भुवनेश्वर। कीट कंवेशन सेंटर पर कादम्बिनी साहित्य महोत्सव 2025 का शानदार आयोजन हुआ जिसमें विख्यात मराठी लेखक और राजनयिक डॉ. ज्ञानेश्वर मुले को प्रतिष्ठित नीलिमारनी साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान में डॉ. मुले को 10 लाख रुपये नकद, एक रजत प्रतीक और एक प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया। यह सम्मान डॉ. मुले के भारतीय साहित्य में अमूल्य योगदान और सांस्कृतिक समृद्धि के प्रति उनके आजीवन समर्पण सेवा हेतु प्रदान किया गया।पुरस्कार प्राप्त करते हुए, डॉ. मुले ने इस बात पर जोर दिया कि साहित्य का सार स्वतंत्रता, समानता और न्याय को बढ़ावा देने में निहित है। साहित्य भाषाओं, संस्कृतियों, क्षेत्रों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से व्यक्तियों के बीच एक सेतु का काम करता है।
डॉ. मुले ने पिछले 25 वर्षों से कादम्बिनी की समर्पित सेवा के लिए उनका आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम के आरंभ में कीट-कीस के संस्थापक तथा कादंबिनी –कुनी कथा के मुख्य संरक्षक महान् शिक्षाविद् प्रो. अच्युत सामंत ने स्वागत भाषण दिया जिसमें उन्होंने मंतस्थ सभी आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों का संक्षिप्त परिचय प्रदान करते हुए उनका स्वागत कादंबिनी मीडिया परिवार की ओर से किया।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात लेखक प्रो. कैलाश पटनायक ने की जबकि आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी समारोह के मुख्य अतिथि थे।अवसर पर प्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक श्री चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने सिनेमा और साहित्य के अंतर्संबंध पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।
सुश्री बनजा देवी,प्रमुख ओडिया लेखिका, डॉ. नीना वर्मा, प्रसिद्ध लेखिका और ब्लॉगर और ख्यातिप्राप्त टेलीविजन धारावाहिक रामायण के रावण की भूमिका निङानेवाले अदाकार श्री अखिलेंद्र मिश्रा जैसी नामचीन हस्तियों ने इस आयोजन की बौद्धिक श्रीवृद्धि की।आयोजन का मुख्य आकर्ष रहा प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी कादम्बिनी पत्रिका हाट। गौरतलब है कि भारत का एकमात्र यह पत्रिका मेला है जो प्रकाशकों, संपादकों और पाठकों को बातचीत करने और विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक जीवंत मंच प्रदान करता है।अपने भाषण में सम्मानित अतिथि डॉ. जोशी ने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालयों के भविष्य के इतिहास में कीट डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर शीर्ष पांच विश्वविद्यालयों में गिना जाएगा। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए संस्थापक महान् शिक्षाविद् प्रो.अच्युत सामंत का आभार व्यक्त किया।
डॉ. जोशी ने यह भी कहा कि जहां ओड़िया के अलावा अन्य भाषाओं में पत्रिकाओं का प्रकाशन कम हो रहा है, वहीं कादम्बिनी ने 500 से अधिक पत्रिका प्रदर्शनियों का आयोजन करके एक इतिहास रच दिया है। इससे पत्रिकाएं प्रकाशित करने की प्रेरणा मिली है। सम्मानित अतिथि श्री द्विवेदी ने कहा कि साहित्य वहीं मिलता है, जहां दुख और पीड़ा है। जो लोग इस दुख और पीड़ा को शब्दों से जोड़ पाते हैं वे लेखक माने जाते हैं। कुछ लेखक अपने निजी दर्द को व्यक्त कर सकते हैं जो लोग पूरे विश्व के दर्द को व्यक्त करने में सक्षम होते हैं वे महान कवि माने जाते हैं।
रामायण टेलीविजन धारावाहिक में रावण की भूमिका निभानेवाले श्री अखिलेंद्र मिश्रा ने कहा कि साहित्य ऋग्वेद का एक मूलभूत पहलू है और इसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति माना जाता है। उन्होंने पुस्तकों को पढ़ने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि पुस्तक को छूने से एक विशेष भावना पैदा होती है। उनका मानना था कि साहित्य जीवन के लिए आवश्यक है क्योंकि यह विचारों और अंतर्दृष्टि का खजाना प्रदान करता है। कविता पढ़ने से, विशेष रूप से, जीवन की लय को समझने में मदद मिलती है।उन्होंने जोर देकर यह संदेश दिया कि जो भी ओड़िशा प्रदेश के पुरी,कोणार्क परिभ्रमण के लिए आता है उसे प्रो अच्युत सामंत के स्मार्ट गांव कलराबंक अवश्य जाना चाहिए जहां पर भारत की आत्मा निवास करती है। उनके अनुसार कीट तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में जहां पूर्वी भारत गौरव है वहीं कीस वास्तविक शांतिनिकेतन है जिसके लिए संस्थापक महान् शिक्षाविद् प्रो अच्युत सामंत वास्तविक बधाई के हकदार हैं।कादंबिनी की संपादिका डॉ. इतिरानी सामंत ने धन्यवाद ज्ञापन किया।