Saturday, April 12, 2025
spot_img
Homeभारत गौरवमाखनलाल चतुर्वेदी: पत्रकारिता और साहित्य के दीपस्तंभ

माखनलाल चतुर्वेदी: पत्रकारिता और साहित्य के दीपस्तंभ

 राष्ट्रीय भावना और ओज के महान सम्राट, कवि ,लेखक और पत्रकार के रूप में विख्यात माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म 4 अप्रैल 1889 ई. को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई ग्राम में हुआ था ! आरंभिक शिक्षा- दीक्षा घर पर ही हुई ! जिसके उपरांत अध्यापन और साहित्य सृजन में संलग्न हुए !

“मुझे तोड़ लेना बनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पर जाएं वीर अनेक!”
स्वतंत्रता संग्राम के कवि, पत्रकार और राष्ट्रभक्त के उक्त पंक्ति में वह समर्पण,  त्याग और वह देशभक्ति समाहित है, जो माखनलाल चतुर्वेदी के सम्पूर्ण जीवन का सार है। इस महान राष्ट्रवादी साहित्यकार की जीवन लीला 30 जनवरी 1968 में भोपाल, मध्य प्रदेश में समाप्त हो गई!

पत्रकारिता से लेकर जन जागरण तक- वे कवि ही नहीं, बल्कि जुझारू पत्रकार भी थे। ‘प्रताप’, ‘कर्मवीर’ और ‘प्रभा’ जैसे समाचार-पत्रों के माध्यम से उन्होंने अपनी कलम से ब्रिटिश शासन के विरुद्ध मोर्चा खोला। इन्होंने “1913 में प्रभा “पत्रिका का संपादन शुरू किया और इसी क्रम में गणेश शंकर विद्यार्थी के संपर्क में आए ! जिनके देश- प्रेम और सेवा व्रत का इन पर गहरा प्रभाव पड़ा ! उनकी पत्रकारिता में साहस, बेबाकी और जन-सरोकार की गूंज थी। कई बार उन्हें अपनी लेखनी के कारण जेल भी जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी कलम को कभी झुकने नहीं दिया। 1924 में  गणेश शंकर विद्यार्थी की गिरफ्तारी के बाद इन्होंने प्रताप का संपादन संभाला ! कालांतर में “संपादक सम्मेलन” और “हिंदी साहित्य सम्मेलन” के अध्यक्ष भी रहे!

स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय योगदान- गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर माखनलाल चतुर्वेदी ने असहयोग आंदोलन, खिलाफत आंदोलन और नमक सत्याग्रह जैसे आंदोलनों में भाग लिया। 1921 के “असहयोग आंदोलन” के दौरान राजद्रोह के आरोप में एक वर्ष के लिए इन्हें जेल भेजा गया ! उन्होंने न केवल खुद संघर्ष किया, बल्कि युवाओं को आंदोलन से जोड़ने का भी काम किया।

साहित्यिक योगदान- इनकी सृजन यात्रा के तीन आयाम रहे-

1- पत्रकारिता और संपादन, जहां इन्होंने राष्ट्रीय -चेतना का जागरण किया!

2- -काव्य, निबंध, नाटक, कहानी के माध्यम से सर्जनात्मक विस्तार को प्राप्त किया! “पुष्प की अभिलाषा” कविता से भारतीय जन मानस में हमेशा के लिए बस गए और इन्हें “एक भारतीय आत्मा” उपनाम से  सम्मानित किया गया।

3- उनके व्याख्यान, जहां सामाजिक राजनीतिक एवं साहित्यिक प्रश्नों से दो- चार हुए!

पुरस्कार एव सम्मान-  सागर विश्वविद्यालय ने डी. लिट.की मानद उपाधि से सम्मानित किया! 1943 ईस्वी में ,हिमकिरीटनि’ कविता के लिए ‘देव पुरस्कार ‘ से सम्मानित किया गया जो उस समय सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार था! उनकी कृति ‘हिमतरंगिणी’ के लिए 1955 में उन्हें हिंदी में प्रथम ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार ‘ प्रदान किया गया! 1963 में भारत सरकार द्वारा उन्हें ‘पद्मभूषण’ पुरस्कार से अलंकृत कर डाक टिकट जारी किया गया ! उनके नाम पर भोपाल में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना की गई, जो आज पूरे देश में पत्रकारिता का अग्रणी संस्थान है। आज उनकी जयंती पर हम न केवल उन्हें याद करें, बल्कि उनके विचारों को अपने जीवन और कार्य में शामिल भी करें क्योंकि माखनलाल चतुर्वेदी सिर्फ कवि नहीं थे, वे विचारों की मशाल थे और एक दूरदर्शी व्यक्ति जिसकी रोशनी आज भी दिशा दिखा रही है।

– डॉ सुनीता त्रिपाठी ‘जागृति’,                  सांची बौद्ध- भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय रायसेन, मध्य प्रदेश

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार