महाराष्ट्र के चुनावों में आए नतीजों में जो दिग्गज मुस्लिम हारे उनमे कुछ हैं – ओवैसी की पार्टी के वारिस पठान; इम्तियाज़ जलील; हाजी फारूक मक़बूल; फारूख शेख; डॉ गफ्फार कादरी; और नसीर सिद्दीकी (कुल 6)-कांग्रेस के आरिफ नसीम खान; मुज़फ्फर हुसैन; और आसिफ शेख रशीद-NCP (शरद पवार) का फहाद मलिक (स्वरा भास्कर का पति) और NCP (अजित पवार का) नवाब मलिक –
एक अनुमान के अनुसार मुंबई में मुस्लिम 20% हैं और 10 सीटों पर 25% से ज्यादा हैं लेकिन फिर भी केवल 5 मुस्लिम जीत सके।
महायुति को कुल 50.19% वोट मिला जबकि एमवीए को मात्र 34.79% जो अपने आप में बहुत बड़ा अंतर है ।
अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, 55-60% हिंदू वोटरों ने महायुति (BJP-शिवसेना शिंदे गुट) को वोट दिया।
यह समर्थन बीजेपी के हिंदुत्व और विकास के एजेंडे, मराठा आरक्षण के मुद्दे, और शिंदे गुट की शिवसेना के साथ गठबंधन की वजह से बढ़ा।
मराठा समुदाय में महायुति ने लगभग 50% वोट हासिल किए। हालांकि, मराठा आरक्षण को लेकर कुछ असंतोष के कारण एनसीपी और उद्धव गुट को भी अच्छा समर्थन मिला।
ओबीसी समुदाय में बीजेपी का मजबूत प्रभाव रहा। अनुमान है कि 60-65% ओबीसी हिंदू वोट महायुति के खाते में गए।
गुजराती और उत्तर भारतीय हिंदू वोटरों में मुंबई, ठाणे, और पुणे जैसे शहरी इलाकों में इन समुदायों का समर्थन महायुति को बहुत बड़ी संख्या में मिला, जो करीब 70-75% था।
दलित और आदिवासी समुदायों का समर्थन महायुति को सीमित रूप में मिला। इन समूहों का झुकाव अमूमन कांग्रेस और प्रकाश अंबेडकर के वंचित बहुजन अघाड़ी जैसे दलों की ओर होता है।
बीजेपी ने “हिंदू एकता” और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर जोर दिया, जिससे परंपरागत हिंदू वोट महायुति के पक्ष में गए।
शिवसेना (शिंदे गुट) ने मराठी हिंदू वोटों में बड़ी हिस्सेदारी दिलाने में मदद की, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की राष्ट्रीय छवि ने शहरी और उच्च-मध्यम वर्ग के हिंदू वोटर्स को प्रभावित किया।
मराठा आरक्षण, विकास योजनाएं, और स्थानीय स्तर पर बीजेपी-शिवसेना शिंदे गुट के काम का प्रचार भी अहम रहा।
महाराष्ट्र में हिंदू वोटर्स के बीच महायुति का प्रभाव मजबूत रहा।
अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, 55-60% हिंदू वोटर्स ने महायुति को समर्थन दिया।
मराठा और ओबीसी वोटर्स में हिस्सेदारी थोड़ी विभाजित रही, लेकिन गुजराती और उत्तर भारतीय हिंदू समुदायों ने महायुति को बड़ी संख्या में समर्थन दिया।
मराठा समुदाय महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा वोट बैंक है। 2024 में, मराठा आरक्षण और उनके अधिकारों को लेकर हुई बहसों का असर वोटिंग पर देखा गया।
वहीं, ओबीसी समुदाय के वोटों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में खींचतान रही।
मुंबई और पुणे जैसे शहरी इलाकों में बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) ने हिंदू वोटों को आकर्षित करने की कोशिश की।
दूसरी ओर, ग्रामीण इलाकों में एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने किसानों और मराठा वोटर्स को टारगेट किया।
बीजेपी ने परंपरागत हिंदू वोटर्स को संगठित करने की कोशिश की। ध्रुवीकरण के मुद्दों पर फोकस करते हुए उन्होंने राष्ट्रीयता और हिंदुत्व की बात को केंद्र में रखा।
बीजेपी को हिंदुओं से मिले वोट का प्रतिशत:2024 के चुनावों में बीजेपी ने परंपरागत हिंदू वोट बैंक पर बड़ा फोकस किया।
हिंदू मतदाताओं का समर्थन: अनुमान है कि मुंबई में 50-55% हिंदू वोटर्स ने बीजेपी या उसके गठबंधन (शिंदे गुट शिवसेना) को समर्थन दिया।
मराठी हिंदू वोटर्स: मराठी हिंदुओं का एक बड़ा हिस्सा उद्धव ठाकरे की शिवसेना और एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के साथ गया। हालांकि, बीजेपी और शिंदे गुट ने भी इस वोट बैंक में सेंध लगाई।
गुजराती और उत्तर भारतीय हिंदू वोटर्स: बीजेपी ने इन समुदायों में सबसे मजबूत प्रदर्शन किया, और लगभग 70-75% गुजराती हिंदू और 60% उत्तर भारतीय हिंदू वोटर्स ने बीजेपी को वोट दिया।
महाराष्ट्र में मुस्लिम आबादी लगभग 12-13% है। मुंबई, ठाणे, और औरंगाबाद जैसे क्षेत्रों में मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं।उधर उत्तर प्रदेश में कुंदरकी उपचुनाव में 62% मुस्लिम मतदाता होते हुए भी भाजपा के रामवीर सिंह 1 लाख 45 हजार वोट से जीत गए – उन्हें वोट मिले 1,70,371 और सपा के मोहम्मद रिज़वान को मिले मात्र 25,580 – उसे सीट पर कुल मतदाता थे 3,84,673 जिसमे 2,22,588 वोट पड़े यानी 57% और इसका मतलब है 238000 वोट तो मुस्लिमों के ही थे – यह गणित इशारा करता है कि मुसलमानों ने सपा को वोट नहीं दिया।