अपने करतबों से हंसता, बहलाता जोकर, छुक- छुक करती रेल की सवारी का आनंद, पेड़,बगीचे,नदियां,बादल, बरसात प्रकृति और पर्यावरण से जोड़ती, बंदर,हाथी, भालू, घोड़े, मुर्गा,कुत्ता,बिल्ली , कोयल पशु – पक्षी का महत्व समझाती, प्यार लुटाती माँ, मदारी का कौतुक लिए कविताओं का संग्रह ” रंगबिरंगी तितली रानी ” बाल मन को रोमांचित करता है। योगिराज योगी की छोटी – छोटी बाल कविताओं का यह ऐसा अनूठा संग्रह है जिसमें नन्हें -मुन्नों के लिए भरपूर मनोरंजन है, कौतुक है, जानकारियां है, रोचकता है, और सामान्य जान से भरपूर हैं।
कविताएं बच्चों की जिज्ञासाओं को भी पूरा करने में सहायक हैं। जिनके प्रति बच्चों को लगाव होता है वह कविताओं में समाया है। भाषा और शब्दों का चयन इतनी सहज, सरल,तरल है की सीधे दिल और दिमाग को छू लेती है। मनोरंजन का पुट भरपूर होने से इन्हें गुनगुनाने लगते हैं। मुख्य विशेषता यह भी है कि बाल कविताओं में पारंपरिक विषयों के साथ – साथ अधुनातन का भी मेल भी देखने को मिलता है।
” मेरी मम्मी” कविता में जब बच्चा कहता है, ” रोटी गरम खिलाती मम्मी, मुझ पर प्यार लुटाती मम्मी” तो इससे मॉ का उसके प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति दिखाई देती है। ऐसे ही नानी के वात्सल्य भाव को बताते हुए बालक ” नानी का घर ” कविता में कहता है, ‘ नानी रखती पूरा ध्यान, हो कर आता मैं बलवान।’
किसी को मुस्कराहट देने से बड़ा कोई काम नहीं है। आपके किसी काम से कोई मुस्कराए इस से बड़ी दूसरी कोई बात नहीं हो सकती। इस संदेश को बहुत ही प्रभावी तरीके से बच्चों को दिया है ” जोकर ” कविता में, ” जोकर सर्कस की जान, नाटा कद इस की पहचान/ टॉप लगता अपने सर पर, खूब हंसता हमको जम कर/ नए नए करतब दिखाता, हँसा हँसा
कर मन बहलाता/ बड़ा कठिन है खुशी लूटना, जोकर से सीखो मुस्काना ।
आकाश में तारे खूब चमकते हैं, टिम टिमाते हैं, प्रकाशित होते हैं – इस पर लिखी कविता ” तारे” में ध्रुव तारे की जानकारी मनोरंजन के साथ यूं दे दी है, ” ध्रुव नाम का एक तारा, चमचम करता लगता प्यारा।” ” बिल्ली ” कविता में इसके स्वभाव से परिचय कराते हुए लिखते हैं, ” आँखें घूर डराती बिल्ली, कुत्तों से घबराती बिल्ली।” इसी तरह ” मोर ” कविता में मोर का स्वभाव बताया गया है, ” नाच दिखाता पंख खोल कर, दाना चुगने आता घर पर/ मिर्ची बेज चाव से खाता, इसे देख सांप छिप जाता।”
जीवन में फुर्ती का और चौकस अर्थात सजग रहने के महत्व पर ” हिरन ” कविता में उसके इन्हीं गुणों को बच्चों तक पहुंचाने का प्रयास किया है, ” आँखें इसकी सुंदर, फुर्ती में बड़ा धुरंधर/ चौकस रह कर चरता है, सदा झुंड में रहता है।” उड़ती, फूलों पर मंडराती तितली बच्चों को कितना भाती है,कवि इस कविता में कहता है, ” चार पंख होते छः पैर, उपवन उपवन करती सैर/ बच्चें दौड़ लगते पीछे, तितली से इनका मन रीझे।” सड़क कविता में बच्चों को दुर्घटना से बचने का उपयोगी संदेश दिया है, ” इस पर बाईं ओर है चलना, दुर्घटना से बच कर रहना।” संग्रह की अंतिम कविता ” बादल” बरसात के फायदे के बारे में जागरूक करती है, ” खेतों खेतों में खड़े किसान, खुशहाली के गाते गान।”
मनोहारी सभी चालीस बाल कविताओं का यह इंद्रधनुष बच्चों के मन को खूब भाएगा। कवि के लेखन की यही सार्थकता है। साहित्यकार रामेश्वर शर्मा ‘ रामू भैया ‘ ने अपने मन को कविताओं से जोड़ते हुए ” रंगबिरंगी तितली रानी और मेरा पाठक मन* प्रेरक भूमिका लिखी है। प्रकाशकीय साहित्यकार कीर्ति श्रीवास्तव ने लिखा है। और यूं हुआ बाल कविताओं का सृजन में लेखक ने सहयोगियों का आभार जताते हुए भविष्य में बाल लेखन करते रहे का संकल्प लेते हुए यह कृति बच्चों को पसंद आने की कामना की है। हरे और गुलाबी आभा लिए फूलों और तितलियों से सज्जित आवरण पृष्ठ आकर्षक है।
पुस्तक : रंगबिरंगी तितली रानी
लेखक : योगिराज योगी, कोटा
प्रकाशक : बौद्धि प्रकाशन, जयपुर
प्रथम प्रकाशन : 2022
कवर : पेपर बैक
पृष्ठ : 52
साइज : ए फॉर
मूल्य : 220 ₹
(लेखक कोटा में रहते हैं और साहित्यिक व सांस्कृतिक व पर्यटन से जुड़े ऐतिहासिक विषयों पर लेखन करते रहते हैं)
लेखक एवं पत्रकार, कोटा