Monday, March 31, 2025
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मिथिला पेंटिंग से रचा इतिहास, मिला पद्म श्री सम्मान

बिहार की दुलारी देवी को न पढ़ना आता है और न लिखना । वह समाज के सबसे निचले पायदान से आती हैं। गरीबी और मुसीबतों ने इन्हें तोड़ने की बहुत कोशिश की लेकिन हार मानने की बजाय वह दोगुनी ताकत के साथ उठ खड़ी हुई। उनके हाथों ने जब कवी थामी तो मिथिला पेंटिंग के रूप में उनकी कला दुनिया के सामने रंग बिखेरने लगी। 2021 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया तो वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उनकी मिथिला पेंटिंग वाली साड़ी पहन कर पेश किया देश का बजट….

यह कहानी है बिहार के दुलारी देवी की, जिनका जन्म ही अभाव और गरीबी के बीच हुआ। बेहद ही गरीब मल्लाह परिवार में जन्मीं दुलारी देवी की कम उम्र में ही शादी हो गई और बच्चे हो गए लेकिन मसीबतों ने पीछा नहीं छोड़ा। गरीबी और मुसीबतों से घिरी दुलारी देवी दूसरों के घरों में झाड़ू-पोंछा लगाने लगीं लेकिन नसीब को कुछ और ही मंजूर था। हाथ में पोंछे की जगह कूची ने ले ली। इसके बाद मिथिला पेंटिंग बनाने का जो सिलसिला उन्होंने शुरू किया वो आज तक नहीं रुका । आज उनकी जिंदगी का एक ही लक्ष्य है, मिथिला पेंटिंग जिसने देश-विदेश में उन्हें पहचान दिलाई।

जब पद्म श्री देने की घोषणा की गई थी तब उनका दर्द इन शब्दों में छलक पड़ा था, “बहुत कष्ट से गुजरी हूं। बहुत संघर्ष में रह कर मिथिला पेंटिंग सीखी। मुझे बहुत खुशी है ।” राष्ट्रपति भवन में पद्म सम्मान लेने के बाद उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई थी। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी को एक पेंटिंग भी उपहार में दी थी। इस उपहार के लिए उनका आभार व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, “दुलारी देवी जी उन लोगों में से हैं जिन्हें पीपुल्स पद्म से सम्मानित किया गया है । वह एक प्रतिभाशाली कलाकार हैं जो बिहार के मधुबनी की रहने वाली हैं। समारोह के बाद पुरस्कार विजेताओं के साथ अनौपचारिक बातचीत के समय उन्होंने मुझे अपनी कलाकृति भेंट की। उनका अभिनंदन और आभार ।”

इतना ही नहीं, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब अपना 8वां बजट पेश किया तो उनसे बिहार को काफी उम्मीदें थी जिसे उन्होंने पूरा भी किया। साथ ही, उनकी साड़ी भी काफी सुर्खियों में रही जिसका बिहार कनेक्शन था। दरअसल उन्होंने जो साड़ी पहनी थी वह मिथिला पेंटिंग से सजी थी जिसे दुलारी देवी ने बनाया था । दुलारी देवी ने निर्मला सीतारमण को यह साड़ी उस समय विदाई में दी थी जब वह मधुबनी के मिथिला चित्रकला संस्थान आई थीं। साथ ही बजट के दिन उनसे यह साड़ी पहनने का अनुरोध भी किया था। बैंगलोरी सिल्क वाली यह साड़ी तैयार करने में दुलारी देवी को एक महीने का समय लगा था। इस साड़ी में जुड़वा मछली और कमल के फूल की पेंटिंग की गई थी। मिथिला में मछली, मखाना और पान बहुत प्रसिद्ध है।

मिथिला पेंटिंग पूरी तरह हाथों से बनाई जाती है जिसमें देवी-देवताओं, प्रकृति, पौराणिक कथा और विवाह से जुड़ी चित्रकथाएं होती हैं। इसे खासतौर पर प्राकृतिक रंगों से तैयार किया जाता है जिससे यह साड़ी पर्यावरण के अनुकूल होती है। मधुबनी पेंटिंग वाली साड़ी की यह खासियत ही इसे आम साड़ी से सबसे अलग और खास बनाती है। यह सिर्फ एक परिधान नहीं बल्कि बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी माना जाता है । .

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