित्यकार विष्णु शर्मा ‘हरिहर’  आशा पाण्डेय ओझा उदयपुर तथा
जितेंद्र निर्माही और जय सिंह आशावत, बूंदी ने क्रमशः अध्यक्षता की और
मुख्य अथिति थे।

हाड़ौती अँचल का बाल साहित्य पर श्यामा शर्मा, प्रीतिमा पुलक , साहित्य
में कहानी पर रेखा पंचोली,योगेश यथार्थ , देवकी दर्पण  एवं नन्दू
राजस्थानी ने पत्रवाचन किया। संचालन नहुष व्यास ने किया। समरोह में बड़ी
संख्या में हाड़ोती के साहित्यकार उपस्थित रहे।
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